अमेरिका के टैरिफ दबाव के आगे अपनी नीति से टस से मस नहीं हो रहे भारत को लेकर ट्रंप प्रशासन चिंता में पड़ गया है. अमेरिका में विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान को लेकर खूब चर्चा की जा रही है, जिसमें उन्होंने कहा था, जिसे अच्छा नहीं लगे वो रूस के साथ तेल न खरीदे.
जयशंकर के इस सख्त रुख के आगे अमेरिकी वित्त मंत्री के सुर नरम पड़ गए हैं. अब तक भारत को अड़ियल बताने वाले स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि भारत बड़ा लोकतंत्र है, हम भारत के साथ आ ही जाएंगे.
भारत के साथ मामला उलझा हुआ, लेकिन हम एक साथ आ जाएंगे: स्कॉट बेसेंट
एस जयशंकर के हालिया बयान को लेकर अमेरिका के लगभग हर मीडिया हाउस में चर्चा की जा रही है, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति को सवालों के कटघरे में खड़ा किया जा रहा है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट से ऐसा ही सवाल पूछा गया.
स्कॉट से कहा गया कि “भारत के विदेश मंत्री ने कहा है कि अगर अमेरिका को भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने से समस्या है, तो वह भारत से रिफाइंड तेल खरीदना बंद कर सकता है, इस पर आपका क्या कहना है?”
इस सवाल के जवाब में अमेरिकी वित्त मंत्री ने कहा, ” भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था. हम एक साथ आ ही जाएंगे.
मोदी और ट्रंप के रिश्ते पर बात करते हुए बेसेंट ने कहा, “यह एक बहुत ही जटिल रिश्ता है. पीएम मोदी और ट्रंप के बीच इस लेवल पर बहुत अच्छे संबंध हैं. मुझे लगता है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था. हम एक साथ आ जाएंगे.”
टैरिफ दबाव के बाद भी भारत का अड़ियल रुख: अमेरिकी वित्त मंत्री
हाल ही में अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट के मुंह से सच निकल गया कि भारत झुकने को तैयार नहीं है. एक कार्यक्रम में स्कॉट बेसेंट ने कहा, “भारत, अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में अड़ियल रुख अपनाए हुए है. बेसेंट बोले, ‘स्विट्जरलैंड और भारत सहित कुछ बड़े व्यापार सौदे अभी भी होने या उन पर सहमति बननी बाकी हैं. स्विट्जरलैंड के साथ बातचीत चल रही है. भारत थोड़ा अड़ियल रहा है.”
एस जयशंकर ने ऐसा क्या कहा, जिससे अमेरिका के बदले सुर
अमेरिकी वित्त मंत्री के नरम रुख से साफ है कि ट्रंप के टैरिफ का भारत पर दबाव नहीं पड़ा है. भारत सह लेगा, लेकिन झुकेगा नहीं. उल्टा अमेरिका को हर जगह किरकिरी झेलनी पड़ रही है.
दरअसल सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अलग-अलग मंचों से कहा दिया है कि रूस से तेल खरीदना जारी रहेगा.
जयशंकर ने इसी सप्ताह एक कार्यक्रम में कहा,“यह हास्यास्पद है कि व्यापार-समर्थक अमेरिकी प्रशासन के लोग दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं. अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड प्रोडक्ट खरीदने में दिक्कत है, तो मत खरीदो. कोई आपको इसके लिए मजबूर नहीं कर रहा. यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है. अगर आपको नहीं पसंद, न खरीदें.”
अमेरिका से कट्टी नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय हित प्राथमिकता हैं: जयशंकर
अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता पर जयशंकर ने कहा कि “बातचीत जारी है लेकिन भारत का रुख मजबूत है. बातचीत में कई सीमा रेखाएं हैं और हमें उनके बारे में स्पष्ट होना होगा. हम किसानों और छोटे व्यवसायों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमारे सामने कुछ लाल रेखाएं हैं. बातचीत अभी भी इस मायने में चल रही है कि किसी ने भी यह नहीं कहा कि बातचीत बंद है. हमारी कट्टी है, लोग एक-दूसरे से बात करते हैं.”
पीएम मोदी ने भी कहा है कि हम पर टैरिफ बढ़ सकता है, लेकिन हम सहन करेंगे. हितों से समझौता नहीं करेंगे.