पहलगाम नरसंहार के बाद बिक्स के विदेश मंत्रियों और सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में नहीं शामिल होंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजीत डोवल. ब्रिक्स की बड़ी बैठक 30 अप्रैल को ब्राजील में होने वाली है.
पाकिस्तान के खिलाफ चल रही बड़े एक्शन के प्लानिंग के चलते जयशंकर और डोवल दोनों ही ब्राजील नहीं जाएंगे. जयशंकर और अजीत डोवल के स्थान पर ब्रिक्स शेरपा भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. वहीं अजीत डोवल की जगह डिप्टी एनएसए पवन कपूर हिस्सा लेंगे.
ब्रिक्स सम्मेलन से दूरी, क्योंकि भारत की सुरक्षा है जरूरी
पहलगाम में हुए हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक घेराबंदी के साथ-साथ सैन्य तैयारियां की जा रही हैं. ऐसे में भारत की सुरक्षा और प्लानिंग में अहम रोल निभाने वाले एस जयशंकर और अजीत डोवल का भारत में रहना बेहद आवश्यक है. पहलगाम नरसंहार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर थे, लेकिन हमले के फौरन बाद पीएम मोदी ने भी दौरा छोड़ दिया और भारत लौट आए थे. ऐसे संवेदनशील समय में विदेश मंत्री और एनएसए का भारत में रहना देश की जरूरत है, इसलिए ब्रिक्स के लिए ब्राजील जाने वाला दौरा रद्द कर दिया गया है. लेकिन विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत के प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी ब्रिक्स शेरपा और एनएसए की बैठक में डिप्टी एनएसए पवन कपूर के कंधों पर है.
ब्रिक्स में किन मुद्दों पर होनी है चर्चा
ब्राजील में होने वाली विदेश मंत्रियों की बैठक में यूक्रेन और पश्चिम एशिया जैसी अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर भी चर्चा होगी. पहलगाम मुद्दे पर भी अनौपचारिक बातचीत की जा सककी है. ब्राजील में होने वाली ब्रिक्स बैठक में 11 सदस्य देशों के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शामिल होंगे. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य जुलाई में होने वाले ब्रिक्स सम्मलेन के लिए एजेंडा तैयार करना और उसे अंतिम रूप देना है. बैठकों में एआई, क्लाइमेट फाइनेंस, क्रॉस बॉर्डर पेमेंट्स, सुरक्षा पर चर्चा होनी है.
ब्रिक्स देश कौन-कौन से हैं
ब्रिक्स ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका का गठबंधन हैं. शुरुआत में 5 देशों से बनाए गए ब्रिक्स गठबंधन में अब 11 देश हैं. इस गठबंधन में अमेरिका शामिल नहीं है. अमेरिका, हमेशा से ही बिक्स को अमेरिका विरोधी मानता है. लेकिन पिछले साल एस जयशंकर ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा था कि ब्रिक्स, अमेरिकी विरोधी नहीं है, बस गैर अमेरिकी संगठन है. गैर अमेरिकी होने का अर्थ ये नहीं है कि संगठन अमेरिका के विरोध की बातें करता है.