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चीन का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर तैयार, इंडो-पैसिफिक में टेंशन बढ़ना लाजमी

प्रशांत महासागर में चल रही तनातनी के बीच, चीन ने तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर ‘फुजियान’ बनाकर तैयार कर लिया है. शनिवार को चीन की पीएलए-नेवी ने फुजियान के ऑपरेशन्ल डेमो का वीडियो जारी किया. इसी हफ्ते चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में फुजियान की कमीशनिंग सेरेमनी का आयोजन किया गया था. 

खास बात है कि चीन का ये नया एयरक्राफ्ट कैरियर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट तकनीक पर आधारित है. अभी तक अमेरिका के जेराल्ड फोर्ड क्लास के विमानवाहक युद्धपोत इस तकनीक से लैस थे. इलेक्ट्रॉनिक कैटापुल्ट तकनीक में विमानवाहक युद्धपोत के छोटे रनवे डेक से लड़ाकू विमान टेक ऑफ और लैंडिंग कर सकते हैं. 

चीन ने तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर ऐसे समय में बनाकर तैयार किया है जब साउथ चाइना सी में फिलीपींस से तनातनी चल रही है. पिछले दो वर्षों में चीन और फिलीपींस की नौसेना में कई बार हिंसक झड़प देखने को मिल चुकी है. चीन का आरोप है कि अमेरिका की शह पर फिलीपींस, चीन के साथ टकराव की मुद्रा में है. 

साउथ चाइना सी के साथ-साथ ताइवान को लेकर भी चीन के तेवर बेहद गरम हैं. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि चीनी राष्ट्रपति ने ताइवान पर हमला न करने का भरोसा दिया है. 

चीन का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर, भारत के लिए भी चिंता का सबब बन सकता है. क्योंकि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की गतिविधियां लगातार बढ़ती जा रही हैं. चीन के जंगी जहाज, सर्वे वेसल और पनडुब्बियां आए दिन हिंद महासागर में देखे जा सकते हैं. 

हाल ही में भारतीय नौसेना के वाइस चीफ (वाइस एडमिरल) संजय वात्स्यायन ने कहा था कि हिंद महासागर में चीन के जंगी जहाजों के दाखिल होने से लेकर एग्जिट होने तक पूरी तरह नजर रहती है.

भारत के पास 02 विमानवाहक युद्धपोत हैं (आईएनएस विक्रांत और विक्रमादित्य) हैं. भारतीय नौसेना भी तीसरे एयरक्राफ्ट की मांग कर रही है लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से हरी झंडी नहीं मिली है. 

कुछ वर्ष पहले तत्कालीन (अब स्वर्गीय) चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने ये कहकर नौसेना के तीसरे विमानवाहक युद्धपोत की उम्मीद पर पानी फेर दिया था कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह, नेवी के स्टेटिक (एक जगह खड़े रहने वाले) एयरक्राफ्ट कैरियर की भूमिका निभा सकता है. क्योंकि अंडमान निकोबार की हिंद महासागर में बेहद सामरिक लोकेशन है, जहां से चीन की समुद्री गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा सकती है. 

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