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Mech-Infantry को प्रेसिडेंट कलर्स, ऑपरेशन लेपर्ड में मनवाया लोहा

पूर्वी लद्दाख में ऑपरेशन लैपर्ड के दौरान चीनी सेना के खिलाफ तेजी से मोबिलाइज करने वाले भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड-इन्फेंट्री (मैक-इन्फेंट्री) की चार बटालियन को प्रेसिडेंट्स कलर्स से नवाजा गया है.

महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री सेंटर एंड स्कूल में एक सैन्य समारोह में थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मैक-इंफेन्ट्री की 26वीं और 27वीं बटालियन को प्रेसिडेंट कलर प्रदान किया गया. इसके अलावा ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स की 20वीं और 22वीं बटालियन को भी ये सम्मान दिया गया. गार्ड्स की इन दोनों बटालियन को भी अब मैक-इन्फेंट्री में तब्दील कर दिया गया है.

मैक-इंफैन्ट्री, भारतीय सेना की सबसे युवा आर्म्स में से एक है जिसे 1979 में खड़ा किया गया था. लेकिन इन्फेंट्री (पैदल सैनिक) और मैकेनाइज्ड कॉलम्स (बख्तरबंद गाड़ियों) को मिलाकर खड़ी की गई मैक-इन्फेंट्री को 80 के दशक के आखिरी वर्षों में मजबूती प्रदान की गई. यही वजह है कि तुरंत बाद ही मैक-इन्फेंट्री को श्रीलंका में ऑपरेशन पवन (इंडियन पीस कीपिंग फोर्स) में तैनात किया गया था.

हालांकि, रूसी बख्तरबंद बीएमपी व्हीकल वाली भारतीय सेना की मैक-इंफेन्ट्री का इस्तेमाल करगिल युद्ध में भी किया गया था, लेकिन असल में जंग के मैदान में उतारा गया वर्ष 2020 में.

गलवान घाटी की झड़प (जून 2020) के बाद पूर्वी लद्दाख में चीन से हुई तनातनी के बाद भारतीय सेना ने चीन की पीएलए सेना के खिलाफ बड़ी संख्या में बीएमपी व्हीकल को तैनात किया गया था (जो आज भी जारी है). बेहद तेजी से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मूव करने वाली बीएमपी व्हीकल की तैनाती से चीन भी भौचक्का रह गया था.

पिछले महीने यानी अक्टूबर (2024) में सेना ने बीएमपी व्हीकल को जम्मू कश्मीर में अखनूर सेक्टर में आतंकियों के खिलाफ एक ऑपरेशन में भी उतार दिया था. क्योंकि बीएमपी व्हीकल में सैनिक काफी सुरक्षित रहकर आतंकियों से मुकाबला कर सकते थे. इस ऑपरेशन में सेना ने तीन आतंकियों को ढेर किया था.

पिछले कुछ सालों में बीएमपी व्हीकल (इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल यानी आईसीवी) को भारत में ही निर्माण किया जाता है जिन्हें सारथ का नाम दिया गया है. सारथ-2 व्हीकल्स में एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम), मशीन गन और 30 एमएम गन के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से ड्रोन को भी इंटीग्रेट कर दिया गया है. ऐसे में इन बख्तरबंद गाड़ियों को फ्यूचर-वॉर के लिए तैयार किया गया है.

पांच-छह सैनिक इन आईसीवी में सुरक्षित रहकर आतंकियों से मुकाबला कर सकते हैं. नदी-नालों से लेकर ऊबड-खाबड़, जंगलों और ऊंचाई वाले इलाकों में उन्हें आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है.

बुधवार को प्रेसिडेंट कलर प्रदान करते हुए थलसेना प्रमुख ने अपने संबोधन में मैक-इन्फेंट्री की देश की सुरक्षा में योगदान की प्रशंसा की. साथ ही बताया कि यूएन पीसकीपिंग मिशन में भी मैक-इन्फेंट्री का बड़ा इस्तेमाल किया जा रहा है.

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