अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह शपथ ग्रहण समारोह में चीन को बुलाकर पनामा नहर के नाम पर बेइज्जती की है, उससे शी जिनपिंग बेचैन हो उठे हैं. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन किया है. बताया जा रहा है कि ट्रंप की शपथ के बाद शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन ने वीडियो कॉल पर एक दूसरे से बात की है. चीन और रूस ने ट्रंप प्रशासन, नाटो और यूक्रेन समेत कई मुद्दों पर खास चर्चा की है.
ट्रंप की शपथ के बाद पुतिन-जिनपिंग के बीच वीडियो कॉल
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक वीडियो कॉल की. ये बातचीत डोनाल्ड ट्रंप के 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद हुई. बातचीत में रूस-चीन ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को और विकसित करने का प्रस्ताव रखा. क्रेमलिन ने चीन और रूसी राष्ट्रपति की बातचीत का वीडियो जारी किया है.
वीडियो कॉल में पुतिन ने शी की ओर हाथ हिलाया और शी जिनपिंग को अपना “प्रिय मित्र” कहकर संबोधित किया और कहा कि वो “रूसी-चीनी व्यापक साझेदारी और रणनीतिक सहयोग के विकास के लिए नई योजनाओं” की रूपरेखा बनाना चाहते हैं.
पुतिन ने शी जिनपिंग से कहा, “मैं आपसे सहमत हूं कि मॉस्को और बीजिंग के बीच सहयोग राष्ट्रीय हितों की व्यापक समानता और प्रमुख शक्तियों के बीच संबंध हैं. हम अपने संबंधों को मित्रता, आपसी विश्वास और समर्थन, समानता और आपसी लाभ के आधार पर बनाते हैं. ये संबंध आत्मनिर्भर हैं, घरेलू राजनीतिक कारकों और वर्तमान वैश्विक स्थिति से स्वतंत्र हैं.”
ट्रंप पर दबाव बनाने के लिए रूस-चीन की वीडियो कॉल?
सत्ता संभालते ही डोनाल्ड ट्रंप के चीन को लेकर दिए गए बयान से खलबली मच गई है. पहले पनामा को लेकर चीन को खरी खोटी सुनाई और फिर ‘टिकटॉक’ के बदले टैरिफ की डील का ऑफर दे दिया. ट्रंप बार-बार रूस-यूक्रेन का युद्ध खत्म करने की बात कह रहे हैं. लेकिन कब और कैसे किन शर्तों पर युद्ध खत्म होगा, इसका खुलासा नहीं कर रहे.
दरअसल संयुक्त राज्य अमेरिका चीन को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी और रूस को अपना सबसे बड़ा खतरा बताता है. रूस और अमेरिका के बीच संबंध और टकराव वाले तब और हो गए जब अमेरिका ने रूस के खिलाफ यूक्रेन को सैन्य और वित्तीय मदद की. रूस ने नाटो द्वारा समर्थित यूक्रेनी सेना के खिलाफ युद्ध छेड़ रहा है.
वहीं शी जिनपिंग अपनी बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकत के जरिए अमेरिका को लोहा मनवा रहा है. पुतिन और शी जिनपिंग पश्चिमी देशों की दादागीरी और प्रभुत्व का हमेशा से विरोध किया है, क्योंकि पश्चिमी देश, रूस और चीन को विस्तारवादी देश के तौर पर देखते हैं. ऐसे में जिनपिंग और पुतिन ने एक दूसरे के साथ बातचीत करके और वीडियो रिलीज करते ट्रंप पर दबाव बनाने की कोशिश की है, कि वो कुछ भी सोच समझकर बोलें, क्योंकि दोनों देश एक साथ हैं.
जल्द ही पुतिन-ट्रंप में हो सकती है मुलाकात
पुतिन ने भी डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने से ठीक पहले राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्यों से वीडियो कॉल पर बात की थी. जिसमें पुतिन ने कहा- हमने ट्रंप और उनकी टीम से रूस के साथ संपर्क बहाल करने की उनकी इच्छा के बारे में सुना है, जो बाइडेन प्रशासन के दौरान नहीं हो पा रही थी. हमने तीसरे विश्व युद्ध को रोकने के लिए हर संभव कोशिश करने की जरूरत के बारे में भी ट्रंप के बयान सुने हैं. रूस, डोनाल्ड ट्रंप की पहल का स्वागत करती है. पुतिन ने ट्रंप को बधाई देते हुए कहा, हम बातचीत करने के लिए तैयार हैं.
हमारे लिए सीजफायर का कोई मतलब नहीं है: पुतिन
पुतिन ने ट्रंप से बात करने से पहले ये भी ऐलान किया कि “अगर यूक्रेन के साथ स्थाई शांति की बात की जाएगी, तभी वो युद्ध विराम करेंगे. सीजफायर का कोई मतलब नहीं है. अस्थाई शांति यानी सीजफायर में दुश्मन को फिर से ताकत और हथियार जुटाने का मौका मिलेगा. विवाद के मूल कारणों को समाप्त किया जाए. स्थायी शांति की बात हो तभी युद्ध विराम करेंगे. यूक्रेनी संघर्ष को लेकर हम नए अमेरिकी प्रशासन के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं.”