ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने किस तरह भारतीय वायुसेना के रफाल फाइटर जेट के खिलाफ एआई(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के जरिए दुष्प्रचार किया था, इसका खुलासा अमेरिकी संसद की एक रिपोर्ट में किया गया है. यूएस-चीन इकोनोमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यूकमीशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने अपने जे-35 लड़ाकू विमान को दुनिया में बेचने के लिए रफालके मलबे की एआई से तैयार की गई तस्वीरों को सोशलमीडिया पर फैलाया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में फैले चीनी दूतावास ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए चार दिन के युद्ध के बाद चीनी हथियार और सैन्य उपकरणों को बेचने के लिए इस्तेमाल किया. चीनी दूतावास ने भारत के खिलाफ चीनी हथियारों और दूसरे सैन्य साजो सामान की सफलता का ढिंढोरा पीटना शुरू कर दिया.
अमेरिकी रिपोर्ट में फ्रांस की इंटेलिजेंस एजेंसी की जानकारी को आधार बनाकर बताया गया कि इंडोनेशियामें चीनी दूतावास ने रफाल फाइटर जेट की डील को रुकवाने की कोशिश की. क्योंकि इंडोनेशिया, फ्रांस से रफाल फाइटर जेट खरीदने की तैयारी कर रहा था.
चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के तीन फाइटरजेट गिराने का दुष्प्रचार किया. यूएस रिपोर्ट में कहा गया कि जरूरी नहीं है कि गिराए गए ये तीनों लड़ाकू विमान, रफाल थे. बावजूद इसके, चीन ने एआई की तस्वीरों और वीडियो गेम की क्लिप को फेक सोशल मीडिया अकाउंट्सपर फैलाया.
रिपोर्ट में कहा गया कि दरअसल रफाल की जगह, चीन अपने जे-35 लड़ाकू विमानों को बेचने की फिराक में था. हालांकि, चीन की ये साजिश कामयाब नहीं हुई है. क्योंकि इंडोनेशिया ने फ्रांस से 66 रफाल खरीदने की समझौता कर लिया है.
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों की जंग (7-10 मई) शुरु कराने में चीन का सीधा हाथ नहीं था, लेकिन इसके बाद चीन ने अपने सैन्य उपकरणों का विज्ञापन जरुर शुरु कर दिया. चीन ने ऐसा, भारत के साथ बॉर्डर विवाद और अपनी डिफेंस इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के इरादे से किया था. क्योंकि 2019 और 2023 के बीच चीन ने पाकिस्तान को करीब 82 प्रतिशत हथियार सप्लाई किए थे.
भारत और पाकिस्तान के बीच हुई इस झड़प (युद्ध) के दौरान पहली बार चीन के हथियारों का इस्तेमाल हुआ था. इनमें एचक्यू-9 एयर डिफेंस सिस्टम, पीएल-15 एयर टूएयर मिसाइल और जे-10 फाइटर जेट शामिल थे. जबकि हकीकत ये थी कि पाकिस्तान में जब भारतीय वायुसेना ने हमला किया, तब चीन की एयर डिफेंस प्रणाली को कानोकान खबर तक नहीं लगी थी. पाकिस्तानी एयर डिफेंससिस्टम न तो रफाल और न ही ब्रह्मोस मिसाइल (जिन्हें सुखोई से दागा गया था) के हमलों को रोक पाने में नाकाम साबित हुई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, जंग के बाद, चीन ने पाकिस्तान को जे-35 फाइटर जेट, केजे-500 एयरक्राफ्ट और बैलिस्टिकमिसाइल डिफेंस सिस्टम बेचने की जरूर कोशिश की.

