By Khushi Vijai Singh
जम्मू क्षेत्र में हुए हालिया हमलों के मद्देनजर गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई है. बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवल और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा सहित सेना और सीआरपीएफ के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे. पिछले एक हफ्ते में हुए इन हमलों में एक श्रद्धालुओं की बस पर हमला, पाकिस्तानी सीमा के करीब कठुआ में एक गांव में फायरिंग, और डोडा में पुलिस और आर्मी की अस्थाई चौकी पर फायरिंग की घटनाएं शामिल हैं.
ये आतंकी हमले और वारदात पहले कश्मीर घाटी में होते थे, लेकिन पिछले एक-डेढ़ साल से जम्मू क्षेत्र भी आतंकियों की नजर में चढ़ गया है. जानकार मानते हैं कि इन हमलों का मकसद जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को जिंदा करना और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों को बाधित करना है, जो धारा 370 हटाए जाने के बाद पहली बार हो सकते हैं. कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों की भारी मौजूदगी के चलते आतंकियों के लिए वहां सक्रिय होने में खासी मुश्किल हो रही है. ऐसे में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने जम्मू का रुख किया है.
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद, पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों की रणनीति कश्मीर घाटी से हटकर जम्मू पर केंद्रित हो गई है. पिछले डेढ़ साल में, आतंकियों ने जम्मू रीजन में बार-बार हमले किए हैं, जिससे वहां हिंसा में वृद्धि हुई है.
हाल में चुनाव के दौरान, खुद गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर में अमन-शांति को देखते हुए राज्य से अफस्पा यानी आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट हटाने की बात कही थी. यही वजह है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन नहीं चाहते हैं कि दुनिया में जम्मू-कश्मीर एक शांत इलाके के तौर पर जाना जाए. पाकिस्तान चाहता है कि कश्मीर एक अशांत राज्य रहेगा तो वैश्विक मंच पर भारत को घेरता रहेगा. रविवार की मीटिंग में जम्मू-कश्मीर में जल्द होने जा रही अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की समीक्षा भी की जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली जाने से पहले एनएसए अजीत डोवल को काउंटर-टेरेरिज्म के फुल स्पेक्ट्रम को आतंकियों के खात्मे में इस्तेमाल करने का निर्देश दिया था. मोदी ने चाहते हैं कि कश्मीर घाटी में हुई शांति को जम्मू की हिंसा से खराब किया जाए. तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेने के दिन ही आतंकियों ने रियासी इलाके में तीर्थ-यात्रियों की बस पर बड़ा हमला कर मोदी को खुली चुनौती दे डाली है. इस हमले के दौरान आतंकियों ने बस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी थी जिससे बस खाई में जाकर गिर गई थी. इस हमले में एक दो साल के मासूम बच्चे सहित कुल 09 लोगों की जान चली गई थी और 30 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
रियासी की घटना के बाद आतंकियों ने पाकिस्तान बॉर्डर के करीब कठुआ में गांव में अंधाधुंध गोलियां चला दी थी. इस एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को जरुर मार डाला लेकिन सीआरपीएफ के एक जवान भी वीरगति को प्राप्त हो गए थे. उसके अगले दिन डोडा जिले में दो अलग-अलग जगह पर आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया. ऐसे में ये माना जा रहा है कि आतंकियों के कई ग्रुप जम्मू क्षेत्र में सक्रिय हैं जो जंगलों में छिपे हुए हैं. जंगल से निकलकर वे छापेमारी के जरिए आम लोगों और सुरक्षाबलों पर हमला बोल देते हैं.