रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाते हुए डीआरडीओ ने बनाई है एक शानदार कार्बाइन. कार्बाइन हल्की होने के साथ-साथ कॉम्पैक्ट और बेहद ही सशक्त है. नजदीकी लड़ाई में इसका कोई तोड़ नहीं. डीआरडीओ और भारत फोर्ज लिमिटेड द्वारा बनाई गई कार्बाइन का डिजाइन, सेना को सबसे ज्यादा पसंद आई है. इस कार्बाइन गन को पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैबल्शिमेंट ने डिजाइन करने में अहम भूमिका निभाई है. सेना ने डीआरडीओ और भारत फोर्ज को सीक्यूबी कार्बाइन के लिए 2000 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट मिला.
सेना को पसंद आई देसी कार्बाइन, डीआरडीओ को 2000 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट
रक्षा के क्षेत्र में भारत ने एक और मजबूत कदम उठाया है. सेना ने डीआरडीओ और भारत फोर्ज लिमिटेड द्वारा बनाई गई कार्बाइन को पसंद किया है और सेना ने 2000 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट दिया है.
डीआरडीओ ने जानकारी देते हुए सोशल मीडिया एक्स पर बताया
“…5.56×45 मिमी सीक्यूबी कार्बाइन, जिसे आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई), डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है और भारत फोर्ज लिमिटेड द्वारा निर्मित, भारतीय सेना के आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) में एल1 के रूप में चुना गया है.”
क्या है सीक्यूबी कार्बाइन की खासियत, जो सेना को बनाएगी मजबूत
डीआरडीओ और भारत फोर्ज लिमिटेड ने इस सीक्यूबी यानी क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन खासतौर से नजदीकी लड़ाई के लिए बनाई है. मसलन युद्ध के क्षेत्र में या फिर आतंकियों के एनकाउंटर के वक्त जब दुश्मन के साथ आमने सामने की लड़ाई हो रही हो तो ये कार्बाइन बेहद असरदार रहेगी.
ये हल्की होने के साथ-साथ तेज और छोटी है. इसका वजन सिर्फ 3 किलो के आसपास है, तो सैनिक इसे लंबे समय तक आसानी से ले जा सकते हैं. इसकी विशेषता की बात की जाए तो यह कार्बाइन कॉम्पैक्ट और अत्यधिक प्रभावी है, जो इसे विशेष बलों और आतंकवाद विरोधी इकाइयों के लिए एक आदर्श हथियार बनेगी.
ये नई कार्बाइन 5.56×45 एमएम गोली चलाती है, जो इंसास राइफल की गोलियों जैसी है. इससे सेना को गोलियां लाने-ले जाने में आसानी होगी, क्योंकि ये गोली पहले से इस्तेमाल होती है.
आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) ने कार्बाइन के डिजाइन और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है.
स्टर्लिंग कार्बाइन को रिप्लेस करेगी नई सीबीक्यू
सेना लंबे समय से स्टर्लिंग कार्बाइन को बदलने की तैयारी कर रही थी.भारतीय सेना में मौजूदा समय में 1940 में डिजाइन की गई सब मशीन गन स्टर्लिंग कार्बाइन का उपयोग किया जाता है. जिसके बाद डीआरडीओ,एआरडीई ने नई कार्बाइन बनाने पर काम शुरु किया.
इस कार्बाइन का चयन भारतीय रक्षा उद्योग की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो घरेलू डिजाइन और विकास को बढ़ावा देता है. इस कार्बाइन के शामिल होने से भारतीय सेना की विशेष बल इकाइयों की क्षमताएं और प्रभावशीलता बढ़ेगी, जो आतंकवाद विरोधी और अन्य विशेष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.