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मोदी-पुतिन की कठपुतली, तुलसी गबार्ड ने किया पलटवार

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (डीएनआई) तुलसी गबार्ड ने उन विपक्षियों की बोलती बंद कर दी, जो उन्हें मोदी की कठपुतली और पुतिन की कठपुतली कहते हैं. सीनेट के सामने तुलसी गबार्ड ने कहा, ये सरासर झूठी बात है. 

तुलसी गबार्ड ने कहा कि डेमोक्रेटिक सीनेटर हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिका के इतिहास में पहली बार कोई हिंदू महिला राष्ट्रपति के कैबिनेट का हिस्सा बनने जा रही हैं. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व सांसद और सेना की लेफ्टिनेंट कर्नल तुलसी गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस का डायरेक्टर (डीएनआई) नियुक्त किया है. डीएनआई एक कैबिनेट पद है जिसके अंतर्गत अमेरिकी की सभी आंतरिक इंटेलिजेंस एजेंसियां आती हैं.

डेमोक्रेट्स ने तुलसी को बताया “मोदी की कठपुतली”, तुलसी ने दिया जवाब

डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से दिए गए एक बयान में तुलसी गबार्ड को अमेरिकी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित विश्व नेताओं की कठपुतली बताया है. तुलसी गबार्ड ने कहा कि “डेमोक्रेट ने मुझ पर ट्रंप की कठपुतली, पुतिन की कठपुतली, असद की कठपुतली और मोदी की कठपुतली होने का आरोप लगाया है. ये सरासर गलत है, मैं उनकी कठपुतली नहीं हूं.”

सुनवाई के दौरान तुलसी गबार्ड ने इस बात की भी आशंका जताई कि विशाल खुफिया तंत्र का नेतृत्व करने के लिए उनके नामांकन को रोक जा सकता है. (https://x.com/CollinRugg/status/1884999136346268020)

विपक्ष ने तुलसी को क्यों बताया वैश्विक नेताओं की कठपुतली?

दरअसल तुलसी गबार्ड खुद हिंदू धर्म से जुड़े श्लोक बोलती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक मुलाकात के दौरान उन्होंने गीता की कॉपी भेंट की थी. इतना ही नहीं उन्होंने पीएम मोदी का गुजरात दंगों पर समर्थन भी किया है. तुलसी का मानना है कि गुजरात दंगों (गोधरा कांड) के लिए हिंदुओं को उकसाया गया था.

तुलसी का नाम विवादों में इसलिए घिरा रहा है क्योंकि उन्होंने कभी सीरिया के मुद्दे पर तो कभी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का समर्थन किया है. रूस-यूक्रेन जंग में तुलसी ने ट्रंप की ही तरह बाइडेन की नीतियों का खुलकर विरोध किया था. तुलसी ने जंग में यूक्रेन को मदद ना देने का आह्वान किया था.

हिंदुओं की कट्टर समर्थक हैं तुलसी, बांग्लादेश की लगाई थी क्लास

हाल ही में एक वीडियो जारी करके तुलसी गबार्ड ने पाकिस्तानी आर्मी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के शासन में हो रहे हिंदुओं पर हमले को लेकर जमकर क्लास लगाई थी. तुलसी गबार्ड ने कहा, “कांग्रेस की सदस्‍य होने के नाते मैं बांग्‍लादेश में हिन्‍दू और अन्‍य अल्‍पसंख्‍यकों के खिलाफ हो रहे हमलों को लेकर प्रस्‍ताव लाना चाहूंगी. आज भी वहां लोगों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. इस प्रताड़ना की शुरुआत आज से 50 साल पहले हुई. जब पाकिस्‍तानी सेना ने वहां सिस्‍टमैटिक तरीके से बंगाली हिन्‍दुओं को मारा, उनके साथ रेप किया गया. पाकिस्‍तानी सेना द्वारा 25 मार्च 1971 को इस सिस्‍टमैटिक तरीके से हिन्‍दुओं को निशाना बनाने की शुरुआत की गई.” (https://x.com/neeraj_rajput/status/1862398603127353724)

बांग्लादेश में हिंदुओं की प्रताड़ना आज भी जारी: तुलसी
तुलसी गबार्ड को ढाका यूनिवर्सिटी कांड के बारे में बात करते हुए कहा-“सबसे पहले ढाका यूनिवर्सिटी के जगन्‍नाथ हॉल से इसकी शुरुआत हुई. पहली रात को ही पाकिस्तानी सेना ने 5 से 10 हजार हिन्‍दुओं को मौत के घाट उतार दिया. अगले 10 महीने तक यह नरसंहार जारी रहा. इस दौरान दो से तीन मिलियन लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. एक करोड़ से ज्‍यादा लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा.

तुलसी गबार्ड ने कहा, “बांग्लादेश में हिन्दुओं पर इस्‍लामिक प्रताड़ना आज भी जारी है. इसे आम इस्लाम को फॉलो करने वाले लोगों के साथ कंफ्यूज ना किया जाए. 1900 की शुरुआत में बांग्‍लादेश में हिंदू करीब 33 प्रतिशत थे. हिन्‍दुओं पर लगातार हो रहे हमलों के कारण अब उनकी जनसंख्या महज 8 प्रतिशत रह गई है. इराक, लीबिया और सीरिया में रिजीम अमेरिका द्वारा सत्‍ता बदलने से पहले तक इस्लामिक जिहादियों ने अल्पसंख्यकों का जीना मुश्किल कर रखा था.”

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