कॉकेशियन देश आर्मेनिया में प्रधानमंत्री निकोल पाशियन के धर्म-परिवर्तन के आरोपों के बीच राजनीतिक भूचाल आ गया है. पाशियन ने इन सनसनीखेज आरोपों को लगाने वाले पादरी सहित विपक्षी नेताओं और टॉप बिजनेसमैन को देश में तख्तापलट के जुर्म में जेल भिजवा दिया है.
पादरी ने पाशियन पर ईसाई धर्म छोड़कर यहूदी धर्म स्वीकार करने का आरोप लगाया था. इस पर राष्ट्रपति ने चर्च के सामने अपने ईसाई होने के सबूत पेश करने का ऑफर दे दिया है.
पाशियन ने खुद को चर्च के सामने इसलिए पेश होने के लिए कहा है क्योंकि यहूदी धर्म में भी इस्लाम की तरह पुरुषों का खतना करने की परंपरा है. पीएम ने चर्च के सामने खुद को एक्सपोज कर पूरे देश को भौचक्का कर दिया है.
प्रधानमंत्री ने पादरियों, बिजनेसमैन और विपक्षी नेताओं पर लगाए तख्तापलट के आरोप, कराई गिरफ्तारी
आर्मेनिया के प्रधानमंत्री ने हालांकि, अपने ईसाई होने के सबूत देने के साथ ही, देश के कई पादरियों, बिजनेसमैन और विपक्षी पार्टियों के नेताओं को हिरासत में ले लिया है. पाशियन ने सभी पर तख्तापलटने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद जैसे मामले दर्ज कराए हैं. पादरियों की गिरफ्तारियों पर जनता भड़क गई है. जगह-जगह पुलिस और जनता के बीच झड़प हो रही है. सुरक्षाबलों के जबरदस्ती चर्च में घुसने की तस्वीरें भी सामने आई हैं.
आर्मेनिया में सरकार और चर्च के बीच विवाद तब शुरू हुआ जब पाशियन ने देश के एक अहम पादरी पर धर्म का उल्लंघन करते हुए एक लड़की का पिता होने का आरोप लगाया था.
नागोर्नो-काराबाख जंग में मुंह की खाने के बाद पीएम निकोल पाशियन की रेटिंग डाउन
वर्ष 2020 में आर्मेनिया का पड़ोसी देश अजरबैजान से विवादित नागोर्नो-काराबाख को लेकर युद्ध हुआ था. जंग में आर्मेनिया को मुंह की खानी पड़ी थी और विवादित इलाके का एक बड़ा क्षेत्र अजरबैजान के हाथों गंवाना पड़ा था. तभी से आर्मेनिया के प्रधानमंत्री की लोकप्रियता अपने देश में कम हो गई है.
अगले साल आर्मेनिया में आम चुनाव होने हैं. उससे पहले ही राजनीति में भूचाल आ गया है. लेकिन ये खबर भारत के लिहाज चिंता पैदा कर सकती है. क्योंकि हाल के सालों में आर्मेनिया के भारत से संबंध काफी मजबूत हुए हैं. जबकि आर्मेनिया के कट्टर दुश्मन अजरबैजान को पाकिस्तान का करीबी माना जाता है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आर्मेनिया ने भारत का समर्थन किया था जबकि अजरबैजान ने टर्की की तरह पाकिस्तान का साथ दिया था.