लगातार दो दिनों तक नेपाल में उग्र प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने दे दिया है इस्तीफा. सोशल मीडिया बैन को लेकर शुरु हुए जनरेशन ज़ी (जेन ज़ी) के उग्र प्रदर्शन के बाद के पी शर्मा ओली को झुकना पड़ा. 20 से ज्यादा युवाओं की मौत और 100 से ज्यादा युवाओं के घायल होने के बाद पीएम ओली सत्ता से हट गए हैं और सेना की सख्त सुरक्षा घेरे में रखे गए हैं.
पिछले 24 घंटे से ओली ने सख्त संदेश देते हुए कह दिया था कि वो न तो सोशल मीडिया को लेकर झुकेंगे और न ही इस्तीफा देंगे. लेकिन अचानक मंगलवार को कैसे और किन परिस्थिति में ओली को झुकना पड़ा. आपको बताते हैं.
हालात बिगड़े तो के पी शर्मा ओली ने मांगी सेना से मदद
मंगलवार को काठमांडू में हालात बेकाबू हो गए. एक के बाद एक मंत्रियों के इस्तीफे और प्रदर्शनकारियों की उग्र प्रदर्शन के बीच के पी शर्मा ओली ने सेनाध्यक्ष अशोक राज सिगडेल से बात की थी. के पी शर्मा ओली ने सेना से हालात पर काबू पाने और उन्हें सुरक्षित नेपाल से बाहर निकालने को कहा.
लेकिन नेपाल के सेना प्रमुख ने पीएम ओली को सलाह दी कि पीएम के बिना सत्ता छोड़े स्थिति पर नियंत्रण पाना मुश्किल है. अगर ओली सत्ता छोड़ देते हैं तो सेना स्थिति पर काबू पाने को तैयार है.
बताया जा रहा है कि इस बातचीत में नेपाल के सेना प्रमुख ने खुद पीएम ओली को सलाह दी कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. वहीं सोमवार को फायरिंग की घटना को भी जनरल अशोक सिगडेल ने गलत बताया.
इस्तीफे के बाद सेना ने दी ओली को शरण
आर्मी चीफ के साथ बातचीत के कुछ ही घंटे बाद के पी शर्मा ओली के इस्तीफे की खबर आ गई. ओली ने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद सेना ने के पी शर्मा ओली को सुरक्षित जगह पर रखा है. कहा जा है कि के पी शर्मा ओली को सेना मुख्यालय में रखा गया है. माना ये भी जा रहा है कि इस्तीफे के बाद भी अगर हालात काबू नहीं हुए तो ओली से सेना के हेलीकॉप्टर से कहीं और ले जाया जा सकता है. खबरें ये भी आई हैं कि ओली दुबई जा सकते हैं. फिलहाल जान बचाने के लिए ओली सेना की शरण में हैं और प्रदर्शनकारियों के हाथ उन तक नहीं पहुंचे हैं.
ओली की अपील नहीं आई काम, देना पड़ा इस्तीफा
नेपाल में भड़की हिंसा और प्रदर्शन के बीच के पी शर्मा ओली ने युवाओं से प्रदर्शन वापस लेने की अपील की थी. इस्तीफे से पहले बयान जारी करके कहा था कि, मुझे राजधानी और देश के विभिन्न हिस्सों में कल हुए प्रदर्शनों और उसके बाद घटी घटनाओं से गहरा दुख हुआ है. हमने यह नीति अपनाई है कि किसी भी प्रकार की हिंसा राष्ट्र के हित में नहीं है और हम एक शांतिपूर्ण और संवाद आधारित समाधान की तलाश में हैं. मैं स्थिति का आकलन करने और एक सार्थक समाधान खोजने के लिए संबंधित पक्षों के साथ बातचीत कर रहा हूं. मैं अपने सभी भाइयों और बहनों से विनम्र निवेदन करता हूं कि इस कठिन समय में शांत रहें.
मंत्रियों को प्रदर्शनकारियों ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, बालेन्द्र शाह के समर्थन में जेन ज़ी
पीएम के इस्तीफे के बाद भी प्रदर्शनकारियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है. प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसकर तोड़फोड़ की है, कई अहम इमारतों को आग लगा दी है. ओली सरकार के मंत्रियों के घरों को फूंक दिया गया है, तो वहीं कई मंत्रियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया है.
युवाओं की मांग है कि उन पुलिसकर्मियों पर एक्शन लिया जाए जिन्होंने सोमवार को युवाओं के सिर में गोलियां मारीं थी.
इसके अलावा काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह, जो कि युवाओं में बहुत लोकप्रिय हैं, उन्हें अंतरिम पीएम बनाने की मांग की है. युवाओं ने बालेन्द्र शाह के पक्ष में नारेबाजी की है, वहीं बालेन्द्र शाह ने भी ओली के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर शांति की अपील की है. बालेन्द्र शाह ने लिखा, “हत्यारा चला गया, प्रदर्शनकारी काठमांडू और देश की संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं.”