राजस्थान के चुरू में वायुसेना के लड़ाकू जेट जगुआर के दुर्घटनाग्रस्त होने से हड़कंप मच गया. हादसा उस वक्त हुआ जब जगुआर से ट्रेनिंग ली जा रही थी. हादसे में पायलट और को पायलट दोनों की ही मौके पर मौत हो गई. भारतीय वायुसेना ने औपचारिक बयान जारी करते हुए बताया है कि दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी गठित की गई है.
पांच महीने में जगुआर का तीसरा क्रैश, जांच शुरु
वायुसेना में डीप-पैनिट्रेसेन की खासयित रखने वाले जगुआर का पिछले पांच महीने में ये तीसरा क्रैश है. वायुसेना के मुताबिक, क्रैश हुआ जगुआर एक ट्रेनर एयरक्राफ्ट था, जिस पर दो पायलट तैनात थे. इस लड़ाकू विमान ने सूरतगढ़ एयरबेस से उड़ान भरी थी. जानकारी के मुताबिक, ये फाइटर जेट एक रूटीन ट्रेनिंग मिशन पर था. हमले में किसी भी तरह की सिविल प्रॉपर्टी को कोई नुकसान नहीं हुआ है. वायुसेना ने घटना पर शोक जताते हुए दोनों पायलट के परिवारों के प्रति संवेदनाएं जताई हैं.
एयरो शो में ग्राउंड प्रदर्शनी में शामिल हुआ था दुर्घटनाग्रस्त जगुआर
जानकारी के मुताबिक, जिस जगुआर लड़ाकू विमान का बुधवार को चूरू में क्रैश हुआ, उसे वर्ष 2023 में बेंगलुरु में आयोजित एयरो शो में ग्राउंड-प्रदर्शनी में शामिल किया गया था. उस दौरान, जगुआर को स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्लू) और आएसा रडार से लैस किया गया था.
विमान का टेल नंबर (जेएस159) भी बुधवार को क्रैश के बाद चूरू में मलबे में बरामद हुआ है. मलबे में फाइटर जेट के निर्माण का महीना और वर्ष भी लिखा है यानी जुलाई 1980. ठीक 45 साल बाद यानी जुलाई 2025 में विमान क्रैश हुआ है.
बुधवार को दक्षिणी राजस्थान में वायुसेना की दो (02) दिवसीय एक्सरसाइज भी चल रही थी. इसके लिए वायुसेना ने 9-10 जुलाई के लिए पाकिस्तानी से सटी एयरस्पेस के लिए नोटम (नोटिस टू एयरमैन) जारी किया था.
फरवरी के महीने में जामनगर में जगुआर जेट क्रैश हुआ
इसी साल फरवरी के महीने में भी गुजरात के जामनगर में वायुसेना का एक जगुआर तकनीकी खराबी के चलते क्रैश हुआ था. हादसे में पायलट सुरक्षित बच गए थे.
इसके अलावा 2 अप्रैल को ही पंचकुला (हरियाणा) में भी एक ट्रेनर जगुआर क्रैश हो गया था. इस हादसे में एक पायलट की मौत हो गई थी और एक सुरक्षित बच गया था.
इस साल यानी 2025 के पहले सात महीनों में वायुसेना के कुल पांच एयरक्राफ्ट क्रैश हुए हैं.
जगुआर को क्यों कहते है शमेशर, ये खासियत है वजह
भारतीय वायुसेना ने 70 के दशक के आखिरी वर्षों और 80 के दशक में यूरोप (इंग्लैंड और फ्रांस) की सैपकैट (एसईपीईसीएटी) कंपनी से जगुआर लड़ाकू विमानों को खरीदा था. वायुसेना के पास फिलहाल जगुआर के कुल 06 स्क्वाड्रन हैं.
ये स्क्वाड्रन, अंबाला, जामनगर और गोरखपुर में तैनात रहती हैं. परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम, जगुआर फाइटर जेट को दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने और मेरीटाइम ऑपरेशन्स के लिए जाना जाता है.
वायुसेना में जगुआर को ‘शमशेर’ के नाम से जाना जाता है. ये एक टूइन यानी दो इंजन वाला सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट है जिसकी रेंज करीब 575 किलोमीटर है.
सैपकेट कंपनी अब बंद हो चुकी है. ऐसे में जगुआर फाइटर जेट का निर्माण भी बंद हो चुका है. भारतीय वायुसेना उन चुनिंदा एयरफोर्स में है, जो अभी भी जगुआर फ्लाई करती है.
राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना पर दुख व्यक्त किया है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पायलट और को पायलट के निधन पर शोक जताते हुए प्रार्थना की है.