सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा में तैनात भारतीय सेना की त्रिशक्ति कोर ने टी-90 (भीष्म) टैंक के जरिए एक महीने की लाइव फायरिंग एक्सरसाइज को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. कॉम्बैट तैयारियों को परखने के लिए की गई इस आर्मर्ड वारफेयर ड्रिल में टैंक के साथ रियल-टाइम में ड्रोन का इस्तेमाल भी किया गया.
आर्मर्ड वारफेयर ड्रिल
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, एक्सरसाइज में हाई एल्टीट्यूड वारफेयर क्षमताओं को एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ इंटीग्रेट कर आधुनिक बैटलफील्ड में भी परखा गया. क्योंकि सिलीगुड़ी कॉरिडोर के साथ ही सुकना (दार्जिलिंग) स्थित त्रिशक्ति कोर (33वीं कोर), चीन और भूटान से सटे डोकलाम और नॉर्थ सिक्किम की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी संभालती है.
आर्मर्ड वारफेयर ड्रिल से पहले डेविल-स्ट्राइक एक्सरसाइज
टी-90 टैंक के साथ की गई इस एक्सरसाइज से पहले त्रिशक्ति कोर ने डेविल-स्ट्राइक स्ट्राइक को भी किया था जिसमें एयरबोर्न और स्पेशल फोर्सेज के ऑपरेशन्ल की ड्रिल की गई थी ताकि किसी भी विपरीत परिस्थिति में त्वरित मूवमेंट की जा सके.
सेना के टी-90 टैंक को बुलाया जाता है ‘भीष्म’ के नाम से
टी-90 ‘भीष्म’, भारतीय सेना के सबसे एडवांस टैंक में से एक हैं जिन्हें भारत ने रूस की मदद से तैयार किया है. करीब 25 साल पहले, भारत ने कुछ टी-90 टैंक को सीधे रूस से खरीद कर देश में ही असेंबल किया था. अब इन टैंक का निर्माण भारत में ही किया जाता है. नए टी-90 टैंक को एटीजीएम (एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल) से लैस किया गया है ताकि दुश्मन के टैंक को लंबी दूरी पर ही तबाह कर दिया जाए.
इसके अलावा, टी-90 टैंक में दुश्मन की एटीजीएम को जाम करने की तकनीक से भी लैस किया गया है. साथ ही थर्मल इमेजिंग साइट और एडवांस सेंसर के साथ इन टैंक से रात और किसी भी मौसम में जंग के मैदान में उतार जा सकता है.
सेना ने हालांकि, टी-90 टैंक की संख्या के बारे में कभी खुलासा नहीं किया है लेकिन माना जाता है कि भारतीय सेना के पास 1000 से भी ज्यादा भीष्म टैंक मौजूद हैं.