जम्मू कश्मीर में एक के बाद एक हो रहे आतंकी हमलों के बीच खुद थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ग्राउंड जीरो पहुंच गए हैं. उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के कमांडर के पद पर रह चुके जनरल द्विवेदी पुलिस और केंद्रीय पुलिसबलों के साथ मिलकर आतंकियों की तबाही की प्लानिंग तैयार की है.
आतंकियों को नहीं पूर्व फौजियों को भेज रहा पाकिस्तान ?
डोडा में आतंकियों के साथ चल रही मुठभेड़ के बीच पाकिस्तान आर्मी की एक तस्वीर ने खलबली मचा दी है. कुछ दिनों पहले ऐसी आशंका जताई गई थी कि पाकिस्तान के पूर्व फौजी आतंकियों के शक्ल में घाटी में घुसपैठ कर रहे हैं और आतंक फैला रहे हैं. अब इस दावे के पुख्ता सबूत मिले हैं.
पाकिस्तानी आर्मी की पीओके में हथियार चलाने की ट्रेनिंग की तस्वीरें सामने आई हैं. आतंकी कैंप की तस्वीरें पीओके की हैं, जिसमें पाकिस्तान आर्मी रिटायर्ड फौजियों और लोगों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रही है. इन तस्वीरों से आशंका ये जताई जा रही है कि आतंकियों को घुसपैठ कराने और फिर सुरक्षाबलों से एनकाउंटर लेने के दौरान के गुर सिखाए जा रहे हैं. पाकिस्तान आर्मी ने बकायदा कैंप लगाया है और कैंप में उन लोगों को भर्ती कर रही है जो रिटायर्ड फौजी या फिर कमांडो हों.
पिछले कुछ अटैक और एनकाउंटर पर गौर किया जाए तो जिस तरह से सैन्य बलों पर निशाना साधा गया है. वो किसी सामान्य आतंकी के बस की बात नहीं लगती. इसके अलावा जंगल में आतंकी घेरे जाते हैं पर एनकाउंटर के दौरान आतंकियों के खात्मे के साथ ही हमारे जवानों को भी वीरगति मिल रही है, वो भी बहुत सामान्य नहीं लग रहा. एनकाउंटर के दौरान हमारे जवानों को उन जगहों पर गोली मारी जा रही है, जो बुलेटप्रूफ से कवर नहीं थे.
कठुआ में हुए अटैक के दौरान आतंकियों ने ठीक वैसा ही बॉडी कैम लगा रहा था, जैसा कि कमांडो एक ऑपरेशन के दौरान लगाते हैं. कहीं ना कहीं ये बात पुख्ता हो रही है कि घाटी में कोई सामान्य ट्रेनिंग लेकर घाटी में आए आतंकी नहीं लगते. ये पाकिस्तान के कमांडो या पूर्व सैनिक हैं. जिन्हें घने जंगलों में भी छिपने और एनकाउंटर की कड़ी ट्रेनिंग हासिल है.
अफगानिस्तान युद्ध वाली अमेरिकी एम4 कार्बाइन से हमला
सोमवार को डोडा हमले में राष्ट्रीय राइफल्स के चार सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी. एक संदिग्ध गतिविधि देखे जाने के बा कैप्टन बृजेश थापा की अगुवाई में डोडा में आतंकियों का पीछा किया गया पर इस दौरान उनपर अटैक कर दिया गया. कैप्टन बृजेश थापा, नायक डोक्करी राजेश, सिपाही बिजेंद्र और सिपाही अजय सिंह बुरी तरह से घायल हुए. जिसके बाद अगली सुबह मंगलवार को चारों जांबाजों का निधन हो गया. पर सेना को हैरान करने वाली बात ये लगी कि शहीदों के शरीर पर गोलियों के निशान किसी आम आतंकी के नहीं थे. डोडा के आतंकियों ने बुलेटप्रूफ को भेदने वाली गोलियों और अमेरिकी एम4 कार्बाइन से अटैक किया हमला किया है जो अफगानिस्तान युद्ध में इस्तेमाल हुए थे. ऐसे में माना जा रहा है कि हमलावर कोई आम आतंकी नहीं बल्कि पाकिस्तानी आर्मी के विशेष खुफिया अभियान बल के लोग थे.
सोमवार से ही डोडा के घने जंगलों में 2-3 आतंकियों के घेरे जाने की सूचना है. पर जिस तरह से ये पाकिस्तानी आतंकी जंगल में बैठकर छका रहे हैं, ऐसा माना जा रहा है कि वो कोई साधारण आतंकी नहीं बल्कि पाकिस्तानी आर्मी के ही पूर्व सैनिक या कमांडो हैं. जंगल में काफी लंबे समय से आतंकी छिपे हुए हैं और समय समय पर सैन्य बलों पर अटैक करके वापस जंगल में ही छिप रहे हैं. जंगल वारफेयर की ऐसी ट्रेनिंग भी सेना में ही दी जाती है.
पाकिस्तान परस्त आतंकियों का क्या है इलाज?
जम्मू-कश्मीर में हाल में ही हुए आतंकी हमलों के लिए जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े कश्मीर टाइगर्स ने जिम्मेदारी ली है. आतंकियों ने अपना टारगेट एरिया कश्मीर से जम्मू की ओर शिफ्ट कर दिया है. साल 2021 से अब तक 52 सैनिकों समेत कुल 70 लोगों की मौत हो चुकी है.
दरअसल तीसरी बार मोदी सरकार के सत्ता में आने और जम्मू कश्मीर में जिस तरह से लोकसभा चुनावों में बंपर वोटिंग हुई, उससे पाकिस्तान परस्त आतंकी बौखलाए हुए हैं. जम्मू कश्मीर में शांति उन्हें भा नहीं रही है. अब अगले महीने अगस्त में जम्मू-कश्मीर में चुनाव को लेकर चुनाव आयोग समीक्षा बैठक करने जा रहा है. ऐसे में पाकिस्तान और उसके आतंकवादी संगठनों को लगता है कि लोकसभा चुनाव की तरह अगर इन चुनाव में भी भारी वोटिंग हुई तो जम्मू-कश्मीर पूरी तरह से मुख्य धारा से जुड़ जाएगा. लिहाजा वो जम्मू कश्मीर को अशांत करना चाहते हैं.
पर पाकिस्तान ये जान ले कि भारत चुप है पर कमजोर नहीं. क्योंकि ये वही भारत है जो दिन भी खुद चुनता है. समय भी खुद चुनता है और जगह भी खुद चुनता है,
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