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कॉम्बेट फ्लीट तैयार, जनरल पांडे पहुंचे लेह-लद्दाख

शक्सगाम घाटी में चीन की नई सड़क बनने की खबर के बाद थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने लेह-लद्दाख के फॉरवर्ड एरिया का दो दिवसीय दौरा कर ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा की है. इस दौरान जनरल पांडे ने हाई ऑल्टिट्यूड एरिया में सेना की टैंक और दूसरे आर्मर्ड व्हीकल्स की मेंटेनेंस फैसिलिटी का दौरा किया जहां माइनस (-) 40 डिग्री में तैनात करने के लिए कॉम्बेट फ्लीट को हर दम तैयार रखा जाता है. 

थलसेना प्रमुख ने आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल्स (एएफवी) की मीडियम मेंटेनेंस रिसेट फैसिलिटी के दौरा कर वहां तैनात सभी मिलिट्री इंजीनियर्स और टेक्नीशियन को बेहद ऊंचाई (15-16 हजार फीट) और ठंडे इलाकों में अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण और कुशलता के लिए सराहना की. पूर्वी लद्दाख के बेहद ऊंचाई वाले ऊबड-खाबड़ इलाकों में जहां तापमान माइनस (-) 40 डिग्री तापमान तक गिर जाता है वहां टैंक, आर्मर्ड पर्सनल व्हीकल और मिलिट्री-ट्रक तक के इस्तेमाल में काफी तकनीकी बाधाएं सामने आती हैं. ऐसे में इस मेंटेनेंस फैसिलिटी के जरिए एएफवी की ऑपरेशन्स क्षमताओं को उच्च-कोटि का बनाए रखने के साथ ही युद्ध के लिए हरदम तैयार रखने में खासी मदद मिलती है. 

जनरल पांडे ने अपने लेह-लद्दाख के दौरे के दौरान सेना के साथ-साथ भारतीय वायुसेना, आईटीबीपी और बीआरओ के सैनिकों के साथ मुलाकात कर उनके उत्साह और दृढ़ता की प्रशंसा की. थलसेना प्रमुख ने सैनिकों को संबोधित करते हुए  चुनौतीपूर्ण जलवायु और दुर्गम इलाकों में उच्च मनोबल और दृढ़-संकल्प की प्रशंसा की. थलसेनाध्यक्ष ने सभी रैंक (सैन्य अधिकारी और सैनिकों) से प्रोफेशनलिज्म, जोश और उत्साह के साथ मिलकर काम करना जारी रखने का भी आह्वान किया.

दरअसल, हाल ही में खबर आई थी कि चीन ने सियाचिन ग्लेशियर से सटी बेहद ही दुर्गम शक्सगाम वैली के अग्हिल पास (दर्रे) में एक सड़क बना ली है. भारत के लिए अग्हिल पास में चीन की सड़क इसलिए चिंता का विषय है क्योंकि यहां से सियाचिन की दूरी महज 40-50 किलोमीटर है. दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र, सियाचिन ग्लेशियर भले ही भारत के अधिकार-क्षेत्र में है लेकिन उस पर पाकिस्तान की निगाह हमेशा लगी रहती है. ऐसे में अगर उत्तर-पूर्वी छोर से चीन भी इसके करीब पहुंच जाता है तो भारत के लिए यहां टू-फ्रंट यानी दो-दो मोर्चों को संभालना होगा. 

चीन ने अग्हिल पास पर सड़क बनाकर अपने जी-219 हाईवे को काराकोरम रेंज से जोड़ने की कोशिश की है. ऐसा करने से चीन से पाकिस्तान के स्कार्दू और हुंजा तक शॉर्ट-कट ( छोटा मार्ग) बन जाएगा. शक्सगाम वैली को जोड़ने से चीन और पाकिस्तान पूर्वी लद्दाख के देपसांग प्लेन और डीबीओ के नजदीक पहुंच जाएंगे (शक्सगाम घाटी भारत की है, सुन ले चीन-पाकिस्तान !).

यही वजह है कि थलसेना प्रमुख का लेह-लद्दाख का दौरा बेहद अहम माना जा रहा है. शुक्रवार को लेह पहुंचने पर जनरल पांडे ने सेना की 14वीं (फायर एंड फ्यूरी) कोर के मुख्यालय का दौरा कर सुरक्षा स्थिति और तैयारियों को लेकर जानकारी हासिल की थी. कोर के कमांडर्स ने सियाचिन और पूर्वी लद्दाख में सैन्य तैयारियों के बारे में विस्तृत अपडेट किया था.