सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल डीएस राणा को देश के सामरिक और परमाणु हथियारों की ऑपरेशनल जिम्मेदारी संभालने वाली स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) का नया कमांडिंग इन चीफ नियुक्त किया है. जनरल राणा फिलहाल, अंडमान निकोबार कमान के कमांडिंग इन चीफ के पद पर नियुक्त थे.
जनरल राणा की नियुक्ति ऐसे समय में आई है जब पिछले हफ्ते ही एसएफसी ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेइनाइजेशन (डीआरडीओ) ने अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया था. करीब 2000 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि-प्राइम मिसाइल पुरानी पड़ चुकी अग्नि-1 और 2 सीरीज से उन्नत किस्म की मिसाइल है.
अग्नि सीरीज की सभी मिसाइल, एसएफसी के हथियारों के जखीरे का हिस्सा हैं. एसएफसी, सेना की तीनों अंगों यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना की साझा कमान है जो सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन है. ऐसे में एसएफसी से जुड़ी कम ही जानकारी सार्वजनिक तौर से साझा की जाती हैं.
खास बात ये है कि ऑपरेशन सिंदूर (6-10 मई) के दौरान, जनरल राणा राजधानी दिल्ली में डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीआईए) के चीफ के पद पर तैनात थे. उस वक्त, राजधानी दिल्ली में तैनात मित्र-देशों के डिफेंस (और मिलिट्री) अटैचे को ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी जानकारी और भारत का पक्ष रखने के लिए लें.जनरल राणा को ही जिम्मेदारी दी गई थी.
उसके कुछ हफ्तों बाद ही सरकार ने ले.जनरल राणा को प्रमोट कर देश की ट्राई-सर्विस कमांड, अंडमान निकोबार की जिम्मेदारी सौंपी थी. लेकिन पाकिस्तान ने झूठा प्रोपेगेंडा कर जनरल राणा की नियुक्ति को सजा के तौर पर दिखाने की कोशिश की थी. इसके बाद सरकार ने फैक्ट-चेक के जरिए पाकिस्तानी की उलजुलूल खबर को निराधार बताते हुए एक सिरे से खारिज कर दिया था.
ले.जनरल राणा ने चीन की पीएलए-आर्मी पर एक पुस्तक भी लिखी है, जिसमें चीनी सेना का पिछले दो (02) दशक का इतिहास और भारत से संबंधों का उल्लेख किया गया है.