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भारत का शेर, करेगा दुश्मन को ढेर

असॉल्ट राइफल के क्षेत्र में शेर और आत्मनिर्भर भारत का सबसे बड़ा उदाहरण दुश्मनों को परास्त करने को तैयार है. 15 अगस्त से पहले रूस की मदद से तैयार हुई शेर की खेप भारतीय सेना को मिलने वाली है. एक मिनट में 700 दुश्मनों को ढेर करने में माहिर इस असॉल्ट राइफल एके- 203 की डिलीवरी अगले कुछ सप्ताह में भारतीय सेना को मिलने वाली है. बताया जा रहा है कि 7000 राइफल की डिलीवरी की जाएगी.

अमेठी में तैयार हो रहा शेर, भारतीय सेना का खास हथियार

इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) अमेठी, उत्तर प्रदेश में ‘मेड इन इंडिया’ एके-203 राइफल्स का निर्माण कर रही है. कंपनी के मुताबिक, पिछले 18 महीनों में 48000 राइफल भारतीय सेना को सौंपी जा चुकी हैं. इस साल के अंत तक 70 हजार देनी है. अभी इस राइफल में 50 प्रतिशत स्वदेशी कंटेट है. 

यह परियोजना भारत की रक्षा में आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन रही है, क्योंकि अमेठी स्थित कोरवा प्लांट में रूस की मदद से तैयार की जा रही है स्वदेशी राइफल. करीब छह लाख राइफल इस प्लांट में भारतीय सेना के लिए तैयार की जा रही हैं. 

दिसंबर 2025 तक पूर्ण स्वदेशी होगी असॉल्ट राइफल

दिसंबर 2025 में जब 100% स्वदेशी मैटिरयल इस्तेमाल होगा, तो इसे ‘शेर’ के नाम से जाना जाएगा. 2032 तक पूरी तरह पुरानी पड़ चुकी इन्सास राइफल की जगह भारतीय सैनिकों के हाथ में एके-203 पहुंच जाएगी. यानी एक राइफल, श्रेष्ठ राइफल. 

वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मेक इन इंडिया के तहत एके-203 असॉल्ट राइफल के निर्माण के लिए यूपी के कोरवा (अमेठी) में एक साझा प्लांट का उद्घाटन किया था. इसके लिए दोनों देशों ने 5200 करोड़ का करार किया था. 

वर्ष 2021 में भारत और रूस ने कोरबा प्लांट में साढ़े सात लाख (7.50 लाख) से भी ज्यादा एके-203 राइफल के निर्माण के लिए 5000 करोड़ का करार किया था. लेकिन किसी ने किसी कारणों के चलते एके 203 राइफल के निर्माण में देरी हुई. 

गलवान झड़प के बाद राइफल की मांग बढ़ी, पहली बार भारत-रूस ने मिलकर प्राइवेट कंपनी बनाकर बनाई राइफल

वर्ष 2020 में गलवान घाटी की झड़प और पूर्वी लद्दाख में चीन से शुरु हुए विवाद के चलते भारतीय सेना को आनन-फानन में अमेरिका से 72-72 हजार सिग-सोर राइफल्स की खेप का दो बार ऑर्डर भी देना पड़ा था. साल 2024 में एक बार फिर से राइफल निर्माण ने तेजी पकड़ी और सेना को राइफलों की खेप पहुंचाई गई. 

एके-203 राइफल के निर्माण के लिए भारत और रूस ने पहली बार एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का गठन किया, जिसे इंडो रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) का नाम दिया गया है.

देश के इतिहास में पहली बार ऐसी प्राइवेट कंपनी का गठन किया गया जिसकी कमान सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी को सौंपी गई. इस वक्त भारतीय सेना के मेजर जनरल एस के शर्मा, आईआरआरपीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ हैं. रक्षा मंत्रालय के ही आईआरआरपीएल कंपनी में मेजर शेयर हैं. 

