यूक्रेन के साथ मिनरल डील पर हस्ताक्षर होते ही अमेरिका ने युद्ध शांति की मध्यस्थता से हाथ पीछे खींच लिए हैं. अमेरिका ने रूस और यूक्रेन दोनों को ही दो टूक कह दिया है कि ये युद्ध अमेरिका का नहीं है.

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने साफ किया कि अब अमेरिका, मध्यस्थता नहीं करेगा. रूबियो के मुताबिक, अमेरिका अब रूस और यूक्रेन के बीच किसी भी शांति वार्ता का हिस्सा नहीं बनेगा.” डोनाल्ड

ट्रंप ने पिछले सप्ताह ही युद्ध समाप्ति को लेकर घोषणा की थी. रूस-यूक्रेन में सहमति न बनने के कारण हालांकि, अमेरिका ने कीव के लिए मुश्किलें पैदा करते हुए आगे मध्यस्थता करने से इनकार कर दिया है. 

ये हमारा युद्ध नहीं, रूस-यूक्रेन तय करें क्या करना है: अमेरिका

रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने का कोई परिणाम न निकलने के कारण अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने दो टूक कहा “यह हमारा युद्ध नहीं है.” अमेरिका ने वार्ता की जिम्मेदारी अब प्रत्यक्ष रूप से रूस और यूक्रेन पर डालते हुए कहा है कि अमेरिका अब इस युद्ध में अपनी भूमिका की ‘पद्धति’ बदल रहा है. मार्को रुबियो ने कहा,”हम इसे छोड़ने वाले नहीं हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा आएगा जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फैसला करना होगा कि वह इस मुद्दे पर और कितना वक्त देना चाहते हैं. यूक्रेन युद्ध महत्वपूर्ण है, लेकिन चीन के साथ चल रहे तनाव, ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाएं और दूसरी वैश्विक चुनौतियां लंबे समय में ज्यादा अहम हो सकती हैं.” 

हम दुनियाभर में उड़कर शांति वार्ता की मध्यस्थता नहीं कर सकते: टैमी ब्रूस

विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा, “हम अब दुनिया भर में तुरंत उड़कर शांति वार्ता की मध्यस्थता नहीं करेंगे. हम अब इस संघर्ष में मध्यस्थ नहीं बनेंगे. यह युद्ध अमेरिका का नहीं है, और दोनों देशों को खुद समाधान निकालना होगा. अब वक्त आ गया है कि दोनों पक्ष खुद तय करें कि युद्ध को कैसे खत्म किया जाए. अब यह दोनों पक्षों के बीच की बात है. उन्हें ठोस समाधान सामने लाना होगा. यही उनका दायित्व है.”

खनिज डील पर साइन होते ही अमेरिका ने छोड़ा कीव का साथ

अमेरिका ने एक दिन पहले ही यूक्रेन के साथ महत्वपूर्ण खनिज डील पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन अगले ही दिन रूस-यूक्रेन युद्ध की मध्यस्थता से हटने का ऐलान कर सबको चौंका दिया. अमेरिका के इस फैसले को यूक्रेन के लिए झटका इसलिए बताया जा रहा है, क्योंकि अमेरिका ने खनिज डील करके अपना उल्लू सीधा कर लिया है वहीं यूक्रेन को अलग-थलग छोड़ दिया है. ये रूस के लिए बड़ा मौका होगा. ऐसे में सवाल है कि क्या कोई और देश रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता कराने की कोशिश करेगा. 

रूस-यूक्रेन युद्ध 24 घंटे में समाप्त करने का ट्रंप ने किया था वादा

चुनावी कैंपेन के दौरान ट्रंप ने रूस-यूक्रेन का युद्ध जोर शोर से उठाया था. ट्रंप ने पुतिन से अच्छी दोस्ती का हवाला देते हुए जेलेंस्की को सबसे बड़ा सेल्ममैन बताया था और कहा था कि अगर वो जो बाइडेन की जगह होते तो युद्ध कभी होता ही नहीं. इतना ही नहीं ट्रंप ने दावा किया था कि 24 घंटे के अंदर युद्ध खत्म करा देंगे. 24 घंटे तो नहीं जनवरी से लेकर अब तक कई बार युद्ध खत्म करने की कोशिश की गई है.

ट्रंप ने अपनी टीम को सऊदी अरब भेजकर रूस और यूक्रेन दोनों ही पक्षों से अलग-अलग बात की. ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकाफ भी दो-दो बार पुतिन से मिल चुके हैं. लेकिन बातचीत आगे नहीं बढ़ी. ट्रंप बातचीत आगे न बढ़ने से नाराज हैं और यही वजह है कि अब मध्यस्थता नहीं करना चाहता है अमेरिका.