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अडानी ने बनाई AI से लैस राइफल, टारगेट पर ऐसे करती है वार

रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया के तहत भारत बना रहा है इजरायली तकनीक के आधार पर असॉल्ट हथियार. भारतीय सेना के आदर्श-वाक्य एक गोली, श्रेष्ठ गोली को चरित्रार्थ करते हुए अडानी डिफेंस ने तैयार की है एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित अराड असॉल्ट राइफल.

अराड इसलिए खास है, क्योंकि इसे एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए सैनिक ऑपरेट कर सकता है. ऐसे में इस गन का निशाना तो अचूक है ही, गोलियों की खपत भी बेहद कम होती है.

अडानी डिफेंस बना रही एआई वाली अराड राइफल्स

कानपुर स्थित अडानी डिफेंस के स्मॉल आर्म्स फैसिलिटी में अलग-अलग तरह की पिस्टल, राइफल, कार्बाइन और स्नाइपर राइफल का निर्माण हो रहा है. लेकिन इनमें सबसे विशेष है अराड नाम की एक असॉल्ट राइफल.

इजरायली तकनीक पर आधारित अडानी डिफेंस की ये स्वदेशी गन, देश के जवानों के हाथ में पहुंच चुकी है. अडानी डिफेंस ने इस बेहद खास गन को देश की एक पैरा-मिलिट्री फोर्स को सप्लाई की है.

लेटेस्ट तकनीक होने के कारण दुश्मन पर वार करते वक्त अराड राइफ से कम से कम गोलियों का नुकसान होता है.

निशाना अचूक, एक भी बुलेट का नहीं होगा नुकसान

अराड राइफल से जब भी कोई गोली निकलती है तो वो टारगेट को तो भेदती है, लेकिन दूसरी गोली तब तक नहीं निकलती जब तक पहली गोली लक्ष्य से नहीं टकराती. ऐसा इसलिए क्योंकि राइफल को ऑपरेट करते वक्त गोली चलने से कंधे पर झटका लगता है. ऐसे में दूसरी गोली लक्ष्य से भटक सकती है और खाली जा सकती है. लेकिन एआई की मदद से अडानी डिफेंस ने इस कमी को तोड़ निकाल लिया है.

कानपुर स्थित स्मॉल आर्म्स फैसिलिटी में अडानी डिफेंस के एक्सपर्ट के मुताबिक, एके-47 और दूसरी राइफल से बुलेट का नुकसान होता था. कभी-कभी तो ट्रिगर पर हाथ रखने से पूरी मैगजीन खाली हो जाती है, जबकि दुश्मन का सीना चीरने के लिए महज दो-तीन गोलियों (राउंड्स) की जरूरत होती है.

अराड राइफल की ये है खासियत

5.56 45 एमएम की ये असॉल्ट राइफल एक मिनट में 700-1100 राउंड फायर कर सकती है. इस गन का इस्तेमाल इन्फेंट्री सैनिक से लेकर स्पेशल फोर्सेज के कमांडो कर सकते हैं. सैनिक इस गन को बेहद आसानी से ऑपरेट कर सकते हैं, क्योंकि इसका वजन महज 2.85 किलोग्राम है.

रक्षा मंत्रालय ने किया अडानी डिफेंस से कार्बाइन का करार

अराड के अलावा, हाल ही में अडानी डिफेंस को रक्षा मंत्रालय से कार्बाइन बनाने का एक बड़ा करार हुआ है. थलसेना के लिए रक्षा मंत्रालय ने जो 2000 करोड़ की कार्बाइन का सौदा डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) से किया, उसमें से 40 प्रतिशत अडानी डिफेंस ही बना रहा है.

इसके अलावा अडानी डिफेंस तीव्र और अभय नाम की कार्बाइन तैयार करता है. साथ ही जीत और प्रहार नाम की दो अन्य असॉल्ट राइफल तैयार करता है, जिन्हें इजरायली तकनीक के इस्तेमाल से स्वदेशीकरण कर दिया है. साथ ही दो (02) स्नाइपर राइफल अचूक और लक्ष्य भी बनाने की जिम्मेदारी अडानी डिफेंस ने उठाई है.

गौतम अडानी ने किया कानपुर में डिफेंस और एयरोस्पेस का दौरा, लगाया था निशाना

मार्च के महीने में अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने कानपुर के डिफेंस एंड एयरोस्पेस का दौरा किया था. इस दौरान गौतम अडानीने  हथियार लेकर निशाना भी साधा. गौतम अडानी ने हाथों में पिस्टल लेकर उसकी क्षमता परखी थी. 

कानपुर में स्थित अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी एकीकृत गोला-बारूद विनिर्माण सुविधाओं वाला परिसर है. कानपुर नोड में 250 एकड़ में बने इस डिफेंस कॉरिडोर में पहले गोलियां, फिर गोला-बारूद और तोप समेत आधुनिक अस्त्र-शस्त्र, अलग-अलग चरणों में बनाने का काम चल रहा है.

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