एलएसी पर भले ही चीन से डिसएंगेजमेंट समझौता हो गया हो लेकिन हिंद महासागर में पीएलए-नेवी के जंगी जहाज पर भारतीय नौसेना पैनी नजर गड़ाए हुए है.
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने साफ तौर से कहा कि चीन के ‘इरादे’ नेक नहीं दिखाई पड़ते हैं. ऐसे में चीन का इस क्षेत्र की नौसेनाओं के साथ टकराव लाजमी है. यही वजह है कि भारतीय नौसेना किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है.
नौसेना दिवस (4 दिसंबर) से पहले चीफ ऑफ नेवल स्टाफ एडमिरल त्रिपाठी राजधानी दिल्ली में सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान, टीएफए के सवाल पर कि क्या डिसएंगेजमेंट समझौते के बाद भारत और चीन के संबंध विरोधियों के बजाए प्रतिद्ध्ंदी की तरह दिखाई पड़ेंगे, एडमिरल त्रिपाठी ने साफ तौर से चीन के संदर्भ में प्राचीन ग्रीस की ‘थ्युसिडिस-ट्रैप’ का उदाहरण दिया.
नौसेना प्रमुख ने कहा कि आज भारत एक महाशक्ति के तौर पर उभर रहा है. भारत एक आर्थिक ताकत के साथ-साथ मेरीटाइम पावर भी बन रहा है. एडमिरल त्रिपाठी के मुताबिक, अगर चीन की पीएलए (नेवी) बेहद तेजी से विस्तार कर रही है तो भारतीय नौसेना भी हिंद महासागर क्षेत्र में एक बड़ी समुद्री ताकत है.
एडमिरल त्रिपाठी के मुताबिक, इस समय भारतीय नौसेना के 63 जंगी जहाज और पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं. इनमें रूस के बने दो जहाज, आईएनएस तुशील और तामाल भी हैं.
इसके अलावा 31 युद्धपोत और सबमरीन के लिए रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिल चुकी है. ऐसे में भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में अगले एक दशक में 90 से ज्यादा युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल हो जाएंगी.
नेवी चीफ के मुताबिक, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए-नेवी) के जहाज और पनडुब्बियां हिंद महासागर क्षेत्र में देखे जा सकते है. फिर चाहे सर्वे वेसल हो या फिर जंगी जहाज. एडमिरल त्रिपाठी ने हालांकि साफ तौर से कहा कि भारतीय नौसेना पीएलए के हरेक जहाज पर नजर रखती है कि कहां जा रहे हैं, क्यों जा रहे हैं और कब जा रहे हैं. नौसेना प्रमुख ने कहा कि आईओआर में आने वाले सबी क्षेत्रीय शक्तियों के जहाज की निगरानी रखी जाती है, जिनमें पीएलए भी शामिल है.
एडमिरल त्रिपाठी ने हालांकि, ये जरूर कहा कि चीन की पीएलए सेना अपनी दादागिरी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र (प्रशांत महासागर क्षेत्र) तक सीमित रखेगी. लेकिन अगर हिंद महासागर क्षेत्र में भारत को किसी भी तरह की सिक्योरिटी को कोई खतरा हुआ तो भारतीय नौसेना उसके लिए तैयार रहेगी.
इंडियन नेवी का मानना है कि मोजाम्बिक चैनल से लेकर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज और बब-एल-मंडेब से लेकर साउथ चायना सी (दक्षिण चीन सागर) तक हिंद-प्रशांत क्षेत्र फैला हुआ है जिसमें “एक प्रचंड जियो-पॉलिटिकल लड़ाई छाई हुई है.” यहां पहले से “स्थापित महाशक्ति और उभरती हुए विश्व-शक्तियों में अपने-अपने प्रभाव को स्थापित करने के लिए महा-टकराव चल रहा है.”
थ्युसिडिस-ट्रैप’ थ्योरी के मुताबिक, ग्रीक इतिहास में स्पार्टा और एथेंस के बीच युद्ध इसलिए हुआ था क्योंकि स्पार्टा को एथेंस की बढ़ती हुई ताकत का डर सताने लगा था. ठीक वैसे ही स्थिति आज इंडो-पैसिफिक रीजन में बन गई है.
नेवी के मुताबिक, ऐसे समय में जब इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में गठजोड़, वर्चस्व और साजिश का दौर चल रहा है “भारत एक नियम आधारित व्यवस्था का मोर्चा संभाले हुए है जो ऐसी किसी भी व्यवस्था का विरोध करता है जो दूसरे देशों के अधिकारों की अनदेखी करता है.”