अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राइट हैंड माने जाने वाले सर्गियो गोर को भारत के नए राजदूत के तौर पर नॉमिनेट किया है. लेकिन अब ट्रंप के इस फैसले का अमेरिका में विरोध शुरु हो गया है. सर्गियो गोर की काबिलियत को लेकर सवाल उठाए गए हैं. ट्रंप के विरोधी डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर्स ने कहा है कि किसी नौसीखिए को भारत जैसे महत्वपूर्ण देश में नहीं भेजा जा सकता है, वो भी ऐसे वक्त में जब दोनों देशों के बीच रिश्ते तल्खी भरे हों.
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के सीनियर सदस्य ग्रेगरी मीक्स ने कहा है, कि भारत के लिए एक विश्वसनीय राजदूत की जरूरत है, ट्रंप के वफादार की नहीं.
आपको बता दें कि मशहूर उद्योगपति एलन मस्क ने कुछ दिनों पहले सर्गियो गोर को सांप बताया था.
सर्गियो गोर की काबिलियत पर अमेरिका में उठे सवाल
पिछले सप्ताह डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कार्यरत और उनके करीबी सर्गियो गोर को भारत के राजदूत के पद पर नॉमिनेट किया है. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर 38 वर्षीय सर्गियो गोर की तारीफों के पुल बांधे. लेकिन ट्रंप के इस फैसले से अमेरिका की राजनीति में बहस तेज है. डेमोक्रेट के सीनेटर्स ने गंभीर सवाल उठाते हुए गोर की काबिलियत पर सवाल खड़े किए हैं.
डेमोक्रेटिक सांसद और हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के सीनियर सदस्य ग्रेगरी मीक्स ने बयान जारी करते हुए कहा है कि “अमेरिका-भारत संबंधों के इतने संवेदनशील मोड़ पर वॉशिंगटन को एक अनुभवी और विश्वसनीय राजदूत की जरूरत थी, ना कि एक मागा (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) के वफादार की.”
स्टेट डिपार्टमेंट को कमजोर बनाने वाले के नाम के आगे स्पेशल दूत जोड़ना गलत: ग्रेगरी मीक्स
सीनियर सीनेटर ग्रेगरी मीक्स ने ट्रंप पर आरोप लगाते हुए कहा, ” ट्रंप ने 1,300 करियर डिप्लोमैट्स को हटा कर स्टेट डिपार्टमेंट को कमजोर करने का काम किया है और अब अनावश्यक स्पेशल दूत पद जोड़कर संस्थान को और बोझिल बना रहे हैं.”
ग्रेगरी ने कहा, “भारत जैसे जटिल और महत्वपूर्ण देश में अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए करियर डिप्लोमैटिक अनुभव और काबिलियत जरूरी है.”
सर्जियो गोर को डेमोक्रेट्स क्यों बता रहे हैं नौसीखिया?
दरअसल सर्जियो गोर कार्मिक (ऑफिस में बैठकर काम) पद पर काम करते हैं. ना कोई विदेश नीति का अनुभव है और ना ही कहीं पहले राजदूत के पद पर तैनात थे. सर्जियो गोर ने चूंकि ट्रंप के चुनाव में बेतहाजा चंदा इकट्ठा किया और उसके अलावा ट्रंप के बेटे की किताब को पब्लिश करवाया है. ट्रंप के करीबी रहने और ट्रंप के कैंपेन के कार्यकर्ता होने के नाते सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते चले गए.
जब ट्रंप सत्ता में आए तो गोर को व्हाइट हाउस में होने वाली सारी नियुक्ति का काम सर्जियो गोर को ही सौंपा गया. कहा जाता है कि एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप के बीच जो दूरियां और खटपट आई, उसके पीछे भी यही व्यक्ति था. एलन मस्क तो खुलेआम सर्जियो गोर की तुलना सांप (स्नेक) से कर चुके हैं.
