देश के रक्षा उत्पादन में सरकारी कंपनियों की भागीदारी करीब 72 प्रतिशत है. ऐसे में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के तीव्र स्वदेशीकरण के लिए डिफेंस-पीएसयू (डीपीएसयू) को कमर कसने की बेहद जरूरत है. ये मानना है देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का.
सोमवार को रक्षा मंत्री ने राजधानी दिल्ली में रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू) के लिए एक नए डीपीएसयू भवन का उद्घाटन किया और देश की सभी 16 डिफेंस पब्लिक सेक्टर यूनिट (कंपनियों) की कार्यशैली की समीक्षा की. इस दौरान, राजनाथ सिंह ने पब्लिक सेक्टर कंपनियों को महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के तीव्र स्वदेशीकरण, समग्र अनुसंधान एवं विकास, उत्पाद गुणवत्ता संवर्धन, समय पर डिलीवरी और निर्यात बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया. रक्षा मंत्री ने सभी डीपीएसयू को निर्देश दिया कि वे मापनीय लक्ष्यों के साथ स्पष्ट स्वदेशीकरण और अनुसंधान एवं विकास रोडमैप तैयार कर, अगली समीक्षा बैठक में प्रस्तुत करें.
बैठक में राजनाथ सिंह ने चार डीपीएसयू – म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (एमआईएल), आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (एवीएनएल), इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल) और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) को मिनीरत्न (श्रेणी-I) का दर्जा दिए जाने पर सम्मानित किया.
ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी प्लेटफॉर्म के उत्कृष्ट प्रदर्शन का जिक्र करते हुए राजनाथ सिंह ने देश के रक्षा विनिर्माण इको-सिस्टम को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में डीपीएसयू के निरंतर योगदान की सराहना की. उन्होंने संगठनों को उनके निरंतर समर्पण और उत्कृष्टता के लिए बधाई देते हुए कहा कि हमारे सभी 16 डीपीएसयू देश की आत्मनिर्भरता के मजबूत स्तंभ के रूप में कार्य कर रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में उनका उत्कृष्ट प्रदर्शन हमारे स्वदेशी प्लेटफार्मों की विश्वसनीयता और क्षमता का प्रमाण है.
राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र की सरकारी कंपनियों के उल्लेखनीय प्रदर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्ष 2024-25 में, भारत ने 1.51 लाख करोड़ रुपये का रक्षा उत्पादन हासिल किया, जिसमें डीपीएसयू का योगदान कुल 71.6 प्रतिशत रहा. रक्षा निर्यात 6695 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो भारत की स्वदेशी प्रणालियों में वैश्विक विश्वास को दर्शाता है. रक्षा मंत्री ने कहा कि इससे यह स्पष्ट है कि ‘मेड इन इंडिया’ रक्षा उत्पादन, वैश्विक सम्मान प्राप्त कर रहे हैं.
इस आयोजन के एक भाग के रूप में, डीपीएसयू के बीच तीन प्रमुख समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया, जो सहयोग और आत्मनिर्भरता की भावना को दर्शाता है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने यंत्र इंडिया लिमिटेड (वाईआईएल) के आधुनिकीकरण प्रयासों का समर्थन करने और 10 हजार टन फोर्जिंग प्रेस सुविधा स्थापित करने के लिए उसके साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. करार के तहत, रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले एल्यूमीनियम मिश्र धातुओं के लिए आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
एचएएल ने वाईआईएल को 435 करोड़ रुपये की ब्याज-मुक्त अग्रिम राशि देने की प्रतिबद्धता जताई है, जबकि बीडीएल दस वर्षों में 03 हजार मीट्रिक टन तक का निरंतर कार्यभार प्रदान करेगा. राष्ट्रीय महत्व की रक्षा परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण कच्चे माल की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मिधानी में एक मेटल बैंक के निर्माण के लिए तीसरे समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.

