रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा है कि आत्मनिर्भरता जैसा बड़ा काम सरकार अकेले ‘अपने दम’ पर नहीं कर सकती है. बल्कि इसके लिए सभी ‘स्टेकहोल्डर्स’ का साथ जरूरी है यानी सरकारी कंपनियों के साथ-साथ प्राईवेट इंडस्ट्री और स्टार्टअप को भी योगदान देना होगा.
राजनाथ सिंह का ये बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने कहा था कि “राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर आत्मनिर्भरता मंजूर नहीं है.” उनका इशारा वायुसेना के आधुनिकीकरण में हो रही देरी पर था. क्योंकि वायुसेना को स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस की सप्लाई में देरी हो रही है.
सोमवार को रक्षा मंत्री डिफेंस इनोवेशन ऑर्गनाइजेशन (डीआईओ) द्वारा आयोजित ‘डेफ-कनेक्ट’ नाम के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. डीआईओ द्वारा इनवोशेन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीएक्स) का गठन किया गया है जिसमें रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप को प्रोत्साहन दिया जाता है. इस दौरान वायुसेना प्रमुख सहित थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी मौजूद थे.
राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘मुझे विश्वास है कि हम सब का यह कनेक्शन और मजबूत होता जाएगा और हम सब मिलकर भारत के डिफेंस इकोसिस्टम को दुनिया में सबसे मजबूत और सबसे अधिक आधुनिक बनाएंगे.”
राजनाथ सिंह ने ये भी कहा कि “आज हम तरह-तरह के युद्ध, और युद्ध की संभावनाओं के बीच रह रहे हैं. इन युद्धों में लगातार नई-नई टेक्नोलॉजी का समावेश हो रहा है. इनमें न सिर्फ पारंपरिक हथियार और गोला-बारूद का इस्तेमाल हो रहा है, बल्कि कई प्रकार के ड्यूल-यूज या पूरी तरह असैन्य तकनीक या आईटम का इस्तेमाल किया जा रहा है, उन्हें वेपिनाइज किया जा रहा है. ऐसे में हमें इस प्रकार की टेक्नोलॉजिकल एप्लीकेशन को गहराई से समझना होगा.”
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें देखना होगा, कि किस प्रकार से इन “टेक्नोलॉजी का इमेजिनेटिव यूज, हम अपने डिफेंस के लिए कर सकते हैं.” राजनाथ सिंह ने सलाह देते हुए कहा कि “मैं यहां, सिर्फ दूसरे युद्ध-ग्रस्त देशों के एप्लीकेशन की कॉपी करने की बात नहीं कर रहा हूं. मैं इससे आगे बढ़ते हुए, उन प्रणालियों की ओर ध्यान ले जाना चाहूंगा, जो बिल्कुल नई हों, और सिर्फ हमारी हों.”
गौरतलब है कि एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में ये भी कहा था कि वायुसेना, टेक्नोलॉजी और हथियारों (एयरक्राफ्ट) निर्माण में चीन से पिछड़ रही है. (डिफेंस टेक्नोलॉजी में चीन से पिछड़ी IAF)