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TRF ग्लोबल आतंकी संगठन घोषित, 3 महीने बाद अमेरिका को आई सुध

अमेरिका ने टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित करते भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की कोशिश की है. टीआरएफ, पाकिस्तान के लश्कर ए तैयबा का ही ग्रुप है. पहलगाम नरसंहार के पीछे टीआरएफ का हाथ था. पाकिस्तान के लिए ये एक बड़ा झटका है क्योंकि अमेरिकी विदेश विभाग ने टीआरएफ को सीधे तौर से आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का ही एक ‘फ्रंट’ और ‘प्रॉक्सी’ करार दिया है. भारत ने अमेरिका के फैसले की सराहना की है

अमेरिका ने माना पहलगाम नरसंहार के पीछे टीआरएफ, वैश्विक आतंकी संगठन बताया

अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, टीआरएफ ने पहलगाम हमले (22 अप्रैल) की जिम्मेदारी ली है, जिसमें 26 मासूम नागरिकों की जान गई थी. अमेरिका के मुताबिक, पहलगाम हमला, वर्ष 2008 में मुंबई आतंकी हमले के बाद सबसे घातक अटैक है. पहलगाम हमले से पहले भी टीआरएफ ने जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली है.

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने टीआरएफ को नामित फोरेन टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन (एफटीओ) और स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (एसडीजीटी) की श्रेणी में डाल दिया है. 

अमेरिका ने इमीग्रेशन और राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 219 और कार्यकारी आदेश 13224 के तहत, क्रमशः लश्कर-ए-तैयबा को एफटीओ और एसडीजीटी के रूप में नामित करने के लिए टीआरएफ और अन्य संबंधित उपनामों को जोड़ा है.

आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्ध अमेरिका: मार्को रुबियो

अमेरिकी विदेशी सचिव मार्को रुबियो ने बयान जारी कर कहा कि टीआरएफ को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित करना, “ट्रंप प्रशासन की राष्ट्रीय हितों की रक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले के लिए राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप के न्याय के आह्वान को लागू करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.”

एस जयशंकर ने मार्को रुबियो को कहा “थैंक्यू”

अमेरिका के इस कदम को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्वागत किया है. जयशंकर ने कहा, “दोनों देशों (भारत और अमेरिका) के आतंकवाद के खिलाफ साथ लड़ने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. भारत ने आतंकवाद पर अमेरिका के कड़े रूख को सराहा. क्योंकि भारत का भी यही मानना है कि टीआरएफ और लश्कर, अलग-अलग संगठन नहीं है.” 

जयशंकर ने रूबियो और यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की प्रशंसा करते हुए कहा कि “दोनों देशों की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है.”

आतंकवाद के दोहरे रवैये पर अमेरिका से भारत ने जताई थी नाराजगी

पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जो ऑपरेशन सिंदूर छेड़ा था. लेकिन अपने हित को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में तोल रहे थे. जिसके बाद भारत ने अलग-अलग मंचों से नाराजगी जताई थी कि पीड़ित और आरोपी देश एक साथ नहीं तोले जा सकते हैं.

भारत ने दो टूक कह दिया है कि आतंकवाद से पीड़ित देश (भारत) की तुलना आतंकवाद को पालने और बढ़ावा देने वाले देश (पाकिस्तान) से कतई स्वीकार नहीं की जाएगी.

नोबल पुरस्कार की चाहत डोनाल्ड ट्रंप के सिर पर इस कदर हावी हो गई कि आतंकियों को शह देने वाले पाकिस्तानी आर्मी चीफ असीम मुनीर के साथ लंच किया. भारत का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था. यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के अमेरिका निमंत्रण को भी ठुकरा दिया था. 

लश्कर का प्रॉक्सी नाम टीआरएफ, कश्मीर के कई हमलों के पीछे टीआरएफ आतंकी

वर्ष 2019 में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद ही टीआरएफ का अस्तित्व सामने आया था. टीआरएफ ने लश्कर और पाकिस्तान की भारत-विरोधी गतिविधियों को स्थानीय कश्मीरी की आवाज बताने की साजिश रची. 

वर्ष 2023 में गृह मंत्रालय ने टीआरएफ को आतंकी संगठन करार देते हुए यूएपीए के तहत प्रतिबंधित कर दिया था. भारत की सुरक्षा एजेंसियों के पास पुख्ता सबूत हैं कि टीआरएफ को लश्कर के साथ-साथ पाकिस्तानी सरकार और खुफिया एजेंसी आईएसआई का पूरा समर्थन है. 

टीआरएफ को आतंकी मोहम्मद अब्बास शेख, शेख सज्जाद गुल, बासित अहमद डार और अहमद खालिद ने मिलकर बनाया. अब्बास शेख और बासित को भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने अलग-अलग ऑपरेशन में मार गिराया है. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, खालिद अब टीआरएफ का प्रवक्ता है और सोशल मीडिया पर कश्मीर-फाइट के नाम से अकाउंट ऑपरेट करता है.

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