डीआरडीओ ने लड़ाकू विमान में किसी भी तरह की किसी इमरजेंसी से फाइटर पायलट को बचाने के लिए इजेक्शन सीट का सफल परीक्षण किया है. दुनिया की चुनिंदा एविएशन कंपनी इस तरह की इजेक्शन सीट बनाती हैं, लेकिन डीआरडीओ ने इजेक्शन सीट बनाकर आत्मनिर्भर भारत की सोच में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर लिया है.
डीआरडीओ ने चंडीगढ़ में तेजस विमान की इमरजेंसी इजेक्शन सीट का हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड टेस्ट सफलतापूर्वक किया. भारत अब उन देशों में शामिल, जिनके पास यह उन्नत तकनीक है.
डीआरडीओ के इस सफल परीक्षण से लड़ाकू विमान के क्रैश हो जाने के बाद हमारे पायलट की जो क्षति होती है, उसे रोका जा सकेगा. हाल ही में दुबई एयर शो के दौरान भी तेजस क्रैश हो जाने के कारण विंग कमांडर नमांश सियाल शहीद हुए थे.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ, वायुसेना, एचएएल, एडीए समेत उन सभी को बधाई दी है, जिन्होंने इजेक्शन सीट बनाने में अपनी भूमिका निभाई है.
डायनामिक इजेक्शन टेस्ट में सफलता, फाइटर पायलट के लिए जीवन रक्षक बनेगी इजेक्शन सीट
डीआरडीओ की चंडीगढ़ स्थित टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (टीबीआरएल) ने 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर इस एस्केप-सिस्टम का ट्रायल किया. इस परीक्षण में कैनोपी सेवरेंस, इजेक्शन अनुक्रमण और पूर्ण एयरक्रू रिकवरी को मान्य किया गया है. भारत के अधिकतर फाइटर जेट में मार्टिन-बेकर कंपनी की सीट लगी है.
इस परीक्षण को ऑनबोर्ड और ग्राउंड-आधारित इमेजिंग सिस्टम के माध्यम से कैप्चर किया गया, जिसे भारतीय वायु सेना और इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन एंड सर्टिफिकेशन के अधिकारियों ने देखा.
भारत को अब महंगी इजेक्शन सीट नहीं खरीदनी पड़ेगी
दुनिया में सिर्फ कुछ ही देश जैसे अमेरिका, रूस, फ्रांस अपने यहां इतनी तेज गति वाला डायनामिक इजेक्शन टेस्ट कर सकते हैं. लेकिन भारत भी अब इस क्लब में शामिल हो चुका है. भारत को विदेशी कंपनियों से महंगी इजेक्शन सीट खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. तेजस मार्क-1A, मार्क-2 और भविष्य के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान पूरी तरह से स्वदेशी इजेक्शन सिस्टम से चलेंगे.
रक्षा मंत्री ने दी बधाई, परीक्षण का बताया मील का पत्थर
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फाइटर जेट एस्केप सिस्टम के हाई-स्पीड रॉकेट स्लेज परीक्षण के सफल आयोजन पर डीआरडीओ, भारतीय वायुसेना, एडीए, एचएएल और उद्योग जगत को बधाई दी है. राजनाथ सिंह ने आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है.
वहीं डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. समीर वी कामत ने भी पूरी टीम को बधाई दी. समीर वी कामत ने कहा कि “यह तेजस और आने वाले एम्का जैसे लड़ाकू विमानों के लिए बहुत जरूरी सफलता है.”
टेस्ट के दौरा हुआ क्या?
चंडीगढ़ के टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी में बनी रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड सुविधा पर यह परीक्षण किया गया. तेजस (एलसीए) विमान के आगे के हिस्से को दो रॉकेट स्लेड पर रखा गया.
कई ठोस ईंधन वाले रॉकेट मोटर्स को एक-एक करके जलाया गया, जिससे स्लेड बहुत सटीक और नियंत्रित तेज गति तक पहुंचा. विमान का कॉकपिट के ऊपर का शीशा टूटा. जिसके बाद इजेक्शन सीट ने सही समय पर पायलट डमी को बाहर फेंका .पैराशूट खुला और डमी सुरक्षित जमीन पर उतरा.

