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मोदी के चीन दौरे से बौखलाया अमेरिका, अक्साई चिन के कब्जे का मुद्दा उछाला

By Nalini Tewari

अमेरिका का भारत पर खेला गया टैरिफ कार्ड उल्टा पड़ गया है, जिसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनका प्रशासन मन मसोस कर रह गया है. भारत को न झुका पाने में नाकाम ट्रंप के आर्थिक सलाहकार और भारत विरोधी पीटर नवारो ने एक बार फिर मुंह खोला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे से तिलमिलाए पीटर नवारो ने बीजिंग को दुश्मन बताते हुए कहा है कि भारत, अपने दुश्मन से हाथ मिला रहा है.  

बिजनेस को लेकर अंधे बने बैठे ट्रंप को अमेरिकी एक्सपर्ट ने भी चेतावनी दी थी, कि टैरिफ के कारण भारत, अमेरिका के प्रतिद्वंदियों रूस-चीन के करीब चला जाएगा. अमेरिका को लगा था कि भारत को डरा-धमकाकर, आर्थिक बोझ डालकर काबू किया जाएगा, लेकिन पीएम मोदी ने ट्रंप के सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया.

तानाशाहों से मिल रहा भारत, जंग लड़ने वाला चीन दोस्त नहीं: पीटर नवारो

कहा जाता है कि भारत पर आर्थिक बोझ बढ़ाने के लिए टैरिफ का आइडिया देने वाले कोई और नहीं पीटर नवारो ही थे. व्हाइट हाउस में पीटर नवारो एक भारत विरोधी चेहरा है. ऐसे में राष्ट्रपति ट्रंप के ट्रेड सलाहकार पीटर नवारो ने पीएम मोदी के चीन के दौरे को लेकर भारत-चीन के बन रहे संबंधों में दरार डालने की कोशिश की है. 

नवारो ने कहा, “भारत आप तानाशाही के साथ मिल रहे हो. चीन के साथ आप दशकों तक जंग में रहे. उन्होंने आपके अक्साई चिन और सारे इलाके पर कब्जा कर लिया है, वे तुम्हारे दोस्त नहीं हैं और रूस.. कम ऑन!” 

भारतीय इतने घमंडी हैं, कहते हैं किसी से भी तेल खरीद सकते हैं: पीटर नवारो

पीटर नवारो की बौखलाहट उनके बयान में ही छिपी हुई है. नवारो की नीति (टैरिफ बढ़ाना) काम नहीं की तो उन्होंने भारत को घमंडी बता दिया. नवारो ने भारत की टैरिफ नीति के खिलाफ बोलते हुए कहा, “मैं हैरान हूं, क्योंकि मोदी एक महान नेता हैं, यह एक परिपक्व लोकतंत्र है और इसे परिपक्व लोग चला रहे हैं, जो बात मुझे परेशान करती है, वह यह है कि भारतीय इतने घमंडी हैं. वे कहते हैं कि हमारे पास उच्च टैरिफ नहीं हैं. यह हमारा संप्रभुत्व है. हम किसी से भी तेल खरीद सकते हैं.”

हमारी बात माने भारत को दे देंगे छूट: नवारो

नवारो ने कहा, “अगर भारत हमारी बात मान ले तो राहत मिल जाएगी. यह बहुत आसान है. अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे तो कल ही उसे 25% छूट मिल सकती है.”

पीटर नवारो की बदजुबानी, रूस-यूक्रेन को बताया मोदी का युद्ध

पीटर नवारो ने कहा, राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ लगाकर भारत के साथ एकदम सही किया. भारत सस्ती दरों पर रूसी तेल खरीदकर पुतिन के सैन्य अभियान को बढ़ावा दे रहा है. नवारो की बदजुबानी तो देखिए, जो पीएम मोदी युद्ध रोकने और शांति की बात करते हैं, उन्हीं पर नवारो ने युद्ध का हिस्सेदार बता डाला. 

नवारो ने कहा, “रूस-यूक्रेन युद्ध, मोदी का युद्ध है. मैं मोदी युद्ध इसलिए कह रहा, क्योंकि भारत रूस से डिस्काउंट में तेल खरीदकर रूसी युद्ध प्रयासों के लिए वित्तीय मदद कर रहा है. रूस उस पैसे का इस्तेमाल अपने युद्ध मशीन को फंड करने में करता है, और अधिक यूक्रेनी मारे जाते हैं.”

नवारो ने ये भी माना कि “अगर पीएम मोदी चाहें तो युद्ध रोकने में मदद कर सकते हैं. क्योंकि शांति का रास्ता कुछ हद तक नई दिल्ली से होकर जाता है.”

पिछले सप्ताह भी नवारो ने ऊलजलूल बयानबाजी की थी. टैरिफ के मामले में भारत को महाराजा बताते हुए चीन-रूस की करीबी पर बकवास की थी. नवारो ने उस वक्त कहा था,“भारत शी जिनपिंग के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा है, यही वह कर रहा है. भारत को रूसी तेल की जरूरत नहीं है. यह रिफाइनिंग की मुनाफाखोरी की योजना है. भारत हमें सामान बेचकर जो पैसा कमाता है, उससे वह रूसी तेल खरीदता है. यह पागलपन है. नई दिल्ली कम कीमतों रूस से कच्चा तेल खरीद खरीदकर उसे रिफाइन करके दुनिया भर में प्रीमियम कीमत पर बेचकर क्रेमलिन के लिए कपड़े धोने की मशीन की तरह काम कर रहा है.”

अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत

अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाकर अपनी किरकिरी खुद करवाई है. पहले तो भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर मामले में भारत ने झूठा क्रेडिट देने से मना कर दिया. 

फिर 50 प्रतिशत टैरिफ को लेकर भी झुकने से मना कर दिया. ट्रंप को लगा था कि दूसरे देशों की तरह पीएम मोदी, टैरिफ कम करने के लिए गिड़गिड़ाएंगे, लेकिन पीएम मोदी ने उल्टा ये कह दिया कि भारत अपने राष्ट्रहित के बारे में सोचेगा. 

अब दुनिया के सामने ये भी सामने आ चुका है कि टैरिफ वॉर के बीच ट्रंप ने 4 बार पीएम मोदी को कॉल किया, लेकिन पीएम मोदी ने फोन नहीं उठाया. 

वहीं चीन से संबंध सुधारकर चीन के दौरे पर पहुंच रहे हैं, जो अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. चीन में जब पीएम मोदी, पुतिन और जिनपिंग एक साथ एक मंच पर आएंगे तो अमेरिका जलता रहेगा, क्योंकि एशिया के सबसे बड़े सहयोगी भारत से तल्खी बढ़ाकर, और आतंकिस्तान के करीब जाकर अमेरिका ने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है.

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