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USAID फंडिंग के पीछे कौन, देश को पता चलना चाहिए

यूएसएड फंडिंग के पीछे कौन-कौन लोग शामिल हैं, इसका पता देश को चलना चाहिए. ये कहा है, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने. जयशंकर ने देश में अमेरिकी फंडिंग को लेकर मचे घमासान पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है.

भारत में वोट प्रतिशत बढ़ाने को लेकर अमेरिका (यूएसएड) से आने वाले पैसों पर विवाद जारी है. बीजेपी विपक्ष पर तो विपक्ष, बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर रहा है.

पता चलना चाहिए कि इसमें कौन लोग शामिल हैं: जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “यूएसएड को भारत में अच्छे इरादों के साथ सद्भावनापूर्ण गतिविधियों के लिए अनुमति दी गई थी. लेकिन अब अमेरिकी ट्रंप प्रशासन द्वारा बताया गया कि यूएसएड की गतिविधियां दुर्भावनापूर्ण हैं. यह चिंताजनक है. अगर इसमें कुछ है तो देश को पता चलना चाहिए कि इसमें कौन लोग शामिल हैं.”

अमेरिकी फंडिंग की जांच की जा रही है: जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ”भारत सरकार, अमेरिकी एजेंसी द्वारा भारत में वोटर टर्नआउट को प्रभावित करने के लिए 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग की खबरों की आंतरिक समीक्षा कर रही है.” जयशंकर ने कहा, “अब मैं पढ़ता हूं कि अमेरिकी एजेंसी के साथ काम करने वाले कुछ लोगों के नाम लिए जा रहे हैं. लेकिन मेरा मानना है कि सवाल यह नहीं है कि आप यूएसएड के साथ काम करते हैं या नहीं. मामला चिंता करने वाला है.”

डॉज द्वारा रद्द किए गए फंडिंग के बाद हुआ मामले का खुलासा

हाल ही में एलन मस्क ने भारत को दिए जा रहे 21 मिलियन डॉलर की कटौती की थी. भारत को ये पैसे देश में वोट टर्नआउट बढ़ाने के लिए आवंटित किए गए थे. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि “बाइडेन सरकार ने ये पैसे इसलिए भारत में दिए क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आए.”

भारत को फंडिंग किकबैक योजना थी: डोनाल्ड ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन में ‘रिपब्लिकन गवर्नर्स एसोसिएशन’ की बैठक को संबोधित करते हुए भारत को दी गई फंडिंग को लेकर एक और सनसनीखेज दावा किया है.

ट्रंप ने भारत में मतदान बढ़ाने के लिए अमेरिकी फंडिंग पर सवाल उठाते हुए इसे ‘किकबैक स्कीम’ यानी एक रिश्वत जैसी योजना बताया है.

ट्रंप ने कहा, “हम भारत में मतदान की चिंता क्यों कर रहे हैं? हमें खुद अपने देश के मतदान की फिक्र करनी चाहिए. भारत को 21 मिलियन डॉलर देने का मतलब क्या है? मुझे नहीं पता कि वे इसे किस पर खर्च करते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में इसका मतलब होता है रिश्वत. यह पैसा भारत के किसी नेता को जिताने के लिए दिया गया था.”

ट्रंप का नया बयान, बीजेपी-कांग्रेस में छिड़ा घमासान

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि “इस पैसे का इस्तेमाल ‘डीप-स्टेट’ को बनाए रखने के लिए किया गया था. भारत में कुछ लोग अमेरिकी फंडिंग के जरिए सरकारों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं. अब यह साफ हो गया है कि अमेरिका से आया यह पैसा भारत की राजनीति को प्रभावित करने के लिए था, और ट्रंप ने इसे रिश्वत कहा है.”

उधर, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सवाल किया कि “अगर मोदी सरकार की एजेंसियां इतनी मजबूत हैं, तो उन्हें पता क्यों नहीं चला कि यह पैसा भारत में आ रहा था? जब सरकार से पूछा गया कि यह पैसा कब आया, तो उन्होंने कहा कि यह 2012 में यूपीए सरकार के दौरान आया था, तो क्या बीजेपी 2014 का चुनाव इसी पैसे से जीती थी?”

अमेरिका ने की भारतीय चुनावों में दखलअंदाजी?

अमेरिका ने अब तक ये साफ नहीं किया है कि ये पैसे कब भारत को दिए गए. सरकार ने जांच शुरु कर दी है. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी कहा था कि चाणक्य नीति की तरह मामले की जड़ तक जाने की जरूरत है.

सवाल ये है कि कब ये पैसे दिए गए, क्या यूपीए सरकार के दौरान या बीजेपी सरकार के दौरान पैसे भेजे गए. सवाल ये भी है कि क्या सच में अमेरिका दूसरे देशों के चुनावों को प्रभावित करता है और अपनी मनमर्जी की सरकार बनाने की जुगत करता है.

बांग्लादेश की अपदस्थ पीएम शेख हसीना भी अमेरिका पर ऐसे आरोप लगा चुकी हैं, कि एक व्हाइट मैन के जरिए बांग्लादेश के चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की गई थी.  

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