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पाकिस्तान के जिहाद की यूनिवर्सिटी में धमाका, हक्कानी का वारिस ढेर

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब जुमे की नमाज के दौरान एक मदरसे में आत्मघाती हमला किया गया. ‘तालिबान के गॉडफादर’ के बेटे हमीदुल हक हक्कानी को निशाना बनाकर किए गए इस धमाके में 6 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हैं. आत्मघाती हमले में हमीदुल हक की भी मौत हो गई है. 

जिस हारूल उलूम हक्कानिया मदरसे में धमाका किया गया है, उस मदरसे को ‘जिहाद का विश्वविद्यालय’ कहा जाता है. हमले की जिम्मेदारी किसी आतंकी संगठन ने नहीं ली है.

आतंकियों के टारगेट पर था मौलाना हमीदुल हक हक्कानी 

मौलाना हमीदुल हक्कानी, तालिबान को बनाने वाले मौलाना समीउल हक हक्कानी का बड़ा बेटा है. हमीदुल हक्कानी, तालिबान का कट्टर समर्थक था. पुलिस के मुताबिक फिदायीन अटैक हमीदुल को ही निशाना बनाने के लिए किया गया. जिस वक्त हमला हुआ मदरसे में भारी भीड़ थी. जुमे की नमाज के बाद धमाका किया गया. हमीदुल हक हक्कानी नवंबर 2002 से 2007 तक पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य भी बनाया गया था.

हमीदुल हक के पिता समीउल हक की दो नवंबर 2018 को पंजाब प्रांत स्थित उनके पैतृक निवास स्थान पर चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी. अपने पिता समीउल हक की नवंबर 2018 में हुई हत्या के बाद जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (एस) के प्रमुख बना था,

बेनजीर भुट्टो की हत्या में आया था मदरसे का नाम

पिछले साल अफगानिस्तान गए धार्मिक नेताओं के एक समूह का नेतृत्व हमीदुल हक ने किया था. इसे धार्मिक-कूटनीति बताया गया था. अफगानिस्तान दौरे पर हमीदुल हक ने तालिबान के बड़े नेताओं से मुलाकात की थी और पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच तल्खी कम करने की कोशिश की थी. बताया जाता है कि पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या में इसी मदरसे के छात्रों का नाम आया था. लेकिन मदरसे ने इसमें किसी भी तरह से शामिल होने से इनकार किया था. 

दारुल उलूम हक्कानिया अखोरा खट्टक पाकिस्तान के सबसे प्रभावशाली और बड़े धार्मिक स्कूलों में से एक है. इस मदरसे में हजारों छात्र पढ़ते हैं. इसे अफगान तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का समर्थन करने के लिए जाना जाता है. 

जहां हुआ धमाका, उसे कहा जाता है ‘आतंकियों की यूनिवर्सिटी’ 

तालिबान का संस्थापक मुल्ला उमर, जिसने अफगानिस्तान में संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो सैनिकों के खिलाफ विद्रोह की अगुवाई की थी, इस स्कूल से ग्रैजुएट करने वाले कई तालिबानी नेताओं में से एक था. इसी तरह हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी ने भी यहीं से ग्रैजुएट किया था, जो दो दशक के युद्ध के दौरान अफगानिस्तान में कुछ बड़े हमलों के लिए जिम्मेदार था.

कहने के लिए इस मदरसे में पाकिस्तानी और अफगान शरणार्थियों को शिक्षा दी जाती है, लेकिन युवाओं का ब्रेनवॉश करके आतंकी बनाया जाता था, और फिर जिहाद के नाम पर अमेरिकियों के खिलाफ युद्ध के लिए भड़काया जाता है.

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