असम में आर्मी कैंप को बनाया गया है निशाना. असम के तिनसुकिया में ग्रेनेड हमला किया गया था. तकरीबन एक घंटे तक हुई गोलीबारी से इलाके में दहशत है. इस हमले में सेना के 03 जवान घायल हुए हैं. वहीं पूरे इलाके की घेराबंदी करके ग्रेनेड अटैक करने वालों की तलाश की जा रही है,
सेना के 19वीं ग्रेनेडियर्स पर ग्रेनेड फेंके गए
बताया जा रहा है कि काकोपाथर स्थित भारतीय सेना की 19 ग्रेनेडियर्स यूनिट के कैंप पर ये हमला किया गया. आर्मी कैंप को निशाना बनाकर आधी रात के आसपास ग्रेनेड फेंके गए. ग्रेनेड के धमाकों की आवाज आसपास के लोगों ने सुनी.
हमले के बाद पूरे इलाके में सघन तलाश की जा रही है. आर्मी कैंप पर हमले के बाद सेना और पुलिस ने इलाके की घेराबंदी करते हुए आसपास नागरिकों की आवाजाही पर रोक लगा दी है.
सेना के मुताबिक, “रात करीब 12.30 बजे, अज्ञात आतंकवादियों ने एक चलती गाड़ी से काकोपाथर कंपनी के ठिकाने पर गोलीबारी की. ड्यूटी पर तैनात जवानों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की और आस-पास के नागरिक घरों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सावधानी बरती गई.”
अरुणाचल प्रदेश से बरामद हुआ संदिग्ध ट्रक
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, हमलावरों द्वारा इस्तेमाल किया गया एक ट्रक बाद में असम के पड़ोसी राज्य अरुणाचल प्रदेश के तेंगापानी क्षेत्र में मिला है. वाहन में ग्रेनेड के अवशेष और हथियारों के निशान मिले हैं, जिसकी फॉरेंसिक जांच की जा रही है. कुछ संदिग्धों से भी पूछताछ की जा रही है.
इससे पहले बुधवार को भी, एनएससीएन (के-वाईए) गुट के संदिग्ध उग्रवादियों ने अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले में असम राइफल्स के एक शिविर पर हमला किया था. यह शिविर मनमाओ क्षेत्र के हटमन गांव में स्थित था.
इस संगठन पर गहराया हमले का शक
आर्मी कैंप पर किए गए ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली है. लेकिन शुरुआती संदेह उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) यानी उल्फा(आई) पर है. उल्फा आई का चीफ परेश बरुआ एनआईए का मोस्टवांटेड है.
उल्फा ने दिसंबर 2023 में भारत के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया था. खुद गृहमंत्री अमित शाह और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की मौजूदगी में 40 साल बाद भारत सरकार और उल्फा के कमांडर्स के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. लेकिन परेश बरुआ उस शांति समझौते में शामिल नहीं था.
परेश बरुआ उल्फा के एक अलग गुट उल्फा आई का कमांडर है. वर्तमान में परेश बरुआ कहां है ये किसी को नहीं पता. पर ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि फरार परेश बरुआ चीन-म्यांमार की सीमा में छिपा हुआ है, जहां उसे चीन से धन और संरक्षण प्राप्त होता है.