Breaking News Middle East War

ईरान में भारत का ऑपरेशन सिंधु, 110 छात्र दिल्ली पहुंचे

ईरान और इजरायल के बीच भीषण होती जंग के बीच भारत ने भारतीयों को बचाने के लिए लॉन्च किया है ऑपरेशन सिंधु. ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से 110 छात्रों का ग्रुप दिल्ली पहुंच चुका है. इन छात्रों को आर्मेनिया के रास्ते भारत लाया गया है. सभी छात्रों ने भारत सरकार का आभार जताते हुए कहा है कि अपने देश वापस आकर बहुत शांति है. छात्रों ने आपबीती सुनाते हुए कहा, ईरान में हालात नाजुक हैं, उनके हॉस्टल के ऊपर से मिसाइलें दागी जा रही थीं

110 छात्रों को लाया गया भारत, छात्रों ने जताया आभार

भारत ने ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से भारतीय छात्रों की सुरक्षित निकासी शुरु कर दी है. रेस्क्यू ऑपरेशन के पहले चरण के तहत 110 भारतीय छात्रों को इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट देर रात 3 बजकर 43 मिनट पर दिल्ली लैंड हुई. इन 110 छात्रों में 94 जम्मू-कश्मीर से हैं जबकि 16 लोग अन्य 6 राज्यों से है.  ईरान से लौटने वाले छात्रों में  54 लड़कियां भी शामिल हैं. सकुशल देश वापस आने के बाद इन छात्रों के खुशी देखी जा सकती थी. छात्रों ने बताया ईरान में हालात बेहद खराब हैं.

आर्मेनिया के रास्ते से भारत लाए गए छात्र, बताई आपबीती

इजरायल और ईरान के बीच जारी जंग का 7वां दिन है. जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, दोनों देशों के बीच जंग भीषण होती जा रही है. अमेरिका की ओर से भी इजरायल को हमले के लिए हरी झंडी दे दी गई है. 

भारत लौटे कश्मीर के रहने वाले एक छात्र जो उर्मिया विश्वविद्यालय में एबीबीएस के छात्र थे, उन्होंने ईरान की स्थिति के बारे में बताया है. छात्र ने बताया कि “उनके कॉलेज और हॉस्टल के ऊपर से ड्रोन और मिसाइलें बरस रही थीं. छात्र ने कहा, हम भारत लौटकर खुश हैं और भारत सरकार, खासकर विदेश मंत्रालय के बहुत शुक्रगुजार हैं. हमारे माता-पिता भी चिंतित थे, लेकिन अब वे खुश हैं.”

एक दूसरे छात्र ने कहा कि “मुझे खुशी है कि मैं अपने देश वापस आ गया हूं. ईरान के अन्य स्थानों पर स्थिति खराब थी. भारत सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार ने हमारी बहुत मदद की, यही वजह है कि हम घर वापस आ गए हैं.”

भारतीय दूतावास ने हमारी बहुत मदद की: भारत लौटी छात्रा

ईरान से निकाली गई छात्रा मरियम ने बताया कि “भारतीय दूतावास ने हमारे लिए पहले से ही सब कुछ तैयार कर रखा था. जिसकी वजह से हमें किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा.” मरियम के मुताबिक, “जिस हॉस्टल में वो रहती थी उसके ऊपर से जब मिसाइल निकलती तो हॉस्टल की खिड़कियां हिल जाती थी.”

एक दूसरे छात्रा ने बताया कि “ईरान में दिन-ब-दिन स्थिति खराब हो रही है. वहां से सभी भारतीय छात्रों को निकाला जा रहा है. भारतीय अधिकारी अच्छा काम कर रहे हैं. सभी छात्रों को निकालकर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया जा रहा है. हमें हमारी यूनिवर्सिटी से निकाला गया और आर्मेनिया ले जाया गया, जिसके बाद हमें कतर ले जाया गया. कतर से हम भारत पहुंचे हैं.”

ईरान-इजरायल में कितने भारतीय, तेहरान से कोम ले जाए गए भारतीय

आंकड़ों के मुताबिक अकेले ईरान में ही 10000 से ज्यादा भारतीय फंसे हैं जिनमें आधे से ज्यादा छात्र हैं. तेहरान में हालात खराब होने के कारण भारतीय दूतावास ने तेहरान से सभी भारतीयों को निकालना शुरु कर दिया है. भारतीयों को ईरान की सुरक्षित जगह कोम जो कि एक धार्मिक स्थल है, वहां लाया गया है. भारतीय दूतावास ने तेहरान में मौजूद सभी भारतीय नागरिकों और प्रवासी भारतीयों को अपनी खुद की परिवहन व्यवस्था से जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों की ओर जाने की सलाह दी है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हालात लगातार बदल रहे हैं, और जरूरत पड़ने पर आगे और एडवाइजरी जारी की जाएंगी. वहीं इजरायल में 22000 के आसपास भारतीय हैं.

रूस-यूक्रेन जैसी वापसी भारतीयों के लिए क्यों नहीं आसान?

साल 2022 के फरवरी महीने में जब रूस-यूक्रेन का युद्ध शुरु हुआ था, तो यूक्रेन में 20000 से ज्यादा भारतीय छात्र और लोग फंसे थे. सभी ने गुहार लगाई थी कि जल्द से जल्द बाहर निकाला जाए. उस वक्त मोदी सरकार ने ऑपरेशन गंगा लॉन्च करके भारतीयों को बाहर निकाला था. यहां तक की भारतीय लोगों की सुरक्षित निकासी के चलते रूस-यूक्रेन में कुछ घंटों का युद्धविराम था, जिसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जाता है. 

लेकिन ईरान में फंसे भारतीयों की निकासी थोड़ी टेंशन वाली है, वो इसलिए क्योंकि ईरान के पड़ोसी देश अफगानिस्तान और पाकिस्तानी की ओर से निकासी टेढ़ी खीर है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान और भारत में तनाव है. पाकिस्तान ने अपना हवाई मार्ग बंद किया है. 

मतलब साफ है कि पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र के रास्ते भारतीयों की वापसी मुश्किल है. वहीं जमीनी मार्ग की बात की जाए तो ईरान की जमीनी सीमा अर्मेनिया, अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से लगती है. इसके अलावा तुर्किए और इराक, युद्धग्रस्त ईरान के पड़ोसी देश हैं. 

अजरबैजान और तुर्किए हमेशा से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ रहता है. अजरबैजान और अर्मेनिया के युद्ध में भारत अर्मेनिया के साथ रहता है. अर्मेनिया को भारत की ओर से दिए गए हथियारों (पिनाका मिसाइल)से भी अजरबैजान चिढ़ता है, यानि अजरबैजान से भी भारतीयों का आना थोड़ा कठिन है. तो तुर्किए के दुश्मन देश साइप्रस में दो दिन पहले ही पीएम मोदी पहुंचे थे. तुर्किए ने भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को ड्रोन की खेप पहुंचाई थी, जिसके बल पर पाकिस्तान उछल रहा था. वो बात अलग थी कि तुर्किए के सारे ड्रोन फेल रहे. यानि भारतीयों का तुर्किए, अजरबैजान, पाकिस्तान के रास्ते लाना खतरों से भरा है, जिसे भारत विकल्प के तौर पर भी नहीं सोचेगा.

तुर्कमेनिस्तान और भारत के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों से प्रगाढ़ हैं, यानि भारतीयों की निकासी अर्मेनिया और तुर्कमेनिस्तान के जरिए ही हो सकती है, जिसकी कोशिशें की जा रही हैं.

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *