पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी एलएसी पर भारत ने देश का सबसे ऊंचा एयरबेस बनाकर तैयार कर लिया है. बुधवार को खुद वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-130जे सुपर हरक्युलिस में सवार होकर नियोमा एयरबेस पर लैंडिंग की. चीन सीमा से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नियोमा एयरबेस 13,700 फीट की ऊंचाई पर है.
निकट भविष्य में नियोमा एयरबेस पर लड़ाकू विमानों के ऑपरेशन्स भी हो सकते हैं. ऐसा होने पर नियोमा, दुनिया की सबसे ऊंचाई पर फाइटर जेट के ऑपरेशन्स वाली हवाई पट्टी बन जाएगी. फिलहाल, हेलीकॉप्टर और मालवाहक विमान इस एयरबेस पर तैनात किए जाएंगे.
लद्दाख में 04 एयरबेस तैयार
नियोमा एयरबेस के साथ अब लद्दाख में भारतीय वायुसेना के चार महत्वपूर्ण एयरबेस है. इससे पहले लेह, कारगिल और थोएस (सियाचिन बेस कैंप के करीब) में वायुसेना के एयरबेस थे, लेकिन ये सभी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से दूर हैं. डीबीओ (दौलत बेग ओल्डी) में एक छोटी एयर-स्ट्रीप है, जहां हेलीकॉप्टर और सैन्य मालवाहक वाहन की लैडिंग हो सकती है.
डिसएंगेजमेंट करार के बावजूद एलएसी पर चीन तैयार कर रहा मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर
हाल में एलएसी के दूसरी तरफ, चीन की सीमा से कुछ ऐसी सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई थी. इन सैटेलाइट तस्वीरों से साफ था कि चीन की पीएलए (वायुसेना) भी अपने क्षेत्र में मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर और लड़ाकू विमानों के ऑपरेशन्स के लिए नई हवाई पट्टी तैयार कर रही है. ऐसे में नियोमा, भारत के लिए एक सामरिक एयरबेस माना जा सकता है.
भारत और चीन के बीच, पिछले वर्ष (2024) में पूर्वी लद्दाख में चार वर्षों से चला आ रहा एलएसी विवाद समाप्त हो गया था. दोनों देशों ने डिसएंगेजमेंट करार कर, विवादित इलाकों से अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया था. ऐसे में पिछले महीने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन का दौरा कर एससीओ समिट में हिस्सा लिया था. इस दौरे से दोनों देशों के बीच राजनयिक और राजनीतिक संबंध पटरी पर लौट रहे हैं.
पूर्वी लद्दाख में थलसेना ने दी तैयारियों को धार
भारतीय सेना (थलसेना और वायुसेना) अपनी तैयारियों में कोई कोताही बरतने के लिए तैयार नहीं हैं. यही वजह है कि पिछले हफ्ते, थलसेना ने पूर्वी लद्दाख में इंटीग्रेटेड फायरिंग एक्सरसाइज का आयोजन किया था, जिसमें तोप के साथ-साथ बड़ी संख्या में ड्रोन्स ने हिस्सा लिया था.
