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वोटिंग के नाम पर भारत-विरोधी साजिश, USAID की फंडिंग एलन मस्क ने रोकी

अमेरिका के एक-एक पैसे बचाने में जुटे खरबपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले विभाग डीओजीई ने भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए दी जाने वाली मदद पर रोक लगी दी है. अमेरिका ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बनाए गए 21 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम पर चाबुक चलाते हुए फंडिंग रोक दी है.

अमेरिका ने भारत में ‘वोटर टर्नआउट’ के लिए लक्षित 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 190 करोड़ रुपये) की फंडिंग को रद्द करने की घोषणा की है. अमेरिका के दक्षता विभाग ने एक्स पर कहा कि “अमेरिकी टैक्सपेयर्स के पैसे जिन पर खर्च किए जाने वाले थे, उनमें से सभी को रद्द कर दिया गया है.”

मस्क के डॉज ने रोकी भारत को दी जाने वाली फंडिंग

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका में सत्ता संभालने के बाद एक-एक पैसों का हिसाब रख रहे हैं उनके करीब एलन मस्क. 20 जनवरी से लेकर अबतक एलन मस्क मे उन मदद और फंडिंग पर रोक लगा दी है, जिन्हें वो उपयोगी नहीं मानते हैं.

रविवार को इसी कड़ी में अमेरिका ने भारत को मिलने वाली करोड़ों डॉलर की राशि पर रोक लगा दी है. अमेरिका, भारत को 1 अरब 82 करोड़ रुपये (21 मिलियन डॉलर) इसलिए देता था ताकि देश के चुनावों में मतदाता भागीदारी को बढ़ावा देना था. लेकिन अब ये फंडिंग भारत को नहीं मिलेगी. माना जा रहा है कि इन फंडिंग का दुरूपयोग भारत-विरोधी गतिविधियों में किया जाना था.

खास बात ये ही कि अमेरिका की यह घोषणा डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी की मुलाकात के बाद की गई है. इस मीटिंग में ट्रंप और पीएम मोदी ने दोनों देशों के मजबूत संबंधों और सहयोग पर प्रतिबद्धता जताई थी. 

भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप: अमित मालवीय

अमेरिकी विभाग के ‘एक्स’ पर लिखी गई पोस्ट पर बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने प्रतिक्रिया दी है. अमित मालवीय ने लिखा, “वोटर टर्नआउट के लिए 21 मिलियन डॉलर? यह निश्चित रूप से भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप है. इससे किसे लाभ होता है? निश्चित रूप से सत्तारूढ़ दल को नहीं! भारत के अलावा अन्य देशों के ‘वोटर टर्नआउट’ फंडिंग में भी कटौती की है.” (https://x.com/sanjeevsanyal/status/1890976797962944528)

बांग्लादेश और नेपाली मदद पर भी कटौती

बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देने और लोकतांत्रिक शासन को बढ़ाने के लिए अमेरिकी सरकार 29 मिलियन डॉलर की मदद दे रही थी. लेकिन अब इस रकम पर भी रोक लगा दी गई है. वहीं नेपाल को वित्तीय फेडरलिज्म के नाम पर 20 मिलियन डॉलर दे रहा था. इस रकम को बंद कर दिया गया है. नेपाल को अमेरिका बायोडाइवर्सिटी संरक्षण की कोशिशों के लिए 19 मिलियन डॉलर दे रहा था. इस पैसे को भी बंद कर दिया गया है.   

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