ब्रिक्स देशों के ब्राजील में इकट्ठा होने से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिर बिदक गए हैं. ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को धमकी दी है. ट्रंप ने कहा है कि जो भी देश ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़ेगा, उस पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा. हालांकि ट्रंप की इन धमकी और बयानों को कोई अब गंभीरता से नहीं लेता है, क्योंकि ट्रंप कुछ भी दावा कर देते हैं, कुछ भी कह देते हैं, और फिर अपने बयान से ही पलट जाते हैं.
ब्रिक्स देशों को ट्रंप ने धमकाया, दी अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को लेकर ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा,’कोई भी देश जो ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़ता है, उस पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा. इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा. इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद.’
अमेरिका का नाम लिए बिना ब्रिक्स ने ईरान पर अटैक और टैरिफ की निंदा की
ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल देशों ने अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हुए हमले और टैरिफ की निंदा की गई है.
सम्मेलन के पहले ब्रिक्स देशों ने कहा कि बढ़ते टैरिफ (शुल्क) से वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है और यह डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ है, हालांकि किसी ने भी अमेरिका का नाम नहीं लिया था.
वहीं मेजबान ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने नाटो की तरफ से सैन्य खर्च बढ़ाने के फैसले की आलोचना की है. राष्ट्रपति लूला ने कहा कि शांति की तुलना में युद्ध में निवेश करना हमेशा आसान होता है.
ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स 2025 शिखर सम्मेलन में, 10 सदस्य देशों – ब्राजील, चीन, मिस्र, इथियोपिया, भारत, इंडोनेशिया, ईरान, रूसी संघ, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त अरब अमीरात ने हिस्सा लिया है.
क्या ट्रंप की धमकी का भारत से हो रही ट्रेड डील पर दिखेगा असर?
बताया जा रहा है कि अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील पर मंथन किया जा रहा है. ट्रेड डील अपने अंतिम चरणों में है. ब्रिक्स देशों पर 10 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ की धमकी देने का असर भारत पर भी दिख सकता है, क्योंकि भारत ब्रिक्स समूह का एक अहम देश है.
आपको बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच 9 जुलाई से पहले अंतरिम व्यापार समझौते की घोषणा की जा सकती है. सूत्रों के मुताबिक भारत ने अमेरिका के सामने अपना रुख साफ कर दिया है कि वो व्यापार के लिए किसी दबाव में नहीं झुकेगा. भारत ने अमेरिका के साथ होने वाले ट्रेड डील के लिए कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों में प्रमुख मुद्दों पर अपनी सीमाएं तय कर दी हैं, इसलिए अब सौदे को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी वाशिंगटन के हाथ में है. माना जा रहा है कि 9 जुलाई से पहले-पहले ट्रेड डील पर मुहर लग सकती है.