मित्र देशों को भी एक्सपोर्ट करेंगे राइफल, दुनिया की टॉप 5 कंपनी में शामिल होगा कोरवा प्लांट- मेजर जनरल एस के शर्मा

मेजर जनरल शर्मा ने बताया कि, “सेना को दिसंबर 2030 तक सभी छह लाख राइफल की डिलीवरी कर दी जाएगी, यानी तय समय से 22 महीने पहले.”

जनरल शर्मा के मुताबिक, “मेक फॉर द वर्ल्ड के तहत, एके-203 को मित्र-देशों को एक्सपोर्ट भी किया जाएगा. इसके अलावा आने वाले समय में एके सीरीज की दूसरी राइफल का निर्माण करने का भी लक्ष्य है. साथ ही यूबीजीएल ग्रेनेड लॉन्चर भी बनाए जाएंगे.” 

जनरल शर्मा ने कहा,”कोरवा प्लांट को दुनिया की टॉप फाइव (05) कंपनी में शामिल करना है.” 

असॉल्ट राइफल के निर्माणा में रही है आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी की भूमिका

मौजूदा थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी एक-203 के भारत में बनाए जाने में अहम भूमिका निभाई थी. भारतीय सेना की इन्फेंट्री महानिदेशालय के डीजी के तौर पर जनरल द्विवेदी ही रूस में शुरूआती वार्ता के लिए गए थे और रूस को एके सीरीज की सबसे आधुनिक और उन्नत वर्जन की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने के लिए तैयार किया था. जिस तरह एके-47, 1947 मॉडल की गन है, एके-203, 2019 का वर्जन है. 

अमेठी के कोरवा प्लांट के बारे में जानिए

कोरवा प्लांट का लक्ष्य हर साल 70 हजार राइफल के निर्माण का है (प्रतिदिन 600). इस साल के अंत तक सेना को 70 हजार राइफल मिलने की उम्मीद है. इसके बाद सभी एके-203 राइफल, पूरी तरह स्वदेशी होंगी. 

कोरवा प्लांट में फिलहाल 550 लोग काम करते हैं. इनमें से 12 रशियन है. सीएफओ सहित कुल 03 रूसी, कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल हैं. बाकी 90 प्रतिशत स्थानीय अमेठी के ही रहने वाले हैं. 

कोरवा प्लांट में ही फायरिंग रेंज और क्वालिटी कंट्रोल लैब है. इस दौरान एक महिला कर्मचारी ने फायरिंग का प्रदर्शन किया. एके-203 बेहद हल्की गन है. इसका वजन महज 3.6 किलोग्राम है. ये 7.62x .39 एमएम की राइफल है जिसकी रेंज करीब 800 मीटर है. एके-203 एक मिनट में 700 राउंड फायरिंग कर सकती है. 

कोरवा प्लांट में फायरिंग ड्रिल के दौरान ऐसी एके-203 राइफल को भी दिखाया गया जो 15 हजार राउंड फायर कर चुकी हैं यानी अपनी लाइफ पूरी कर चुकी है. बावजूद इसके पूरी तरह काम कर रही है. अधिकारियों के मुताबिक. एके-203 करीब 40 हजार राउंड फायर कर सकती है.

सेना के अलावा पैरा मिलिट्री फोर्स और राज्य पुलिस भी लेगी ‘शेर’
सेना के अलावा राज्यों की पुलिस और केंद्रीय पुलिसबलों मे भी एके-203 खरीदने का होड़ मची है. हाल ही में केरल पुलिस ने एके-203 खरीदने का टेंडर जारी किया है. केरल पुलिस ने 31 मार्च को एक ई-टेंडर जारी किया था. इस टेंडर के मुताबिक कुल 250 राइफल की खरीद करनी है. डील होने के बाद केरल देश का पहला राज्य बन जाएगा जिसके पास सबसे आधुनिक असॉल्ट राइफल होगी.

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