भारतीय नौसेना की सबसे बड़ी थिएटर-स्तर की एक्सरसाइज में थलसेना और वायुसेना से जुड़ी एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसे एकीकृत कमांड बनने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा सकता है. दो साल में एक बार आयोजित होने वाली ‘ट्रॉपेक्स’ एक्सरसाइज में सेना के तीनों अंगों के सह-प्रमुखों सहित चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) ने आईएनएस विक्रांत से नौसेना की तैयारियों की समीक्षा की.
थिएटर लेवल ऑपरेशन्ल रेडीनेस एक्सरसाइज (‘ट्रॉपेक्स-2025’) इनदिनों अरब सागर में चल रही है. एक्सरसाइज का उद्देश्य पूरे हिंद महासागर में ‘मल्टी-थ्रेट एनवायरमेंट’ में भारतीय नौसेना की तैयारियों को परखना है. एक्सरसाइज में इंडियन कोस्ट गार्ड ने भी हिस्सा लिया.
थलसेना, वायुसेना और नौसेना के वाइस-चीफ दिखे एक साथ
ट्रॉपेक्स की समीक्षा करने के लिए सीआईएससी, लेफ्टिनेंट जनरल पी मैथ्यू, सह-सेना प्रमुख (वाइस चीफ) लेफ्टिनेंट जनरल एन एस राजा सुब्रमणी, सेना-नौसेना प्रमुख वाइस एडमिरल के स्वामीनाथन, सह-वायुसेनाध्यक्ष एयर मार्शल एस पी धरकड़ और डीजी, इन्फैंट्री लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार, कारवार (कर्नाटक) के करीब एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत पर पहुंचे. सह-वायुसेनाध्यक्ष ने नौसेना के मिग-29के फाइटर जेट (ट्रेनर) से विक्रांत के डेक पर लैंड किया. (https://x.com/indiannavy/status/1885333555779187110)
थिएटर कमांड बनाने की कवायद
दरअसल, सरकार चाहती है कि सेना के तीनों अंग, निकट भविष्य में अलग-अलग कमांड के बजाए साझा और एकीकृत कमांड का गठन करें. ऐसे में, वे थलसेना, वायुसेना और नौसेना की अलग-अलग कमांड की बजाए साझा थिएटर कमांड बनाई जाएंगी. इसके लिए सीडीएस और सीआईएससी के नेतृत्व में ट्रॉपेक्स जैसी एक्सरसाइज का आयोजन कर थिएटर कमांड की रूपरेखा तैयार की जा रही है.
ट्रॉपेक्स में नौसेना की ताकत
युद्धाभ्यास के दौरान सभी ट्राई-सर्विस कमांडर्स ने विक्रांत पर मिग-29के की फ्लाइंग को देखा. एयर-पावर डेमो में नौसेना के एयरक्राफ्ट ने बमबारी, रॉकेट फायरिंग और नीची उड़ान में एरोबोटिक्स को देखा.
विक्रांत के अलावा सभी सीनियर ऑफिसर्स, नौसेना के मिसाइल डेस्ट्रोयर आईएनएस विशाखापट्टनम, स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस सतपुड़ा और लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक, आईएनएस जलाश्व पर भी गए. इस दौरान, जंगी जहाज और पनडुब्बी के ऑपरेशन्स और क्षमताओं को करीब से देखा. साथ ही मिसाइल फायरिंग और एंटी-सबमरीन ड्रिल्स की भी समीक्षा की.
नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक, ट्रॉपेक्स के दौरान टेक्टिकल परिस्थितियों और उस दौरान नेवी के ऑपरेशन्स की ब्रीफिंग में टॉप कमांडर्स को दी गई.
एम्फीबियस ड्रिल भी थी एक्सरसाइज का हिस्सा
आईएनएस जलाश्व पर सीनियर ऑफिसर्स ने थलसेना की एम्फीबियस ड्रिल को करीब से देखा. इन ड्रिल में बंकर-बस्टिंग, बीएमपी (इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल) और सैनिक की समुद्री तट पर लैंडिंग सहित मरीन कमांडो के कॉम्बेट फ्री फॉल का प्रदर्शन भी देखा. इसके लिए लैंडिंग क्राफ्ट मैकेनाइज्ड और लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट का इस्तेमाल किया गया ताकि समुद्री-तट पर मोर्चा स्थापित किया जा सके.
कारवार में नेवल बेस में नौसैनिकों से बात करते हुए सभी कमांडर्स ने हिंद महासागर में मिलने वाली सभी तरह की चुनौतियां का सामना करने के लिए नौसेना की प्रशंसा की. कारवार में कमांडर्स को सीबर्ड प्रोजेक्ट के तहत यहां तैयार किया जा रहा विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में जानकारी दी गई. भारतीय नौसेना, कारवार को एशिया का सबसे बड़ा नेवल बेस बनाने की तैयारी कर रही है.