भविष्य के लिए खुद को तैयार कर रही है भारतीय सेना. फ्यूचर में होने वाले युद्ध को लेकर तमाम तरह की प्रौद्योगिकी चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय सेना खुद को मजबूत करने में जुट गई है. जिस तरह से टेक्नोलॉजी दिनो दिन बढ़ती जा रही है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के युग में सेना भी खुद को दो कदम रखना चाहती है. ताकि दुश्मनों से ना सिर्फ रणक्षेत्र में बल्कि टेक्नोलॉजी में भी मुकाबला किया जा सके.
रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत और स्टार्ट अप इंडिया के सिद्धांतों के साथ भारतीय सेना ने एक विशिष्ट प्रौद्योगिकी इकाई का गठन किया है, जो रक्षा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5G, 6G, मशीन लर्निंग, क्वांटम प्रौद्योगिकियों जैसी भविष्य की कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी के रिसर्च और मूल्यांकन का कार्य करेगी. ‘सिग्नल टेक्नोलॉजी मूल्यांकन और अनुकूलन समूह’ यानी एसटीईएजी के तहत नई-नई तकनीक विकसित होगी. जिससे सेना एक महत्वाकांक्षी तौर पर सैन्य-ग्रेड 5जी और 6जी दूरसंचार एप्लिकेशन विकसित करे और खुद को भविष्य के लिए तैयार करें.
दरअसल कम्युनिकेशन, सैन्य ऑपरेशन की सबसे अहम कड़ी है. जिस तरह से दुनिया में अलग अलग मोर्चों पर तनाव की स्थिति है, भारत भी खुद अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है. युद्ध क्षेत्र में तेजी से विकसित हो रहीं टेक्नोलॉजी और बेहतर कम्युनिकेशन के साथ साथ खुफिया और परिचालन को बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त टेक्नोलॉजी समय की मांग है. आधुनिक युद्ध के दौरान तमाम इकाइयों और संरचनाओं को एक दूसरे से बिना किसी बाधा के जोड़ना एक बड़ी चुनौती है. नई नई टेक्नोलॉजी के जरिए तैयार किए गए नए उपकरणों समय की मांग है. लिहाजा एसटीईएजी के बनाया जाना डिजिटल क्षेत्र में क्रांति की तरह है. एसटीईएजी से सेना डिजिटल क्षेत्र में इसकी क्षमताओं को बढ़ाएगी.
भारतीय सेना के मुताबिक, एसटीईएजी इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज, मोबाइल संचार, सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एसडीआर), इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सिस्टम, 5जी और 6जी नेटवर्क, क्वांटम टेक्नोलॉजीज को शामिल करने के लिए वायर्ड और वायरलेस सिस्टम के संपूर्ण स्पेक्ट्रम को शामिल करने वाली अनुरूप प्रौद्योगिकियों के बनाए और विकास करने में मदद करेगा. सेना का दावा है कि ये एक प्रमुख संगठन होगा जो सेना को ना सिर्फ तकनीकी तौर पर तैयार करेगा बल्कि अपने दुश्मनों से आगे रखने में भी मददगार बनेगा.
डिजिटल और साइबर सुरक्षा क्षेत्रों में भी तेजी से बदलाव हो रहा है. सेना के जवानों को ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है. 5जी और 6जी का परीक्षण करने की तैयारी है ताकि भारतीय सेना को अत्याधुनिक तकनीक से जोड़ा जाए.आत्मनिर्भर भारत और स्टार्ट-अप इंडिया के सिद्धांतों के साथ खुद को जोड़ते हुए ये संगठन सशस्त्र बलों, उद्योग और शिक्षा जगत के बीच एक ब्रिज की तरह से काम करेगा. डिफेंस के क्षेत्र में ये संस्था भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी क्योंकि अबतक कुछ देशों का टेक्नोलॉजी पर एकाधिकार है लेकिन अब भारत भी इस संगठन के जरिए ‘गेम चेंजर’ बन सकता है.
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