बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद जिस बात का डर था, वही हुआ. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के जसीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है. इसके अलावा बांग्लादेश सरकार ने कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी पर भी लगा बैन हटा दिया है.
बांग्लादेश की यूनुस सरकार के दो फैसले भारत के टेंशन बढ़ाने वाले हैं, क्योंकि रिहा किया गया रहमानी वो शख्स है जो भारत में स्लीपर सेल की मदद से जिहादी गतिविधियां फैलाता रहा है. एबीटी के तार आतंकवादी संगठन अल-कायदा से जुड़े हुए हैं. एबीटी अक्सर भारत में आतंक फैलाने की साजिश रचता रहा है. वहीं जिस पार्टी जमात-ए-इस्लामी से प्रतिबंध हटा है, वो भारत विरोधी मानी जाती है.
बांग्लादेश में रिहा हुआ भारत में आतंक फैलाने वाला
अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के जसीमुद्दीन रहमानी का रिहा होना भारत के लिए खतरे की बाद है. क्योंकि ये वही संगठन है, जिसके आतंकियों को असम में गिरफ्तार किया गया था. असम पुलिस ने कई बार एबीटी आतंकवादियों को गिरफ्तार किया जिससे आतंकवादियों की साजिश नाकाम हो गई थी.
इसी साल एबीटी से जुड़े दो आतंकवादियों बहार मियां और रेयरली मियां को असम पुलिस ने गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था. जांच में पता चला था कि एबीटी के तार दक्षिण एशिया में अलकायदा की विचारधारा और मकसद को बढ़ाने के लिए स्थापित किए गए संगठन अल-कायदा इन द इंडियन सबकॉन्टिनेंट (एक्यूआईएस) से जुड़े हुए हैं, जो भारत में बैन है.
साल 2022 के खुफिया जानकारी में त्रिपुरा में भी इस आतंकी संगठन की हलचल देखी गई थी. खुफिया एजेंसियों ने बताया था कि साल 2022 में 50 से 100 एबीटी आतंकी त्रिपुरा में घुसपैठ करने की योजना बना रहे थे.
भारत विरोधी बयानबाजी और पाकिस्तान समर्थक रुख के लिए मशहूर बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख शफीकुर्रहमान ने बैन हटने के बाद कहा कि उनकी पार्टी भारत के साथ स्थिर संबंध चाहती है लेकिन उन्होंने अपने बयान में यह भी साफ कर दिया कि नई दिल्ली को उनके देश के मामलों में दखल नहीं देना चाहिए.