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राजौरी में प्रोफेसर की पिटाई, सेना ने शुरु की जांच

जम्मू-कश्मीर के राजौरी में शांति लौटाने में जुटी सेना के जवानों पर एक प्रोफेसर के साथ मारपीट करने का आरोप लगा है. सोशल मीडिया पर  प्रोफेसर का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उनके सिर पर गंभीर चोट नजर आ रही थी. सेना ने वीडियो को बेहद गंभीरता से लिया है और जवानों द्वारा कथित मारपीट के मामले में जांच शुरु कर दी है.

बताया जा रहा है कि दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत लियाकत अली अपने कुछ परिजनों के साथ एक रिश्तेदार के निकाह में शामिल होने के बाद कालाकोट स्थित अपने घर लौट रहे थे. इसी दौरान ये घटना सामने आई.

संवेदनशील इलाके में जवानोें से हुई हथियार छीनने की कोशिश: सेना

सेना ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी करके कहा, “राजौरी जिले में सेना के जवानों द्वारा कुछ व्यक्तियों के साथ कथित दुर्व्यवहार की घटना सामने आई है. यह इलाका संवेदनशील है और सेना को एक वाहन में आतंकवादियों की संभावित आवाजाही की सूचना मिली थी. इसी के तहत तलाशी अभियान चलाया जा रहा था. सर्च ऑपरेशन के दौरान जब जवानों ने एक व्यक्ति को रोका गया, तो उसने ड्यूटी पर तैनात जवानों से हथियार छीनने की कोशिश की और झड़प जैसी स्थिति पैदा कर दी. पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. यदि कोई भी जवान दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ मौजूदा कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी.”

मुझे वर्दी पर गर्व रहा, लेकिन भयावह सच्चाई ने मुझे झकझोर दिया: पीड़ित प्रोफेसर

राजौरी में प्रोफेसर लियाकत अली ने सेना के जवानों को कटघरे में खड़ा करते हुए सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां किया था. प्रोफेसर लियाकत ने लिखा, “मेरे पूरे परिवार ने भारतीय सेना में सेवा दी है. मुझे हमेशा वर्दी पर, सेवा पर और बलिदान पर गर्व रहा है. लेकिन इस अनुभव ने उस गर्व को अंदर तक झकझोर दिया. बिना किसी कारण मुझ पर हमला किया गया, सिर पर हथियार से मारा गया और वह भी उन्हीं लोगों द्वारा जिन पर मैंने हमेशा आंख मूंदकर भरोसा किया. इसने मुझे एक भयावह सच्चाई का एहसास कराया, अगर सिस्टम चाहे, तो वह किसी भी इंसान का ‘एनकाउंटर’ कर सकता है, वह भी बिना किसी सबूत, बिना किसी मुकदमे और बिना किसी न्याय के. इस जख्म को कोई माफी नहीं भर सकती. अब एक ही सवाल मन में गूंजता है, क्या अब न्याय केवल वर्दी वालों की विशेषता बन गया है?”

लोग भारतीय सेना के साथ सहयोग और सहभागिता बनाएं: सेना

सेना ने प्रोफेसर लियाकत अली की आपबीती को बेहद गंभीरता से लिया है, लेकिन सेना ने ये भी बताया है कि जिस जगह ये घटना घटी है, वहां आतंकियों की मौजूदगी की सूचना के बाद सर्च ऑपरेशन चल रहा था.

सेना ने जांच शुरु करने के साथ ही लोगों से अपील करते हुए आधिकारिक बयान में कहा है, “सेना आतंकवाद-रोधी अभियानों के संचालन में व्यावसायिकता और अनुशासन के उच्चतम मानकों को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है. समाज के सभी वर्गों से अनुरोध है कि इस संवेदनशील इलाके में सामूहिक और व्यापक सुरक्षा के लिए भारतीय सेना के साथ सहयोग और सहभागिता बनाए रखें.”

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