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दुश्मन पर प्रलय बनकर टूटेगी ये मिसाइल, गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगी पहली बार

देश पर आने वाले हर खतरे से निपटने के लिए सेना को स्वदेशी हथियारों से लैस करने वाले डीआरडीओ की सबसे खतरनाक मिसाइल प्रलय पहली बार कर्तव्य पथ पर दिखाई देने जा रही है. प्रलय, डीआरडीओ की सबसे नई बैलिस्टिक मिसाइल में से एक है जिसे थलसेना और वायुसेना के लिए तैयार किया गया है.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, “सटीकता, आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुए, डीआरडीओ सामरिक मिसाइल प्रलय हथियार प्रणाली प्रदर्शित करेगा.” सतह से सतह पर मार करने वाली कम दूरी की प्रलय मिसाइल की रेंज करीब 500 किलोमीटर है. 

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की प्रलय मिसाइल के अलावा, ब्रह्मोस मिसाइल, पिनाका मल्टी लॉन्चर रॉकेट सिस्टम, नाग मिसाइल सिस्टम और शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम (10 मीटर) इस गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हो रहे हैं.

डीआरडीओ का रक्षा-कवच

गुरूवार यानी 23 जनवरी को गणतंत्र दिवस की फुल ड्रेस रिहर्सल में सभी मिसाइलों को प्रदर्शित किया गया. इस साल गणतंत्र दिवस परेड में डीआरडीओ की मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई ‘रक्षा कवच’ झांकी खास आकर्षण होने जा रहा है.

डीआरडीओ की झांकी का थीम है ‘रक्षा कवच – बहु-क्षेत्रीय खतरों के खिलाफ बहु-स्तरीय संरक्षण’. झांकी में त्वरित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम, एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, एंटी ड्रोन सिस्टम, सैटेलाइट-आधारित निगरानी प्रणाली, मध्यम शक्ति रडार (अरुध्र), उन्नत हल्के वजन के टारपीडो, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली  (धर्मशक्ति), लेजर-आधारित एनर्जी-वेपन, बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली, स्वदेशी मानव रहित हवाई प्रणाली दिखाई देंगे.

साथ ही सुरक्षा बलों के लिए वीयूएचएफ मैनपैक सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो, स्वदेशी सुरक्षित सैटेलाइट फोन और उग्रम (यूजीआरएएम) असॉल्ट राइफल भी झांकी का हिस्सा बनाए गए हैं. (ब्रह्मोस की झलक देखेंगे इंडोनेशियाई राष्ट्रपति, कर्तव्य-पथ पर होगी प्रदर्शित)

वर्ष 2024 की उपलब्धियां होगी प्रदर्शित

इसके अलावा, डीआरडीओ की वर्ष 2024 की प्रमुख उपलब्धियों को भी झांकी के पोस्टरों में प्रदर्शित किया जाएगा. इसमें लंबी दूरी की हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल, हल्के वजन की बुलेट प्रूफ जैकेट ‘अभेद’, दिव्यास्त्र (कई स्वतंत्र रूप से लक्षित पुनः प्रवेश वाहन), ज़ोरावर हल्का टैंक, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो और इलेक्ट्रो-ऑप्टिक (श्येन) सम्मिलित है.

डीआरडीओ मुख्य रूप से ‘मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड’ के लक्ष्य को साकार करने के लिए कई अत्याधुनिक सैन्य प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों की प्रणाली परिभाषा, डिजाइन और विकास में लगा हुआ है. (गणतंत्र दिवस: फ्लाई पास्ट में 40 एयरक्राफ्ट लेंगे हिस्सा, LCA और ध्रुव बाहर)