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ट्रंप के शपथ ग्रहण में पन्नू, वीडियो वायरल

क्या अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में आया था भारत का मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू? वो पन्नू, जिसके चलते भारत और अमेरिका के रिश्ते में खटास आई थी. ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के जश्न का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें नजर आ रहा है गुरपतवंत सिंह पन्नू.

ट्रंप के उद्घाटन में अमेरिकी नागरिक जहां यूएसए-यूएसए का नारा लगा रहे थे, पन्नू खालिस्तानी नारा लगाता दिखा. ट्रंप के इसी कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर भी शामिल हुए थे. जाहिर है पन्नू की हिमाकत का ये वीडियो चिंता बढ़ाने वाला है.

शपथ ग्रहण समारोह के जश्न में शामिल हुआ भारत का मोस्ट वांटेड

ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाहर होने वाले सेलिब्रेशन कार्यक्रम में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू भी नजर आया था. दावा किया जा रहा है कि ट्रंप के शपथ ग्रहण के समय पन्नू समारोह स्थल के अंदर नजर आया था और लोग यूएसए, यूएसए कह रहे थे तो पन्नू खालिस्तान बुदबुदा रहा था.

पन्नू ने दावा किया है कि उसे ट्रंप गुट ने आमंत्रित किया था. लेकिन बताया जा रहा है कि पन्नू ने एक अपने संपर्क के जरिए टिकट खरीदा था. जिसके बाद उसने ट्रंप के आधिकारिक समारोह में प्रवेश किया. 

ट्रंप के शपथ में पन्नू, वीडियो से उठे बड़े सवाल

पन्नू का वीडियो सामने आने के बाद ये तो साफ हो गया है कि वो अमेरिका में ही है. पन्नू पर हुए जानलेवा हमले को लेकर बाइडेन प्रशासन ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए थे. पिछले साल अमेरिका ने भारत के पूर्व अधिकारी खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की ‘हत्या की साजिश रचने’ का आरोप लगाया था.

अमेरिका का कहना था कि पूर्व भारतीय अधिकारी ने न्यूयॉर्क में पन्नू की हत्या की साजिश रची थी. पन्नू की हत्या के लिए कॉन्ट्रैक्ट किलर्स की तलाश की गई थी, लेकिन वो एक एफबीआई एजेंट निकला. अमेरिका के आरोपों के बाद नवंबर 2023 में गृह मंत्रालय ने एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया था.

हाल में गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि मामले की लंबी जांच के बाद एक व्यक्ति (विकास यादव)के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की गई है. जांच में इसके पिछले आपराधिक संबंध और पृष्ठभूमि भी सामने आई है.

खालिस्तानियों को लेकर क्या है ट्रंप प्रशासन का रुख

अमेरिका में खालिस्तान समर्थक संगठनों को लेकर ट्रंप प्रशासन में एनएसए माइक वाल्ट्ज सख्त हैं. पिछले साल अमेरिका में कुछ कांसुलेट पर खालिस्तानी समर्थकों के प्रदर्शन को लेकर माइक वाल्ट्ज ने कहा था कि “खालिस्तानी समर्थकों की तरफ से होने वाली हिंसा निंदनीय है. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. अमेरिका में इस तरह की घटनाओं का कोई स्थान नहीं है.” 

सवाल है कि अब जब ट्रंप प्रशासन सत्ता में है तो क्या खालिस्तानी मुद्दों पर भारत का साथ देगा.

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