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बाहरी सेना बर्दाश्त नहीं, तालिबान-चीन का अमेरिका को जवाब

अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर अमेरिकी सैनिकों के वापसी और अमेरिका के कब्जे वाली बात पर चीन और तालिबान सरकार भड़क गई है. ब्रिटेन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उनका देश अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर दोबारा आधिपत्य हासिल कर लेगा. 

ट्रंप के इस बयान को अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने खारिज कर दिया है, तो चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा है, कि अमेरिका, क्षेत्रीय टकराव भड़का सकता है.

आपको बता दें कि साल 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद बगराम एयरबेस पर तालिबान का कब्जा है. सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस एयरबेस को अमेरिका दोबारा हासिल करना चाहता है, ताकि चीन के साथ-साथ रूस पर भी नजर रखी जा सके.

बाहरी सैन्य उपस्थिति हमें अस्वीकार है: अफगानिस्तान 

ट्रंप के ताजा बयान पर तालिबान ने प्रतिक्रिया दी है. तालिबानी अधिकारी जाकिर जलाल ने कहा, “अफगानिस्तान ने कभी भी विदेशी सैन्य उपस्थिति को स्वीकार नहीं की है. इसी वजह से ट्रंप के इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं.”

जाकिर जलाल ने कहा एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि “अफगानिस्तान और अमेरिका को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है. अफगानों का इतिहास रहा है कि उन्होंने कभी भी बाहरी सैन्य उपस्थिति को बर्दाश्त नहीं किया है. दोहा वार्ता के दौरान ट्रंप के प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया गया था. आगे भी इस पर कोई बात नहीं होगी. अन्य संबंधों के लिए बातचीत हो सकती है.”

क्षेत्र में टकराव बढ़ाना चाहता है अमेरिका: चीनी विदेश मंत्रालय

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, “ट्रंप के इस प्रस्ताव को चीन पहले ही खारिज कर चुका है. क्योंकि इससे क्षेत्र में तनाव और टकराव बढ़ जाएगा और चीन इसका कभी भी समर्थन नहीं करेगा. उम्मीद है कि सभी पक्ष शांति और स्थिरता के लिए बात करेंगे.”

ट्रंप का दावा, बगराम एयरबेस के करीब है चीनी न्यूक्लियर प्लांट

ट्रंप ने अपने ताजा बयान में कहा है कि, “वह अफगानिस्तान के बगराम एयर बेस पर अमेरिकी उपस्थिति को फिर से स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं क्योंकि चीन के न्यूक्लियर हथियार केंद्र बगराम बेस के बेहद करीब हैं.”

ट्रंप ने कहा, “चीन के परमाणु हथियार बनाने वाले इलाके से यह बेस सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है. इसलिए यह हमारे लिए रणनीतिक रूप से बहुत अहम है.हम इसे वापस चाहते हैं क्योंकि अफगान सरकार को हमारी जरूरत है.” 

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