ऐसे में डेमोक्रेट्स इसलिए सवाल खड़े कर रहे हैं कि भारत का राजदूत होने के लिए सिर्फ ट्रंप का करीबी और वफादार होना सही नहीं. विदेश नीति का माहिर होना चाहिए, जो गोर नहीं हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर्स और हाउस ऑफ फॉरेन अफेयर्स का तर्क है कि भारत जैसे महत्वपूर्ण देश में करियर डिप्लोमैटिक अनुभव आवश्यक है, जो गोर के पास नहीं है.
सीनेटर्स की मंजूरी के बिना गोर नहीं बन पाएंगे भारतीय राजदूत
ट्रंप ने अभी सर्जियो को नॉमिनेट किया है, लेकिन बिना सीनेटर्स की मंजूरी के उन्हें पद नहीं मिलेगा. सीनेटर्स की मंजूरी के बाद ही उन्हें भारत में राजदूत के तौर पर नियुक्ति मिलेगी. ऐसे में हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के सीनियर सदस्य के मोर्चा खोलने से सर्जियो गोर की मुश्किलें बढ़ चुकी हैं. इससे पहले भी हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ट्रंप प्रशासन पर विदेश विभाग को कमजोर करने का आरोप लगा चुके हैं.
जन्म स्थान को लेकर सस्पेंस, मां को बताते हैं इजरायली, गोर से जुड़ी कंट्रोवर्सी
बताया जाता है कि सर्जियो गोर का जन्म ताशकंद में हुआ था, जो उस समय सोवियत यूनियन के उज्बेक सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक का हिस्सा था. लेकिन गोर के जन्मस्थान को लेकर स्पष्टता नहीं है. वाशिंगटन डीसी की रिपोर्ट में गोर को माल्टा से आया हुआ प्रवासी बताया. हालांकि गोर ने अपने जन्मस्थान को लेकर सिर्फ इतना कहा है कि उनका जन्म रूस में नहीं हुआ है.
इसके अलावा गोर की मां ने 1994 में एक माल्टीज कंपनी बनाई, जिसमें उन्होंने अपनी राष्ट्रीयता इजरायली बताई.
साल 2018 में गोर ने अमेरिकी सीनेटर पॉल के साथ मास्को की यात्रा की थी. यह यात्रा रूस-अमेरिका संबंधो पर शोध और चर्चा के लिए बताई गई. लीक हुए एक रूसी रिकॉर्ड में बताया गया कि गोर एक साल पहले भी मास्को गए थे. रिकॉर्ड में इस बात का कुछ भी जिक्र नहीं था कि वह मास्को क्यों गए थे.
20 जनवरी से भारत में नहीं है कोई अमेरिकी राजदूत, बिगड़े रिश्तों के बीच क्या है गोर के लिए चुनौतियां
सर्जियो गोर के पास कार्मिक अनुभव है, लेकिन कोई राजनयिक अनुभव नहीं है. विदेश नीति के बारे में बहुत कम ज्ञान है, बावजूद इसके ट्रंप ने गोर को भारत का राजदूत बनाकर बड़ा दांव खेला है.
सर्जियो गोर ऐसे समय में नई दिल्ली भेजे जा रहे हैं, जब अमेरिका के मनमाने टैरिफ को लेकर तनाव है. 50 प्रतिशत टैरिफ के आगे भारत ने झुकने से मना कर दिया है. वहीं अमेरिका के खिलाफ भारत के साथ परममित्र रूस ही नहीं, चीन भी खड़ा हुआ है. सर्जियो की भूमिका भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर हामी कराने की होगी. साथ ही रूस के साथ भारत के अच्छे संबंधों को गोर को बेहद ही संवेदनशीलता से हैंडल करना होगा.
इसके अलावा भारत की चीन के साथ करीबी भी इन दिनों अमेरिका के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है. 31 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के दौरे पर जा रहे हैं, जो बेहद अहम है. माना जा रहा है कि रूस-भारत-चीन एक त्रिपक्षीय गुट की घोषणा कर सकते हैं, जो अमेरिका के लिए सिरदर्द बन सकता है.