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तल्खी के बावजूद निभाया पड़ोसी-धर्म, बांग्लादेश को भेजा 16 हजार टन चावल

पाकिस्तान के साथ पींगे बढ़ाने वाले बांग्लादेश के साथ रिश्तों में तल्खी के बावजूद व्यापार जारी है. जिस भारत को यूनुस सरकार और उसके सलाहकार खूब कोसते रहते हैं. भारत के साथ नीतियों पर सवाल खड़े करते हैं तो भारत की सुरक्षा के लिए लगाए जा रहे बाड़ेबंदी का विरोध करते है. उसी बांग्लादेश के लिए भारत से 16.4 हजार टन चावल लेकर दो जहाज बंदरगाह पर पहुंचे हैं. मोंगला खाद्य नियंत्रक कार्यालय के अनुसार, बांग्लादेश का भारत से 300,000 टन चावल खरीदने का समझौता हुआ है. 

बांग्लादेश पहुंचा भारत का चावल

बताया जा रहा है कि भारत द्वारा भेजी गई चावल की दूसरी खेप शनिवार मोंगला बंदरगाह पर पहुंच गई है. पनामा के झंडे वाला जहाज बीएमसी अल्फा 7700 टन चावल लेकर ओडिशा के धामरा बंदरगाह से बांग्लादेश पहुंचा, जबकि थाईलैंड के झंडे वाला एमवी सी फॉरेस्ट 8,700 टन के साथ कोलकाता बंदरगाह से बांग्लादेश आया है. वहीं भारत से आयात के तहत पहली खेप 20 जनवरी को बांग्लादेश पहुंची थी, जब वियतनाम के झंडे वाला जहाज एमवी पुथन-36, 5700 टन चावल ले कर गया था. 

बजट में बांग्लादेश के लिए नहीं बढ़ाई गई धनराशि

शनिवार को पेश किए गए केन्द्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बांग्लादेश को दी जाने वाली मदद राशि नहीं बढ़ाई है. दिल्ली ने ढाका के लिए 120 करोड़ का बजट दिया है. बजट में राशि न बढ़ाकर भारत ने बांग्लादेश को सख्त संदेश दिया है. ‘नेबर फर्स्ट’ नीति के तहत हर साल भारत अपने बजट में पड़ोसी देशों को मदद धनराशि देता है. मालदीव, श्रीलंका, भूटान समेत कई देशों को बजट में एक निश्चित धनराशि दी जाती है.

मालदीव से रिश्ते सुधरे तो भारत ने 600 करोड़ रु बजट में आवंटित किए हैं. लेकिन बांग्लादेश के पैसे न बढ़ाकर भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है. साल 2023-24 में बांग्लादेश के 157 करोड़ रु की मदद की गई थी, साल 2024-25 में 120 करोड़ आवंटित किए थे. अब साल 2025- 26 में वहीं पुरानी धनराशि बरकरार रखी है. वहीं श्रीलंका के लिए साल 2025-26 में 300 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. 

बांग्लादेश को सख्त संदेश 

भारत ने बांग्लादेश की धनराशि न बढ़ाकर ये संदेश दे दिया है कि पड़ोसी पहले की नीति भारत मानता है लेकिन ये नहीं हो सकता कि भारत से तल्खी बढ़ाई जाए, हिंदुओं के खिलाफ हिंसा हो और पाकिस्तान के साथ दोस्ती करते भारत के खिलाफ अनाप शनाप बोला जाए. भारत की कूटनीति साफ है कि भारत ये बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेगा कि भारत विरोधी देशों को मदद के नाम पर बजट बढ़ाया जाए. भारत अच्छे संबंध जानता है को दुश्मनों के साथ मिलने वालों को झटका भी देना जानता है. 

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