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एरिया डिनायल म्युनिशन: दहलीज नहीं लांघ पाएगा दुश्मन

रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग से भारतीय सेना ने भी हथियारों के इस्तेमाल को लेकर बड़ी सीख ली हैं. इनमें सबसे प्रमुख है ‘एरिया डिनायल म्युनिशन सिस्टम’ (एडीएमएस) जिसके लिए भारतीय सेना के तोपखाने ने ‘पिनाका’ रॉकेट सिस्टम में जरूरी बदलाव पूरे कर लिए हैं.

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने भारतीय सेना के लिए पिनाका रॉकेट सिस्टम के 10 हजार करोड़ से ज्यादा के एम्युनिशन को मंजूरी दी थी.

पिनाका के जिन एम्युनिशन की मंजूरी दी गई है उसमें एरिया डिनायल एम्युनिशन और लंबी दूरी के रॉकेट सिस्टम शामिल हैं.

पिनाका के जरिए बिछाई जाएगी बारूदी सुरंग

एडीएमएस के जरिए, लैंडमाइंस यानी बारूदी सुरंग को बिछाने के लिए पिनाका रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा. ऐसे में 30-40 किलोमीटर दूर से ही रॉकेट के जरिए बारूदी सुरंग को बिछाया जा सकता है.

सीसीएस ने पिनाका रॉकेट सिस्टम के जिस एम्युनिशन के लिए मंजूरी दी है, उसे नागपुर का सोलर ग्रुप और डिफेंस पीएसयू म्युनिशन इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) तैयार करेगी. दोनों ही कंपनियां, दोनों तरह के गोला-बारूद का निर्माण करेगी.

सोलर ग्रुप को 6000 करोड़ का कॉन्ट्रेक्ट दिया गया है जबिक एमआईएल को चार हजार करोड़ का.

गलवान घाटी की झड़प के दौरान चीन ने किया था एडीएमएस का प्रदर्शन

दुश्मन की इंफेंट्री (पैदल-सैनिकों) से लेकर टैंक और दूसरे मैकेनाइज्ड फोर्सेज को अपने अधिकार-क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोकने के लिए बारूदी सुरंग को बिछाया जाता है. भारत में अभी तक ये जिम्मेदारी कोर ऑफ इंजीनियर्स के हवाले हैं. इंजीनियर्स कोर के सैनिक (सैपर्स) इन बारूदी सुरंग को बिछाते हैं, जो बेहद जोखिम कार्य है और समय भी ज्यादा लगता है.

गौरतलब है कि गलवान घाटी की झड़प के दौरान चीन की पीएलए सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब इस तरह के रॉकेट सिस्टम का प्रदर्शन किया था. यही वजह है कि भारतीय सेना भी इस सिस्टम को जल्द से जल्द तैयार कर तोपखाने का हिस्सा बनाने में जुटी है.

रूस-यूक्रेन युद्ध से ली सीख

रूस-यूक्रेन युद्ध में एरिया डिनायल एम्युनिशन का जमकर इस्तेमाल किया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि रूस और यूक्रेन, दोनों देशों की सेना एक दूसरे की सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रही हैं. ऐसे में दुश्मन के आक्रमण को रोकने के लिए मल्टी लॉन्चर रॉकेट सिस्टम के जरिए बारूंदी सुंरग को सीमावर्ती क्षेत्रों में बिछाया जा रहा है. 

पिनाका की रेंज बढ़ी

भारतीय सेना के मुताबिक, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम आज दुनिया के सबसे घातक सिस्टम में से एक है. पिनाका की रेंज को भी बढ़ा दिया गया है.

पिनाका की रेंज करीब 40 किलोमीटर थी लेकिन वर्ष 2019 में डीआरडीओ ने इस रॉकेट को मिसाइल सिस्टम में तब्दील कर दिया था ताकि मारक क्षमता और रेंज को बढ़ाया जा सके. अब पिनाका सिस्टम की रेंज करीब 75 किलोमीटर हो गई है. ऐसे में भारतीय सेना पिनाका के जरिए ही लैंड माइंस को बिछाने की तैयारी कर रही है.  

बुधवार को सीसीएस ने पिनाका के एक्सटेंडेड रेंज के एम्युनिशन को ही मंजूरी दी गई है.

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