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पुतिन जीते, रूस के Menu में यूरोप: हंगरी

By Nalini Tewari

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाली मीटिंग से पहले हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने पश्चिमी देशों पर तंज कसा है. पुतिन के करीबी माने जाने वाले विक्टर ओर्बन ने कहा है कि ,रूस युद्ध में जीत चुका है. यूक्रेन युद्ध हार चुका है, लेकिन पश्चिमी देश इसी स्वीकार नहीं करना चाहते.

ओर्बन वो नेता हैं तो नाटो और ईयू (यूरोपीय यूनियन) के सहयोगी हैं, बावजूद इसके यूक्रेन को हथियार भेजने का विरोध करते हैं.

रूस जीत चुका है युद्ध, पश्चिमी देश कब स्वीकारेंगे: हंगरी

अपनी बेबाक बयानबाजी के लिए प्रसिद्ध हंगरी के पीएम विक्टर ओर्बन ने रूस को विजेता बताया है. ओर्बन ने अपने ताजा बयान में कहा है कि “यूक्रेन युद्ध हार चुका है. अब यह देखना होगा कि पश्चिमी देश इस सच्चाई को कब और किन परिस्थितियों में स्वीकार करते हैं.”

ईयू ने पुतिन से बातचीत का मौका गंवाया: विक्टर ओर्बन

विक्टर ओर्बन ने कहा, “यूरोप ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के दौरान पुतिन के साथ बातचीत करने का मौका गंवा दिया. यूरोप इस जोखिम में है कि उसका भविष्य उसकी भागीदारी के बिना ही तय हो जाएगा.” 

ओर्बन ने कहा, “अगर आप बातचीत की टेबल पर नहीं हैं, तो आप मेन्यू में हैं. अगर यूरोपीय संघ थोड़ा सा भी समझदार है तो वो अमेरिका-रूस बैठक के उदाहरण के आधार पर यूरोपीय संघ-रूस शिखर सम्मेलन शुरू करे.”

हंगरी पीएम ने यूक्रेन पर यूरोपीय संघ के मंगलवार को जारी संयुक्त बयान का भी विरोध किया. विक्टर ओर्बन बोले, “ये संयुक्त बयान यूरोप को हास्यास्पद और दयनीय बनाता है.” 

ईयू के 26 देशों का संयुक्त बयान, हंगरी ने बनाई दूरी

ट्रंप और पुतिन की बैठक से पहले यूरोप के देशों ने एकजुटता का प्रदर्शन किया है. ईयू के 27 नेताओं में से हंगरी को छोड़कर सभी ने मिलकर एक संयुक्त बयान जारी किया है. विक्टर ओर्बन अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने बयान को समर्थन देने से इनकार कर दिया. 

संयुक्त बयान में ईयू ने कहा, “हम यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रामक युद्ध को समाप्त करने की दिशा में राष्ट्रपति ट्रंप की कोशिशों का स्वागत करते हैं. लेकिन यूक्रेन में शांति का रास्ता यूक्रेन के बिना तय नहीं किया जा सकता. अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करते हुए न्यायसंगत और स्थायी शांति होनी चाहिए जो स्थिरता और सुरक्षा लाए, जिसमें स्वतंत्रता, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांत शामिल हों. अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को बलपूर्वक नहीं बदला जाना चाहिए.”

दरअसल यूरोपीय संघ और यूक्रेन को चिंता है कि बिना उनकी भागीदारी के कोई समझौता होने पर वह पुतिन को लाभ पहुंचाएगा. इससे अन्य यूरोपीय देशों पर भी खतरा पैदा होगा.

यूक्रेन पीछे नहीं हटेगा: जेलेंस्की

शुक्रवार को ट्रंप और पुतिन की मीटिंग से पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा, “पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन डोनेट्स्क क्षेत्र के बचे हुए 30% हिस्से से भी पीछे हट जाए. ये इलाका अभी यूक्रेन के नियंत्रण में है. पुतिन ऐसा इसलिए चाहते हैं ताकि युद्धविराम समझौता हो सके. यूक्रेन किसी भी हालत में अपने कब्जे वाले क्षेत्रों से पीछे नहीं हटेगा. ऐसा करना असांविधानिक होगा. यूक्रेन का पीछे हटना भविष्य में रूस के आक्रमण के लिए मंच तैयार करने जैसा होगा.”

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