हमास के साथ जारी युद्ध विराम के बीच इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के दौरे पर हैं. मंगलवार को बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में मुलाकात होने वाली है. राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप पहली बार किसी राष्ट्राध्यक्ष से द्विपक्षीय वार्ता करने वाले हैं.
ट्रंप और नेतन्याहू की इस मुलाकात को लेकर ईरान, हमास. हिजबुल्ला और हूती समेत मिडिल ईस्ट के कई देशों की सांस हलक में अटकी हुई है.
अमेरिका रवाना होने से पहले क्या बोले नेतन्याहू?
नेतन्याहू ने रवाना होने से पहले बताया कि ट्रंप के साथ वह ‘हमास पर जीत’, ईरान को काउंटर करने की रणनीति, राजनयिक संबंधों और अरब मुल्कों में दोनों देशों की साझा रणनीतियों पर चर्चा करेंगे. बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने बयान में हमास सहित पूरे क्षेत्र में ईरान समर्थित फोर्स के गठबंधन का जिक्र किया, जो इजरायल के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है. नेतन्याहू बोले, “इजरायल-अमेरिका एक साथ काम करके, “सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं, शांति के दायरे को बढ़ा बना सकते हैं और ताकत के बल पर शांति का युग हासिल कर सकते हैं.” (https://x.com/netanyahu/status/1885945916731056167)
नेतन्याहू पर ट्रंप ने दबाव बना शपथ से पहले करवाया युद्ध विराम
इजरायल-हमास की जंग में डोनाल्ड ट्रंप ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई है, ट्रंप ने अपने विशेष दूत को कतर भेजकर सीजफायर पर इजरायल-हमास को सहमत किया, और बंधकों की रिहाई को लेकर योजना बनाई. हालांकि अपने बंधकों के बदले खूंखार फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ने के पक्ष में नेतन्याहू बिल्कुल नहीं थे. लेकिन ट्रंप के दबाव में आकर अस्थाई युद्ध विराम पर नेतन्याहू को तैयार होना पड़ा. हालांकि इस युद्ध विराम को हमास से लेकर मिडिल ईस्ट के कई देशों ने इजरायल की हार बताया है. खुद नेतन्याहू को अपने मंत्रियों के विरोध का सामना करना पड़ा है. ट्रंप के सहयोगियों ने मार्च महीने तक सीजफायर के खात्मे के बाद नेतन्याहू पर दोबारा जंग शुरू करने का दबाव बनाया है. (https://x.com/JewsAreTheGOAT/status/1886171426874437895)
गाजा के लोगों को अरब देशों में शिफ्ट करने का ट्रंप का प्लान
डोनाल्ड ट्रंप, इजरायल और बेंजामिन नेतन्याहू के कट्टर समर्थक हैं. ट्रंप-नेतन्याहू में पक्की दोस्ती है. ट्रंप भी हमास जैसे विद्रोहियों के खिलाफ रहे हैं और इजरायली एक्शन को सही बताते रहे हैं. लेकिन जिस तरह से 15 महीनों में इजरायली और विदेशी बंधकों की वापसी नहीं हो पा रही थी, वो हर किसी के लिए चिंता का विषय था.
ट्रंप कह चुके हैं कि वो चाहते हैं मिडिल ईस्ट में शांति हो. हाल ही में ट्रंप ने फिलिस्तीनी लोगों को लेकर एक प्रस्ताव दिया है, जिसपर विवाद शुरु हुआ है. ट्रंप का मानना है कि फिलिस्तीनी लोगों को जॉर्डन, मिस्र या किसी अरब देशों में शिफ्ट किया जाना चाहिए. जॉर्डन और मिस्र दोनों ने ही ट्रंप के प्रस्ताव को नकार दिया है.
वहीं फिलिस्तीनी लोगों का आरोप है कि “आम लोगों को हटाकर ट्रंप, गाजा-फिलिस्तीन पर इजरायल का कब्जा करवाना चाहते हैं, ठीक उसी तरह से जैसे सीरिया के गोला हाइट्स पर करवाया है.” फिलिस्तीनी राष्ट्रपति के साथ लोगों ने भी ये कह दिया है कि “मर जाएंगे, लेकिन फिलिस्तीन से नहीं जाएंगे.”
माना जा रहा है कि ट्रंप-नेतन्याहू के बीच मुलाकात में इस मुद्दे पर भी चर्चा की जा सकती है और कोई अहम फैसला भी लिया जा सकता है.