By Nalini Tewari
पाकिस्तान के फेल्ड (फील्ड) मार्शल जनरल असीम मुनीर ने एक बार फिर से कश्मीर के नाम पर आतंकियों को ग्रीन सिग्नल दिया है. बलूचिस्तान में मरते सैनिकों को छोड़कर मुनीर ने कहा कि कश्मीरी जनता का न्यायसंगत और साहसी संघर्ष कभी भुलाया नहीं जाएगा.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने ठीक ही कहा है कि पाकिस्तान अपना आतंरिक मामला न देखकर जो उसका (कश्मीर) है नहीं, उसमें तांका झांकी करता है.
एलओसी पहुंचकर असीम ने बकरीद पर छेड़ा कश्मीर राग
असीम मुनीर ने शनिवार को ईद-उल-अज़हा के मौके पर एलओसी पर स्थित अग्रिम चौकियों का दौरा किया. मुनीर ने सैनिकों के साथ त्योहार मनाया और फ्रंट लाइन पर तैनात सैनिकों को सतर्क रहने को कहा. अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने हुए झूठे मुनीर ने सैनिकों से कहा, कि भारत के खिलाफ जीत हासिल की है.
जनरल मुनीर ने एलओसी पर अपने दौरे के दौरान एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को उठाया. पाकिस्तान के तथाकथित ‘सैद्धांतिक रुख’ को दोहराते हुए कश्मीरी जनता को समर्थन जारी रखने का संकल्प जताया. मुनीर ने कहा कि “कश्मीरी जनता का न्यायसंगत और साहसी संघर्ष कभी भुलाया नहीं जाएगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर विवाद का समाधान वहां की जनता की आकांक्षाओं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों के अनुरूप ही होना चाहिए.”
हर धार्मिक और सैन्य मौकों पर कश्मीर पर रोता है पाकिस्तान
पाकिस्तान में कोई भी सैन्य आयोजन हो, या फिर ईद-बकरीद, पाकिस्तानी सेना के अधिकारी या सरकार के मंत्री कश्मीर के लिए रोने लगते हैं और संयुक्त राष्ट्र से गुहार लगाते हैं. पाकिस्तान बार-बार कश्मीर की जनता के नाम पर गुमराह करता रहता है. दुनिया भर में प्रोपेगेंडा फैलाता रहता है. अंतर्राष्ट्रीय मंच से भी फेक नैरेटिव बनाने की कोशिश करता है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर को राग छेड़ा था. जिसकी बंद कमरे में सुनवाई की गई थी. लेकिन पाकिस्तान की इतनी बेइज्जती हुई कि यूएन ने कश्मीर का कोई जिक्र ही नहीं किया.
“जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है”
पाकिस्तान हमेशा यूएन में जम्मू कश्मीर का रोना लेकर पहुंच जाता है, क्योंकि मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक की होती है. मोदी सरकार की आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति है और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने को पाकिस्तान पचा नहीं पा रहा है, क्योंकि कश्मीर के लोग बंदूक से ज्यादा बैलेट पर यकीन करने लगे हैं. चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. इन्हीं सभी स्थितियां पाकिस्तान को हजम नहीं हो रही.
इसी सोच के चलते पहलगाम नरसंहार को अंजाम दिया गया, जहां 26 पर्यटकों को आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया. भारत सरकार की नीति हालांकि, बिल्कुल साफ है. भारत ने पाकिस्तान को और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी कई बार इस बात को दोहराया है कि “जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा.”
किसी तीसरे की जरूरत नहीं, पाकिस्तान को उसी की भाषा में मिलेगा जवाब:विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय ने कश्मीर पर एक बार फिर भारतीय नीति की घोषणा की है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रव्त रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमारा लंबे अरसे से यही पक्ष रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से संबंधित किसी भी मुद्दे को भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय तरीके से ही हल करना है. इस नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. लंबित मामला केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना है.”
विदेश मंत्री एस जयशंकर भी बता चुके हैं कि पाकिस्तान को उसी के भाषा में जवाब मिलेगा. पाकिस्तान के हर सकारात्मक और नकारात्मक कदम पर उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा.”