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सेना में महिलाओं को सराहा राष्ट्रपति ने, कमांड को लेकर उठे हैं सवाल

सेना में महिला कमांडिंग ऑफिसर्स (सीओ) के व्यवहार को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच राष्ट्रपति राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की बढ़ती ताकत और भूमिका सभी के लिए, विशेषकर युवा लड़कियों के लिए ‘उत्साहजनक’ और ‘प्रेरणादायक’ है. राष्ट्रपति, देश की सशस्त्र सेनाओं की सुप्रीम कमांडर भी हैं.

गुरूवार को राष्ट्रपति वेलिंगटन (तमिलनाडु) स्थित ‘डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज’ में स्टूडेंट-ऑफिसर्स को संबोधित कर रहीं थी. राष्ट्रपति ने कहा कि “यह जानकर खुशी हुई कि महिला अधिकारी अब तीनों सेनाओं में विभिन्न इकाइयों की कमान संभाल रही हैं.”

श्रीमती मुर्मू ने सशस्त्र बलों में ‘अधिक से अधिक’ महिलाओं के शामिल होने की उम्मीद जताई, “जहां वे असाधारण क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकती हैं और नए क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकती हैं.” (https://x.com/rashtrapatibhvn/status/1862052894385852481)

हाल ही में भारतीय सेना के एक कोर कमांडर ने पूर्वी कमान के कमांडिंग इन चीफ को पत्र लिखकर महिला सीओ के व्यवहार को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी. कोर कमांडर ने कहा था कि महिला सीओ में मातहत सैनिकों के ‘मैनेजमेंट’ से जुड़ी शिकायतें सामने आई हैं.

कोर कमांडर के मुताबिक, महिला अधिकारियों में ‘इगो-प्रॉब्लम’, मातहत अधिकारियों पर ‘अविश्वास’ और ‘पूर्वाग्रह’ जैसे मुद्दे साफ दिखाई पड़े. यहां तक की फैसले लेने में सबको साथ लेकर चलने की ‘भावना’ महिला अधिकारियों में कम दिखाई पड़ी.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सेना (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) में महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन के साथ ही अधिकतर आर्म्स और कोर में कमांडिंग ऑफिसर (कर्नल रैंक) दे दी गई है. ऐसे में कोर कमांडर ने महिला अधिकारियों को सीओ बनने की ट्रेनिंग देने का आह्वान किया है ताकि यूनिट में कोई मैनेजमेंट दिक्कतें सामने ना आएं.

खास बात ये है कि गुरूवार को जिस स्टाफ कॉलेज में राष्ट्रपति का संबोधन हुआ, वहां कर्नल रैंक के अधिकारियों की ट्रेनिंग होती है.

मिलिट्री ऑफिसर्स को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने ये भी कहा कि “तेजी से बदलते भू-राजनीतिक माहौल में, हमें किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अच्छी तरह तैयार रहने की जरूरत है.”

सुप्रीम कमांडर ने कहा कि “हमें न केवल अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखना है, बल्कि साइबर युद्ध और आतंकवाद जैसी नई राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना है. जलवायु परिवर्तन का मुद्दा नए आयाम हासिल कर रहा है, जिसे समझने और प्रबंधित करने की जरूरत है.”

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