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मणिपुर के मुख्यमंत्री का इस्तीफा, हिंसा रोकने में रहे नाकाम एन बीरेन सिंह

मणिपुर में हिंसा न रोक पाने में नाकाम मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया है. तकरीबन 20 महीने से मणिपुर, हिंसा की आग में जल रहा है. कुकी और मैतेई के बीच शुरु हुआ तनाव इतना हिंसक हो गया था कि 200 से ज्यादा लोगों की मौतें हुईं, हजारों लोगों को अपना-अपना घर छोड़कर राहत शिविरों में संरक्षण लेना पड़ा.

विपक्ष हमेशा से एन बीरेन सिंह को कटघरे में खड़ा कर रहा था, उनके इस्तीफे की मांग कर रहा था, लेकिन हमेशा से इस्तीफा न देने पर अड़े एन बीरेन सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया है. सवाल है कि एन बीरेन सिंह के बाद कौन संभालेगा हिंसाग्रस्त राज्य की कमान या राज्य में लगाया जाएगा राष्ट्रपति शासन.

एन बीरेन सिंह ने दिया इस्तीफा, साथ मौजूद रहे संबित पात्रा 

मणिपुर में स्थिति संभाल न पाने के कारण देर से ही सही एन बीरेन सिंह ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. राज्यपाल अजय भल्ला  को इस्तीफा सौंपते बीरेन सिंह की एक तस्वीर भी सामने आई है, जिसमें एन बीरेन सिंह के साथ ओडिशा के पुरी से बीजेपी सांसद संबित पात्रा भी उनके साथ मौजूद थे. बताया जा रहा है कि एन बीरेन सिंह बीती रात चार्टर्ड फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे थे, जहां रविवार को गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी मुलाकात हुई. इस मुलाकात में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे.

बैठक के तुरंत बाद रविवार दोपहर एम बीरेन सिंह वापस इंफाल के लिए रवाना हो गए, एन बीरेन सिंह के साथ नॉर्थ ईस्ट राज्यों के बीजेपी प्रभारी संबित पात्रा भी उनके साथ मौजूद रहे. शाम को बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंप दिया.

20 महीनों से तनावपूर्ण हालात, अचानक इस्तीफा क्यों?

पिछले कुछ दिनों ने हिंसा के बीच सियासी हलचल तेज थी. कहा जा रहा है कि बीजेपी के कुछ विधायक एन बीरेन सिंह से नाराज थे और वो कांग्रेस के संपर्क में थे. कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव की धमकी दी थी, नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) ने पहले ही समर्थन वापस लिया था. हालांकि बीजेपी मजबूत स्थिति में थी लेकिन एन बीरेन सिंह से नाराज कुछ विधायक अगर कांग्रेस का समर्थन करते तो बिखराव जैसी स्थिति बनती. इसके अलावा कहा ये भी जा रहा है कि एन बीरेन सिंह ने ऐसे कई अहम फैसले लिए थे, जिसकी उन्होंने राज्यपाल को जानकारी नहीं दी थी.

राज्यपाल अजय भल्ला ने कुछ महीनों पहले ही मणिपुर का चार्ज लिया है. ऐसे में बीरेन सिंह के बारे में अजय भल्ला ने भी डायरेक्ट केन्द्र को रिपोर्ट सौंपी थी. वहीं मणिपुर के मोर्चे पर केन्द्र सरकार को विपक्ष के साथ-साथ आरएसएस ने भी कटघरे में खड़ा किया था. माना जा रहा है कि ये सभी कारण थे, जिनकी वजह से एन बीरेन सिंह पर दबाव बनाया जा रहा था. 

अपने इस्तीफे में एन बीरेन सिंह ने क्या लिखा?

राज्यपाल अजय भल्ला को सौंपे अपने इस्तीफे में एन बीरेन सिंह ने लिखा, “अब तक मणिपुर के लोगों की सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात रही है. मैं मणिपुर के प्रत्येक नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए समय पर की गई कार्रवाई, हस्तक्षेप, विकास कार्य और विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार का अत्यंत आभारी हूं.”

पिछले साल के अंत में भी बीरेन सिंह ने मणिपुर में हिंसा को लेकर जनता से माफी मांगी थी. एन बीरेन ने उस वक्त कहा था कि- “यह पूरा साल बेहद खराब रहा. मैं राज्य के लोगों से पिछले साल तीन मई से लेकर आज तक जो कुछ भी हुआ है, उसके लिए माफी मांगता हूं. कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया. कई लोगों ने अपना घर छोड़ दिया. मुझे इसका दुख है. मुझे उम्मीद है कि 2025 में राज्य में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी.”

मणिपुर में अब कैसे हैं हालात?

हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर में अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. केन्द्र सरकार ने कई जिलों में अफस्पा लगा रखा है, जिसके बाद संवेदनशील इलाकों में सुरक्षाबल पैनी नजर रखे हुए हैं, हालांकि कई कुकी बाहुल्य इलाकों में सुरक्षाबलों की तैनाती का विरोध किया गया है. प्रदर्शन भी हुए हैं परन्तु बहुत हद तक स्थिति काबू में हैं. लेकिन अभी भी हजारों लोग बेघर हैं. जनवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुकी-जो परिषद के सदस्यों से कहा है कि संघर्षग्रस्त मणिपुर में किसी भी राजनीतिक वार्ता को शुरू करने के लिए हिंसा को फौरन खत्म होना चाहिए. 

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