आजाद हिंद फौज में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले 99 वर्षीय लेफ्टिनेंट रंगास्वामी माधवन पिल्लई ने अपने 100वें वर्ष की शुरुआत राष्ट्रीय समर स्मारक और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ की है.
बुधवार को भारतीय सेना ने वयोवृद्ध योद्धा के लिए शताब्दी वर्ष समारोह का आयोजन किया. इस मौके पर लेफ्टिनेंट माधवन के परिवार के सदस्यों के साथ भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
99 वर्ष के लेफ्टिनेंट पिल्लई का जन्म आज ही के दिन यानी 13 मार्च 1926 को म्यांमार (बर्मा) की राजधानी रंगून (अब यंगून) में हुआ था. उनके पिता मूल रूप से तमिलनाडु के शिवगंगा जिले से ताल्लुक रखते थे.
18 वर्ष की आयु में आजाद हिंद फौज में हुए शामिल
भारतीय सेना के मुताबिक, वर्ष 1942 में लेफ्टिनेंट पिल्लई ने स्वतंत्रता सेनानी रास बिहारी बोस संग्राम के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था. जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस सिंगापुर पहुंचे थे, तब पिल्लई ने आजाद हिंद फौज ज्वाइन कर ली. उस वक्त पिल्लई की उम्र महज 18 वर्ष थी.
पिल्लई ने आजाद हिंद फौज में शामिल होने के लिए बर्मा स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षण लिया था. इसके बाद वे इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) के रंगून स्थित मुख्यालय की प्रशासनिक ब्रांच में काम करने लगे.
खास बात ये है कि रंगून में लेफ्टिनेंट पिल्लई ने मेजर जनरल केपी थिमैया के अंतर्गत काम किया था. मेजर जनरल केपी थिमैया, भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल के एस थिमैया (1957-61) के भाई थे.
पिछले साल यानी 23 जनवरी 2024 को पराक्रम दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेफ्टिनेंट पिल्लई को लाल किले पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित भी किया था.
नेताजी की आजाद हिंद फौज के बारे में जानिए
अंग्रेजों के खिलाफ हथियारों के पर बल लड़ने के लिए सुभाष चंद्र बोस और मोहन सिंह ने 1942-43 में आजाद हिंद फौज का गठन किया था. सुभाष चंद्र बोस के ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ और ‘चलो दिल्ली’ के आह्वान पर सैकड़ों की तादाद में भारत के अलावा बर्मा और दूसरे देशों में रह रहे प्रवासी भारतीय, आजाद हिंद फौज में शामिल हुए थे.
नेताजी की आजाद हिंद फौज में महिलाओं को भी स्थान दिया गया था. इसके लिए नेताजी ने अपनी फौज में लक्ष्मीबाई की याद में रानी झांसी ब्रिगेड भी खड़ी की थी.
भारतीय सेना के मुताबिक, लेफ्टिनेंट पिल्लई की जिंदगी एकता और वीरता की अनूठी मिसाल है. बुधवार को नेशनल वॉर मेमोरियल पर लेफ्टिनेंट पिल्लई ने श्रद्धांजलि अर्पित कर देश के वीर सैनिकों के बलिदान को सम्मान देने के साथ-साथ, भारत को गुलामी की जंजीरों से अलग होने की प्रेरणा देता है.