दुनियाभर में जंग के मैदान में तेजी से बदल रही मिलिट्री-टेक्नोलॉजी के मद्देनजर, भारतीय सेना अब ‘डोमेन स्पेशलिस्ट’ को शामिल करने जा रही है. ये सिविलियन स्पेशलिस्ट खासतौर से साइबर और आईटी डोमेन के अलावा इंफो-वॉरफेयर के लिए शामिल किए जाएंगे. जल्द ही सेना इसके लिए रिक्रूटमेंट विज्ञापन निकालने जा रही है.
भारतीय सेना के डिप्टी चीफ ऑफ (आई एस एंड सी), लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर के मुताबिक, इस तरह के डोमेन स्पेशलिस्ट के भर्ती टेरिटोरियल आर्मी (टीए) में शुरू हो चुकी है और जल्द ही रेगुलर आर्मी (थलसेना) में शुरू होने जा रही है. ले. कपूर के मुताबिक, रेगुलर सेना में भर्ती के अलावा टीए में भी इस तरह के एक्सपर्ट की भर्ती जारी रहेगी.
डिप्टी चीफ आर्मी स्टाफ के मुताबिक, अफसर रैंक के लिए अभ्यर्थी को पोस्ट-ग्रेजुएट होना जरूरी है. जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ) के लिए स्नातक होना जरूरी है. भर्ती होने के बाद सेना में इन स्पेशलिस्ट को काबिलियत और परफोर्मेस के हिसाब से प्रमोशन भी दिया जाएगा. इनकी रैंक भी सैन्य अधिकारी की तरह है कर्नल और ब्रिगेडियर जैसी होंगी.
दरअसल, भारतीय सेना ने वर्ष 2024-25 को ‘टेक्नोलॉजी अब्जॉर्प्शन वर्ष’ घोषित किया है. साथ ही अगले एक दशक में भारतीय सेना को एक टेक्नोलॉजी एडवांस आर्मी बनाने का संकल्प लिया है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि ऐसे टेक्नोलॉजिकल-वॉरियर्स यानी योद्धाओं को सेना में शामिल किया जाए, जिन्हें साइबर, इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) और इनफार्मेशन वारफेयर की समझ हो.
राजधानी दिल्ली में मीडिया को ऑफ-कैमरा संबोधित करते हुए ले.जनरल कपूर ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में दिख चुका है कि नॉन-काइनेटिक और नॉन-कॉन्टैक्ट वारफेयर कितना महत्वपूर्ण हो चुका है. ऐसे में भारतीय सेना को भी इन क्षेत्रों में मजबूत पकड़ बनानी होगी. डिप्टी चीफ ने तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी को मिलिट्री के साथ ‘सिंबायोटिक-रिलेशनशिप’ बनाने पर जोर दिया.
थल सेना में इंफॉर्मेशन, सिस्टम एंड कम्युनिकेशन की पूरी जिम्मेदारी डिप्टी चीफ ले. जनरल कपूर के कंधों पर है.
टीएफए के इस सवाल पर कि रूस-यूक्रेन जंग में टॉप मिलिट्री कमांडर को वॉयस-सैंपल और स्मार्ट वॉच को ट्रैक कर टारगेट किया गया, ऐसी टेक्नोलॉजी को लेकर भारतीय सेना क्या कर रही है, ले. कपूर ने साफ तौर से कहा कि हम दुनियाभर की टॉप आर्मी के कन्टेम्परेरी यानी बराबर हैं.
भारतीय सेना के मुताबिक, टेरिटोरियल आर्मी में इस वक्त पांच स्टेट्रेटिजक-लिंगुइस्ट सहित कुल 17 डोमेन एक्सपर्ट की भर्ती की गई है. टीए में फिलहाल भर्ती की उम्र 42 वर्ष है.
उपसेना प्रमुख ने ये भी जानकारी दी कि भारतीय सेना इस वक्त 16 टेक्नोलॉजिकल क्लस्टर पर ध्यान दे रही हैं. इनमें साइबर और स्पेस के अलावा क्वांटम, 5जी-6जी, आईओटी, डायरेक्टेड एनर्जी वैपन्स, एआर-वीआर, एआई, एमएल, डीप लर्निंग, काउंटर यूएएस, अनमैन्ड ऑटोनोमस सिस्टम, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी, लॉएटरिंग म्युनिशन, 3डी प्रिंटिंग और रोबोटिक्स शामिल है.
ले. कपूर ने ये भी बताया कि सेना ने प्रधानमंत्री के इंटर्नशिप मिशन के तहत इंटर्नशिप प्रोग्राम भी शुरू कर दिया है. इसके तहत इंटर्न्स को भारतीय सेना की यूएन पीस प्रोग्राम, इंफो सिस्टम, टीए (इनोवेशन सेल) और थिंकटैंक सेंटर फॉर लैंड एंड वारफेयर स्टडीज में काम सीखने का मौका मिल सकता है.