शपथ के अगले ही दिन से एक्शन में नजर आएंगे अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. 21 जनवरी को अमेरिका, राजधानी वाशिंगटन डीसी में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित करने जा रहा है.
क्वाड देशों के मंत्रियों की बैठक में कई अहम मुद्दों पर बातचीत होगी. बैठक में शामिल होने के लिए क्वाड देशों के विदेश मंत्री अमेरिका में मौजूद रहेंगे. भारत की ओर से एस जयशंकर प्रतिनिधित्व करेंगे. पिछले साल दिसंबर में ही क्वाड देशों के समूह को 20 साल पूरे हुए हैं. क्वाड देश, चीन की विस्तारवाद नीति के खिलाफ सुरक्षा को, समय की जरूरत मानते हैं.
जिससे चिढ़ता है चीन, ट्रंप प्रशासन करेगा उसकी सबसे पहली बैठक
क्वाड देशों के चिढ़ता है चीन लेकिन चीन को साइड में रखकर डोनाल्ड ट्रंप अपनी शपथ के बाद क्वाड देशों के मंत्रियों के साथ मुलाकात करेंगे. डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की ये पहली बैठक हो सकती है. जिसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका शामिल हैं. इन देशों के विदेश मंत्री ट्रंप की शपथ समारोह में मौजूद रहेंगे.
भारत की तरफ से एस जयशंकर अमेरिका जा रहे हैं. जबकि जापानी विदेश मंत्री ताकेशी इवाया, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग, ट्रंप के बाद उनके मंत्रिमंडल में अमेरिका के नए विदेश मंत्री पद का शपथ लेने मार्को रुबियो शामिल होंगे.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के मुताबिक- अमेरिका में एस जयशंकर जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के नए विदेश मंत्री से मुलाकात करेंगे.
क्वाड बैठक में मार्को रुबियो करेंगे अमेरिका का प्रतिनिधित्व
21 जनवरी को क्वाड देशों की बैठक मार्को रूबियो की अध्यक्षता में हो सकती है. अमेरिका के नए विदेश मंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद. मार्को रूबियो की ये पहली विदेश नीति बैठक होगी. गौरतलब है कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में क्वाड को फिर से शुरू किया गया था जो कि इस बात का संकेत देता है कि वो क्वाड को बेहद गंभीरता से लेते हैं
नई विदेश नीति पर चर्चा करेंगे क्वाड देश
ट्रंप के शपथ ग्रहण के एक दिन बाद क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों के साथ होने वाली यह बैठक ट्रंप के नए प्रशासन की विदेश नीति का हिस्सा होगी. साथ ही इस बैठक में अमेरिका का नया प्रशासन ये बताएगा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता में कोई बदलाव नहीं होगा.
क्या है क्वाड, जिसे चीन बताया है एशियाई नाटो
क्वाड चार देशों (अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया) का रणनीतिक सुरक्षा समूह जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और नेविगेशन की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए बनाया गया था. चीन हमेशा से क्वाड का विरोधी रहा है. क्वाड को साल 2004 में बनाया गया था, लेकिन साल 2008 में ऑस्ट्रेलिया के हटने के बाद यह बंद हो गया. साल 2017 में ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान क्वाड को फिर से शुरू किया गया था.
क्वाड देश चीन के विस्तारवाद नीति के खिलाफ बेहद अहम है. कई बार चीन क्वाड देशों के खिलाफ बयानबाजी कर चुका है. चीन ने क्वाड सदस्य देशों का विरोध करते हुए क्वाड को एशियाई नाटो तक बता दिया था.
दिसंबर में क्वाड के 20 साल पूरे हुए
पिछले साल दिसंबर में क्वाड के 20 साल पूरे होने पर क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी किया था. जिसमें देशों ने कहा- क्वाड को जरूरत के हिसाब से बदला गया है. क्वाड को एक बड़े रणनीतिक साझेदारी वाला संगठन माना जाता है. ऐसे में 20 वर्ष पूरे होने पर चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा-“हम आसियान की केन्द्रीयता और एकता के साथ-साथ हिंद प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण को मुख्यधारा में लाने और लागू करने के अटूट समर्थन की पुष्टि करते हैं.हम प्रशांत क्षेत्र के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय संरचना का सम्मान करते हैं, सबसे पहले प्रशांत द्वीप समूह में. क्वाड क्षेत्र भविष्य की जरूरतों का जवाब देने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.”